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थोड़ा किया, पर बहुत है बाकी: आइए देखें पृथ्वी कहां से कहां पहुंची

22 अप्रैल यानी बुधवार को दुनिया के 192 देश 45वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। इस मौके पर आइए देखें कि 1970 से 2015 के बीच पृथ्वी कहां से कहां पहुंची है। वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने, जनसंख्या वृद्धि...

थोड़ा किया, पर बहुत है बाकी: आइए देखें पृथ्वी कहां से कहां पहुंची
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Apr 2015 11:36 AM
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22 अप्रैल यानी बुधवार को दुनिया के 192 देश 45वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। इस मौके पर आइए देखें कि 1970 से 2015 के बीच पृथ्वी कहां से कहां पहुंची है। वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने, जनसंख्या वृद्धि रोकने, अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने और जीव-जंतुओं, वनों व जलस्रोतों के संरक्षण की दिशा में हमने कितनी सफलता अजिर्त की है।

इन मोर्चो पर कुछ संभले हम

वायु प्रदूषण
विश्व
- हवा में औसतन 60 फीसदी तक घटा छह प्रमुख प्रदूषकों का स्तर
- सीसा 80 फीसदी और कार्बन मोनोऑक्साइड 50 फीसदी कम हुआ
- नाइट्रोजन डाईऑक्साइड 52 फीसदी और सल्फर डाई-ऑक्साइड 40 फीसदी तक घटा
- पीएम 2.5 और पीएम 10 माइक्रोमीटर में क्रमश: 38 फीसदी और 27 फीसदी कमी आई
भारत
- 55 फीसदी से घटकर 25 फीसदी के करीब पहुंचा औद्योगिक प्रदूषण
- घरेलू स्रोतों से उत्पन्न प्रदूषण 21 फीसदी के मुकाबले 8 फीसदी हुआ
- पर पेट्रोल-डीजल वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 60 फीसदी वृद्धि हुई
- 1970 में 19 लाख के करीब थी वाहनों की संख्या, अभी 20 करोड़ के पार पहुंची
सुधार की दरकार क्यों
- ग्रीनहाउस गैसों के उत्सजर्न में कमी लाने की जरूरत, ग्लोबल वॉर्मिग बढ़ने से कई द्वीपों के अस्तित्व पर खतरा
- भारत में दिल्ली समेत कई शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक हुआ, बढ़ रहे फेफड़े की बीमारियों के मामले

जनसंख्या
विश्व
- 3.75 अरब के करीब थी विश्व आबादी साल 1970 में
- 1980 में 18.5 फीसदी की वृद्धि से 4.5 अरब तक पहुंची
- 2012 में जनसंख्या वृद्धि दर घटकर 10.6 हुई, 7 अरब के पार पहुंची आबादी
भारत
- 54 करोड़ के करीब थी भारत की जनसंख्या साल 1970 में
- 1.2 अरब के पार पहुंच चुका है यह आंकड़ा मौजूदा समय में
- पिछले 90 दशक में पहली बार जनसंख्या वृद्धि दर में आई कमी
- 2000 के दशक में 17.6 फीसदी की दर से बढ़ी आबादी, 1990 के दशक में 21.5 फीसदी था यह आंकड़ा
सुधार की दरकार क्यों
- 9.4 अरब के करीब पहुंच सकती है विश्व आबादी साल 2050 में, 3 अरब लोगों को होगा खाने का संकट
- बढ़ती आबादी को छत मुहैया कराने और आद्योगिक विकास के लिए 11.2 करोड़ अरब हेक्टेयर वनों की करनी होगी कटाई

अक्षय ऊर्जा
विश्व
- बिजली उत्पादन के लिए सौर एवं पवन ऊर्जा का इस्तेमाल शुरू हुआ
-2035 तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग तीन गुना तक बढ़ने की उम्मीद
भारत
- 2008 में बिजली उत्पादन में 7.8 फीसदी थी अक्षय ऊर्जा स्नोतों की हिस्सेदारी
- 2013 में बढ़कर 12.3 फीसदी हुई, भारत पवन ऊर्जा से बिजली का पांचवा सबसे बड़ा उत्पादक बना
सुधार की दरकार क्यों
- वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कोयला, पेट्रोल, डीजल व अन्य पारंपरिक ऊर्जा स्नोतों पर निर्भरता घटाई जा सकेगी

यहां बिगड़ रहे हालात

पानी
विश्व
- 20 लाख टन मानव अपशिष्ट और 70 फीसदी कचरा बहाया जाता है जलस्नोतों में रोजाना
- 78.3 करोड़ लोग यानी विश्व में हर नौ में से एक व्यक्ति को स्वच्छ पेयजल मयस्सर नहीं
भारत
- 20 से 50 फीसदी जलस्नोत नाइट्रेट और आर्सेनिक जैसे हानिकारक रसायनों से दूषित
- 04 फीसदी स्वच्छ पेयजल ही उपलब्ध, गंगा-यमुना जैसी नदियों में बढ़ता प्रदूषण बड़ी चिंता
सुधार की दरकार क्यों
- 3 फीसदी पानी ही पीने लायक, जनसंख्या वृद्धि से बढ़ेगा संकट, नदियों की सफाई और वर्षा जल संचयन पर देना होगा जोर

जंगल
विश्व
- 3.9 अरब हेक्टेयर है जंगलों का मौजूदा दायरा
- 45 साल पहले यह 6 अरब हेक्टेयर से ज्यादा था
भारत
- 7.9 करोड़ हेक्टेयर भूमि जंगलों से घिरी है
- 10 करोड़ हेक्टेयर के करीब जंगल थे 45 साल पहले
सुधार की दरकार क्यों
- जहरीली गैसों को सोखने के साथ-साथ प्राणदायिनी ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं वन, वन्यजीवों को भी देते हैं आशियाना

जीव-जंतु आबादी
विश्व
- 52 फीसदी की कमी आई जीव-जंतुओं की संख्या में पिछले चार दशक में
- जल जीवों की तादाद 79 फीसदी और वन्यजीवों की 40 फीसदी तक घटी
भारत
- जीव-जंतुओं की 172 नस्लें विलुप्तिकरण की कगार पर खड़ी हैं
- इनमें 53 स्तनपायी, 69 पक्षी और 26 समुद्री जीवों की नस्लें शामिल
सुधार की दरकार क्यों
- जैविक संतुलन बनाए रखने और बढ़ती आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए जीव-जंतुओं का सुरक्षित रहना बेहद जरूरी

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