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औषधीय पौधों की खेती से फायदा

जिला मुख्यालय से करीब तीस किलोमीटर की दूरी पर बाबूबरही प्रखंड में बसा है छौरही गांव। छौड़ाही के युवक अविनाश कुमार औषधीय पौधों की खेती कर अपनी तकदीर ही बदल लोगों के सामने नजीर पेश की है। करीब दो साल...

औषधीय पौधों की खेती से फायदा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Mar 2017 12:13 AM
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जिला मुख्यालय से करीब तीस किलोमीटर की दूरी पर बाबूबरही प्रखंड में बसा है छौरही गांव। छौड़ाही के युवक अविनाश कुमार औषधीय पौधों की खेती कर अपनी तकदीर ही बदल लोगों के सामने नजीर पेश की है।

करीब दो साल पहले अविनाश कुमार ने वच की खेती शुरू की। एक एकड़ वच की खेती से डेढ़ साल में करीब 80 हजार रुपये कमाकर उन्होंने किसानों को अपनी माली हालत सुधारने के टिप्स दे दिये हैं। बच की खेती के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा है कि घर के गोबर अच्छी उर्वरक है। वच की खेती में इसका प्रयोग करने से पैदावार अच्छी होती है। गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक अविनाश ने 2016 में शबला सेवा संस्थान, गोरखपुर के सहयोग से ब्राह्मी, कौंच, शालपर्णी और तुलसी की खेती शुरू की। उन्होंने करीब पांच एकड़ से ब्राह्मी की खेती करनी शुरू की है।

एक एकड़ से अधिक में कौंच की खेती कर रहे हैं। आधा एकड़ में शालपर्णी है और एक एकड़ में तुलसी की खेती है। कुल फसल के उत्पाद का मूल्य करीब तीस हजार होता है। तुलसी की खेती से नब्बे दिन में करीब 23 हजार रुपये की कमाई होती है।

कौंच की खेती में प्रति एकड़ सात हजार रुपये की लागत लगती है। फसल के उत्पाद का मूल्य करीब 40 हजार होता है। वच की खेती में प्रति एकड़ बीस हजार रुपये की लागत लगती है।

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