गठबंधन के लिए चाहिए बड़ा दिल: चौधरी अजित सिंह
रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह ने यूपी में गठबंधन को लेकर बीते दो दिन के अंदर फेसबुक और टिवटर पर लगातार कमेंट लिखे हैं। चौधरी अजित सिंह ने लिखा है कि मुलायम सिंह जी चुनावी गठबंधन बहुत मुश्किल काम है।...
रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह ने यूपी में गठबंधन को लेकर बीते दो दिन के अंदर फेसबुक और टिवटर पर लगातार कमेंट लिखे हैं। चौधरी अजित सिंह ने लिखा है कि मुलायम सिंह जी चुनावी गठबंधन बहुत मुश्किल काम है। इसके लिए बड़े दिल की जरूरत होती है।
चौधरी अजित सिंह रविवार को लखनऊ में सपा के रजत जंयती समारोह में शामिल हुए थे। अजित ने सपा के मंच पर दिए अपने भाषण के अंश भी फेसबुक पर लिखे हैं। अजित ने लिखा है कि वह नेताओं से प्रदेश की जनता के लिए सोचने का आग्रह कर रहे हैं। विकास के लिए जातीय और सांप्रद्रायिक सौहार्द जरूरी है। इसके बिना विकास नहीं हो सकता। यूपी का चुनाव देश की किस्मत तय करेगा। उत्तर प्रदेश का चुनाव देश को बचाने के लिए लड़ा जा रहा है। समाजिक एकता के बिना कोई नहीं होगा। मोदी जी विकास की बात करते हैं पर विकास होता नहीं है। चौधरी अजित सिंह के इस रुख से सियासी हलकों में चर्चाएं गरम हैं। समीकरणों की जमीन पर देखें तो दोनों दलों के गठबंधन की संभावनाएं दमदार लगती हैं। मुजफ्फरनगर दंगे ने के बार जाट-मुस्लिम वोटरों के बिखराव से ही अजित सिंह मुश्किल में आए। जाट आरक्षण, 12 तुगलक रोड जैसे मसलों के बाद जाट मतदाता की चौधरी अजित के प्रति सहानुभूति उनकी हाल में हुई रैलियों में दिख रही है। लेकिन उन्हें हर सीट पर प्लस वोट की जरूरत है। चौधरी अजित दंगे के वक्त से ही अपनी सेकुलर इमेज बचाए रखने में जुटे हैं। उधर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भी रजत जयंती समारोह के मंच से कह चुके हैं कि यूपी में अगली सरकार सबके सहयोग से ही बनेगी। 2012 के विधानसभा चुनावी नतीजे बताते हैं कि वेस्ट यूपी में 11 सीटें ऐसी रहीं जहां हार-जीत का अंसर पंद्रह सौ से कम रहा। 29 सीटों पर यह अंतर दस हजार तक और 27 पर पांच हजार तक रहा। यानी 67 सीटों पर हार जीत का फैसला कम अंतर वाला रहा। इनमें से 27 सीटें बसपा 20 सपा ने और आठ भाजपा ने जीतीं। कांग्रेस ने भी सात सीटों पर मामूली अंतर से जीत दर्ज की। अगर सपा-रालोद मिलकर लड़ते हैं तो पांच-दस हजार की हार-जीत के अंतर वाली सीटों पर इसका असर पड़ सकता है। अगर 25-30 प्रतिशत जाट वोटर भी सपा की तरफ शिफ्ट हुआ और पंद्रह से बीस प्रतिशत मुस्लिम रालोद प्रत्याशियों को मिला तो विधानसभा सीटों पर मुकाबले रोचक होंगे।
मुलाकातों से पिघली रिश्तों में जमी बर्फ
चौधरी अजित सिंह और मुलायम सिंह यादव के रिश्तों में हाल के दिनों में कुछ गरमाहट आई है। 23 दिसंबर 2014 को चौधरी अजित सिंह ने चौधरी चरण सिंह की जयंती पर मेरठ में किसान स्वाभिमान रैली की थी। इस रैली में शिवपाल यादव, पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा, नीतिश कुमार और शरद यादव आए थे। 29 मई 2016 को चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि पर पहले शिवपाल यादव अजित सिंह के घर गए। उसके बाद अजित मुलायम सिंह का हाल जानने उनके घर पहुंचे। 20 सितंबर 2016 को अजित सिंह ने मुलायम, नीतीश समेत चरण सिंह के करीबी नेताओं को एक मंच पर आने की अपील करते हुए चिट्ठी लिखी। बीते चार अक्तूबर को बड़ौत में हुई अजित सिंह की रैली में नीतिश और शरद यादव तो गए पर सपा से कोई नहीं पहुंचा। अब सपा के रजत जयंती समारोह का न्योता लेकर शिवपाल अजित सिंह के आवास पर गए। इसके बाद चौधरी अजित सपा के रजत जयंती समारोह में शामिल हुए।