जापान का इनकार, भारत नहीं आएगा आचार्य का शव
पति के अंतिम दर्शन को सालभर से इंतजार कर रही 65 वर्षीय बूढ़ी आंखों की इच्छा अधूरी रह गई। जापान सरकार ने संस्कृत आचार्य के शव को भारत भेजने से साफ इनकार कर दिया है। वहां की सरकार ने प्रिजर्व कर रखे शव...
पति के अंतिम दर्शन को सालभर से इंतजार कर रही 65 वर्षीय बूढ़ी आंखों की इच्छा अधूरी रह गई। जापान सरकार ने संस्कृत आचार्य के शव को भारत भेजने से साफ इनकार कर दिया है। वहां की सरकार ने प्रिजर्व कर रखे शव के सड़ जाने और दुर्गंध फैलने का हवाला दिया है। अब भारतीय दूतावास और अधिवक्ता की मौजूदगी में जापान की ओसाका सिटी में शव का अंतिम संस्कार होगा।
बहसूमा के तजपुरा निवासी 70 वर्षीय रामदत्त कौशिक की 10 नवंबर 2015 को जापान की ओसाका सिटी में मौत हो गई थी। संस्कृत आचार्य कौशिक वहां अपने आश्रम में रहते थे। कागजी कार्रवाई पूरी न होने के कारण जापान सरकार ने उनके शव को प्रिजर्व कर रखा था। रामदत्त की 65 वर्षीय पत्नी प्रेमलता कौशिक अपने पति के शव को भारत लाने के लिए पिछले एक साल से संघर्ष कर रही थी। वह चाहती थी कि पति के शव का अंतिम संस्कार भारतीय रीति-रिवाजों से हो। शव को भारत लाने के संबंध में भारतीय और जापानी दूतावास के बीच तकरीबन 30 से ज्यादा बार पत्राचार हुआ।
पिछले दिनों डीएम मेरठ ने भी प्रेमलता कौशिक को एनओसी दे दी थी। अब दिल्ली स्थित जापानी दूतावास के जरिये सूचना दी गई है कि रामदत्त कौशिक का शव काफी सड़ चुका है। ऐसे में वह भारत नहीं भेजा जा सकता। इसलिए जापान की सरकार ने शव का अपने रीति-रिवाज के अनुसार ओसाका सिटी में ही अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया है। अब कोई और रास्ता न बचते देख परिजन भी जापान सरकार के इस निर्णय पर सहमत हो गए हैं। प्रेमलता कौशिक के अधिवक्ता डीपी सिंह के मुताबिक, ओसाका में भारत के राजदूत व अधिवक्ता की मौजूदगी में रामदत्त कौशिक के शव का अंतिम संस्कार होगा। इसकी तारीख जल्द निर्धारित होगी।
भारत सरकार ने दी थी साढ़े 12 लाख मदद
शव को भारत लाने के लिए केंद्र सरकार ने भी मदद की थी। सरकार ने मृतक की पत्नी प्रेमलता कौशिक को साढ़े 12 लाख रुपये की आर्थिक मदद की थी, ताकि वे अपने पति का पार्थिव शरीर भारत ला सकें। मगर उनके सारे प्रयास व्यर्थ हुए और संस्कृत आचार्य का शव भारत नहीं आ सका।