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ढह गए किले, वाजपेयी और शाहिद मंजूर हारे

पूरे प्रदेश में जहां भाजपा की जबरदस्त लहर रही वहीं मेरठ में पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी चुनाव हार गए। सपा के कैबिनेट मंत्री और लगातार तीन बार के विधायक शाहिद मंजूर को भी...

 ढह गए किले, वाजपेयी और शाहिद मंजूर हारे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 11 Mar 2017 09:00 PM
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पूरे प्रदेश में जहां भाजपा की जबरदस्त लहर रही वहीं मेरठ में पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी चुनाव हार गए। सपा के कैबिनेट मंत्री और लगातार तीन बार के विधायक शाहिद मंजूर को भी करारी हार का सामना करना पड़ा। मेरठ शहर सीट पर हार-जीत का अतीत रोचक रहा है। आजादी के बाद इस सीट पर लगातार कांग्रेस जीती। 1967 में पहली बार जनसंघ के मोहनलाल कपूर विधायक चुने गए। इनके बाद 1977 और 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। यहां 1989 में भाजपा के डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी जीते तो 1993 में जनता दल के शाहिद अखलाक विधायक बने। 1996 और 2002 में वाजपेयी जीते तो 2007 में यूडीएफ से हाजी याकूब विजयी हुए। 2012 में वाजपेयी ने यहां फिर जीत दर्ज की। 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त वाजपेयी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। यूपी में 73 एमपी की जीत का क्रेडिट भी उन्हें मिला। बाद में केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने और वाजपेयी बाद के एक साल में अपने चुनाव क्षेत्र मेरठ शहर में जुटे। वाजपेयी की स्थिति अबकी बार शुरू से ही कमजोर आंकी जा रही थी। शायद इसीलिए उनके क्षेत्र में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का रोड शो रखा गया। लेकिन रोड शो के एक दिन पहले ही व्यापारी अभिषेक की हत्या हो गई और अमित शाह ने मेरठ आकर रोड शो कैंसिल कर दिया। माना जा रहा है कि अगर यह रोड शो हो गया होता तो वाजपेयी के लिए इसमें आई भीड़ वोटों में तब्दील हो जाती। इउधर किठौर विधानसभा सीट पर सपा के कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर 2007 से लगातार विधायक रहे हैं। अबकी बार शाहिद मंजूर भाजपा के सत्यवीर त्यागी ने करीब दस हजार वोटों से हार गए हैं। शाहिद मंजूर सपा सरकार मे अबकी बार राज्यमंत्री भी रहे और कैबिनेट भी, पर वह अपने किले को नहीं बचा पाए।

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