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पांच करोड़ का कैश पड़ा ऊंट के मुंह में जीरा

मैनेजर साहब ने मन ही मन सोच लिया कि इतना कैश तो नहीं दिया जा सकेगा। मगर, सीधे मना नहीं करके उन्होंने एक नियम का सहारा लिया। किसान को बताया कि ब्रांच में सिस्टम 24 हजार से अधिक की रकम निकासी के लिए...

पांच करोड़ का कैश पड़ा ऊंट के मुंह में जीरा
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 21 Nov 2016 07:30 PM
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मैनेजर साहब ने मन ही मन सोच लिया कि इतना कैश तो नहीं दिया जा सकेगा। मगर, सीधे मना नहीं करके उन्होंने एक नियम का सहारा लिया। किसान को बताया कि ब्रांच में सिस्टम 24 हजार से अधिक की रकम निकासी के लिए मंजूर ही नहीं करेगा। इसके लिए रीजनल ऑफिस में जाकर चीफ मैनेजर से मिलना पड़ेगा...किसान वहां से चला गया तो उसके बाहर निकलते ही मैनेजर साहब अपने स्टाफ से कहने लगे...हमने उसे सीधे मना नहीं किया, लेकिन असलियत ये है कि इतनी धनराशि की निकासी हो ही नहीं सकती। क्योंकि, बैंक के पास कैश ही नहीं है। एक ब्रांच को कुल जितना कैश मिल रहा है अगर शादी वालों को ढाई ढाई लाख तक देने लगें तो तीन चार लोगों को कैश देने में ही सारा पैसा खत्म हो जाएगा। बैंकों में करेंसी की उपलब्धता की यही हकीकत सामने आई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से मुरादाबाद में रोज करेंसी भेजी जा रही है, लेकिन इस समय डिमांड की तुलना में ये बहुत कम बैठ रही है।

बैंक अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद में आरबीआई की तरफ से रोज करीब पांच करोड़ रुपए की नई करेंसी भेजी जा रही है। मुरादाबाद जिले में 318 शाखाएं हैं। एक ब्रांच के हिस्से में औसतन तीन लाख रुपए आ रहे हैं। विमुद्रीकरण के बाद बैंकों की ब्रांच और एटीएम में कैश के लिए लोगों की लंबी लंबी लाइन लग रही है। ऐसे में इतनी धनराशि तो एक डेढ़ घंटे में ही खत्म हो जा रही है। यही वजह है कि दिन के ज्यादातर समय में एटीएम बंद ही पड़े दिखाई दे रहे हैं। चौबीस घंटों के दौरान एटीएम में दो बार कैश लोडिंग की जा रही है, लेकिन आधे से एक घंटे में ही पूरा कैश खाली हो रहा है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा समय में लोगों की लग रहीं लाइनों को देखते हुए कम से कम रोजाना पचास करोड़ की करेंसी मिलेगी तभी स्थिति सामान्य हो सकती है, लेकिन इतनी करेंसी की व्यवस्था हो पाना अभी तो संभव नहीं दिखाई दे रहा है। मुरादाबाद को इतनी करेंसी मिलने में अभी कुछ हफ्ते लग सकते हैं।

डेबिट कार्ड से खरीदारी टालेगी संकट

जिला अग्रणी बैंक के प्रबंधक तपेश्वर प्रसाद का कहना है कि चूंकि, पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट चल नहीं रहे हैं और सौ पचास के नोटों की कमी है। जिसकी वजह से लोगों का काम प्रभावित हो रहा है। मौजूदा स्थिति में इसका सबसे बड़ा समाधान कैशलेस शॉपिंग है। हम बाजार में सामान खरीदने के बाद पेमेंट डेबिट कार्ड से करें तो नोटों के लिए लोगों का दबाव कम होने लगेगा। इससे धीरे धीरे करके समस्या कम हो जाएगी।

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