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मॉडरेशन में घटाए नंबर तो गिरा ओवरऑल रिजल्ट----यूपी बोर्ड

मॉडरेशन में घटाए नंबर तो गिरा ओवरऑल रिजल्टबदलाव का असर-इस बार अधिकतम पांच नंबर तक किया गया मॉडरेशन-सीबीएसई की तरह यूपी बोर्ड ने भी जारी रखी मॉडरेशन नीति इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददातामॉडरेशन में सख्ती के...

मॉडरेशन में घटाए नंबर तो गिरा ओवरऑल रिजल्ट----यूपी बोर्ड
Fri, 09 Jun 2017 06:33 PM
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मॉडरेशन में घटाए नंबर तो गिरा ओवरऑल रिजल्ट

बदलाव का असर

-इस बार अधिकतम पांच नंबर तक किया गया मॉडरेशन

-सीबीएसई की तरह यूपी बोर्ड ने भी जारी रखी मॉडरेशन नीति

इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता

मॉडरेशन में सख्ती के कारण यूपी बोर्ड का ओवरऑल रिजल्ट गिर गया। 2017 के रिजल्ट में हाईस्कूल के 6.48 और इंटरमीडिएट के 5.37 प्रतिशत छात्र-छात्राएं पिछले साल की तुलना में कम सफल हुए हैं। रिजल्ट कम होने के पीछे बड़ा कारण परीक्षार्थियों को मॉडरेशन में कम नंबर मिलना था।

सूबे की भाजपा सरकार को बोर्ड परीक्षाओं में सख्ती का असर दिखाने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने मॉडरेशन में नंबर घटा दिए। इसके चलते ओवरआल रिजल्ट कम हो गया। इससे पहले 10 नंबर तक मॉडरेशन होता था लेकिन इस बार पांच नंबर तक ही दिए गए।

बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिजल्ट तैयार होने के बाद समीक्षा की। जिन विषयों में छात्र-छात्राओं को अन्य विषयों में मिले औसत से कम नंबर मिले थे उनमें अधिकतम पांच नंबर दिए हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक और बोर्ड के सभापति ने मॉडरेशन में पांच नंबर तक देने की पुष्टि कर है।

यूपी बोर्ड ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की तर्ज पर मॉडरेशन नीति जारी रखी। गौरतलब है कि सीबीएसई ने इस साल मॉडरेशन खत्म करने का निर्णय लिया था। दिल्ली हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उसे इस साल मॉडरेशन की नीति जारी रखनी पड़ी।

क्या है मॉडरेशन, छात्रों को क्या लाभ

इलाहाबाद। मॉडरेशन में 10वीं-12वीं की परीक्षा कराने वाले बोर्ड सभी बच्चों को विषय विशेष में अतिरिक्त नंबर देते हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए 12वीं साइंस के छात्रों ने गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, हिन्दी और अंग्रेजी की परीक्षा दी। चार विषयों में तो सभी बच्चों को बहुत अच्छे नंबर मिले लेकिन अधिकतर छात्रों को अंग्रेजी में औसत से भी कम अंक मिले तो बोर्ड के जिम्मेदार लोग एक फार्मूला को आधार मानते हुए उस विषय में सभी छात्रों को अतिरिक्त नंबर देते हैं। अतिरिक्त नंबर एक, दो या तीन विषय में दिए जा सकते हैं।

यूपी बोर्ड ने 2011 में शुरू की थी मॉडरेशन नीति

इलाहाबाद। सीबीएसई और सीआईएससीई बोर्ड के छात्र-छात्राओं की तुलना में यूपी बोर्ड के बच्चों का नंबर 10वीं-12वीं की परीक्षा में कम होने के कारण बसपा सरकार में माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे रंगनाथ मिश्र ने 2011 में मॉडरेशन नीति लागू की थी।

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