पाकिस्तान से आए नकली नोटों के साथ युवक गिरफ्तार
तलाक के मुद्दें पर केंद्र सरकार द्वारा विरोध जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने को दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिम पर्सनल-लॉ में दखल अंदाजी बताया। दारुल उलूम मोहतमिम समेत अन्य उलेमा-ए-कराम...
तलाक के मुद्दें पर केंद्र सरकार द्वारा विरोध जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने को दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिम पर्सनल-लॉ में दखल अंदाजी बताया। दारुल उलूम मोहतमिम समेत अन्य उलेमा-ए-कराम ने कहा कि समाज सुधार के नाम पर मुस्लिम पर्सनल-लॉ में किसी भी तरह की दखल अंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारासुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे पर दारुल उलूम मोहतमिम ने एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मुस्लिमों को संविधान में दिए संवैधानिक अधिकारों पर हमला कर रही है। दारुल उलूम मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि मुल्क के आईन (संविधान) के मुताबिक किसी भी मजहब के पर्सनल-लॉ- में दखल अंदाजी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मुसलमानों में भय का माहौल बनाना चाहती है। मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम पर्सनल-लॉ का लाजमी हिस्सा है और यह सैकूलरिज्म के खिलाफ कैसे हो सकता है। जबकि, मुल्क के हर नागरिक को उसे अपने मजहबी अधिकार प्राप्त हैं। दारुल उलूम वक्फ के मोहतमिम एवं मुस्लिम पर्सनल-लॉ-बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना मोहम्मद सुफियान कासमी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल-ला-बोर्ड अदालत में पहले ही तीन तलाक का शरीई मामला बता अपना हलफनामा दाखिल कर चुका हैं। और दारुल उलूम और वक्फ दारुल उलूम सहित सभी आलीम-ए-दीन मुस्लिम पर्सनल-लॉ-बोर्ड के फैसले के साथ हैं। उन्होंने कहा कि मुल्क की अदालतें पहले भी मुस्लिम पर्सनल-लॉ के फैसलो को मान चुकी है। मौलाना सुफियान ने केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक के मुद्दें पर शरियत का विरोध करने पर इसे मुसलमानों को दी गई संवैधानिक आजादी पर हमला बताया। उन्होंने दो टूक कहा कि शरियत के मुताबिक ही जिंदगी गुजारेंगे किसी के दबाव में शरियत में दखल अंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।