छोटी लाइन पर अंतिम ऐतिहासिक सफर के गवाह बने यात्री
जिले में अंग्रेजों के जमाने में बने थावे-छपरा रेलखंड की छोटी लाइन पर मंगलवार की शाम 7:50 बजे अंतिम ट्रेन थावे जंक्शन से खुलीं। ट्रेन में बैठे यात्री अपने को इतिहास का गवाह मान रहे थे। उनकी नजर में यह...
जिले में अंग्रेजों के जमाने में बने थावे-छपरा रेलखंड की छोटी लाइन पर मंगलवार की शाम 7:50 बजे अंतिम ट्रेन थावे जंक्शन से खुलीं। ट्रेन में बैठे यात्री अपने को इतिहास का गवाह मान रहे थे। उनकी नजर में यह यात्रा एक यादगार लम्हा बन जाएगा। क्योंकि वे आनेवाली पीढ़ी को बता सकेंगे कि वर्ष 2015 में 31 मार्च को थावे-छपरा रेलखंड पर छोटी लाइन की अंतिम ट्रेन चलाई गई थी।
इस बात को लेकर मंगलवार को ट्रेन में बैठे बरौली के निवासी उमेश सिंह, सिधवलिया के निवासी मनोज कुमार व बैकुंठपुर के निवासी संतोष कुमार काफी खुश थे। इन्होंने बताया कि इस रेलखंड पर ट्रेन के अंतिम परिचालन में शामिल होकर काफी अच्छा लग रहा है। भले ही आनेवाले कुछ दिन कठिनाई होगी, लेकिन करीब 6 माह बाद तो इसी रेलखंड पर बड़ी लाइन की ट्रेन में सवार होकर सफर तय करेंगे।
यहां बता दें कि 1 अप्रैल से इस रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बंद हो जाएगा। अमान परिवर्तन कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए यह निर्णय रेलवे प्रशासन ने लिया है।
छह माह बाद मिलेगा तोहफा
थावे-छपरा रेलखंड पर थावे से लेकर छपरा कचहरी तक के यात्रियों को करीब 6 माह बाद ही तोहफा मिलेगा। इस रेलखंड के छोटे-बड़े स्टेशनों पर ट्रेनों में सवार होकर यात्रि दिल्ली-मुंबई आदि शहरों की यात्रा तय करेंगे। इस रेलखंड को बड़ी लाइन बनाने के लिए जिले के लोगों का आंदोलन काफी वषों से चल रहा था। काफी पहले इसके अमान परिवर्तन कार्य को रेलवे बजट में शामिल किया गया। लेकिन पैसे की कमी से यह कार्य पूरा होने में काफी देरी हो रही थी। अब यह समस्या दूर हो गई है। जल्द ही यात्री आसानी से इस रेलखंड पर एक्सप्रेस ट्रेनों का आनंद उठाएंगे।
चार प्रखंडों के लोगों व व्यापारियों को होगी परेशानी
1 अप्रैल से थावे-छपरा रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बंद होने से जिले के 4 प्रखंडों के लोगों व व्यापारियों को काफी परेशानी होगी। जिले के मांझागढ़, बरौली, सिधवलिया व बैकुंठपुर के अधिकतर लोग कोर्ट-कचहरी , कलेक्ट्रेट व अन्य कार्यो के लिए जिला मुख्यालय में इसी रेलखंड से आते-जाते हैं। वहीं व्यापारी सब्जियों व अनाज की ढुलाई ट्रेन से करते थे। लेकिन अब ट्रेन बंद होने से यात्रियों व व्यापारियों को बस, टैक्सी व अन्य वाहनों के सहारे यातायात व माल ढुलाई कराना होगा। इससे लोगों पर आर्थिक बोझ तो बढ़ेगा ही साथ ही व्यापारियों को भी अधिक खर्च करना पड़ेगा।
अधिकतर कर्मी भेजे जाएंगे बड़े स्टेशनों पर
रेलखंड पर स्थापित छोटे-बड़े स्टेशनों पर कार्यरत कर्मियों में से अधिकतर कर्मी वाराणसी व गोरखपुर मंडल के बड़े स्टेशनों पर स्थानांतरित किए जाएंगे। यहां सिर्फ दो-तीन स्टेशनों को मिलाकर एक कर्मी लगाए जाएंगे। ये कर्मी अमान परिवर्तन कार्य की देखरेख करेंगे। इस मामले की सूचना प्राप्त होने के बाद जिले में स्थापित कई स्टेशनों पर मंगलवार को कर्मियों को विदाई देने के लिए लोग पहुंचे।
अफसर का कहना है
छपरा जंक्शन से मंगलवार की दोपहर इस रूट के लिए चली ट्रेन शाम 5:30 बजे के करीब थावे पहुंची। इसी ट्रेन को छोटी लाइन की अंतिम ट्रेन के रूप में थावे जंक्शन से शाम 7:50 बजे खोला गया।
केपी बैठा, स्टेशन अधीक्षक, थावे जंक्शन
युद्ध स्तर पर चल रहा कार्य
बैकुंठपुर। एक संवाददाता। थावे-छपरा रेलखंड पर इस समय अमान परिवर्तन का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। पुल-पुलियों का निर्माण, स्टेशनों के प्लेटफार्मो का ऊंचीकरण, प्लेटफार्म निर्माण व मिट्टी भराई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। कई जगहों पर स्लीपर भी गिराये जा चुके हैं। ट्रैक बिछाने के लिए अन्य जरूरी संसाधन मंगाये जा रहे हैं।
उधर, इस रेलखंड पर परिचालन बंद होने जिले के तीन स्टेशनों पर बने पीआरएस काउंटरों के बंद होने व नहीं बंद होने को लेकर असमंजस की स्थिति है। गोपालगंज स्टेशन स्थित पीआरएस काउंटर के इंचार्ज विशाल कुमार ने बताया कि आरक्षण काउंटर बंद करने की कोई भी आधिकारिक सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।