लखनऊ महोत्सव पर चढ़ा बेबी डॉल का खुमार
लखनऊ की कनिका कपूर, सचेत टण्डन ने चलाया जादूमैजैशियन हसन रिजवी ने भी दिखाया कमालदर्शकों का उमड़ा सैलाब, पुलिस को करनी पड़ी मशक्कतलखनऊ। निज संवाददातालखनऊ महोत्सव गुरुवार को प्राइड ऑफ यूपी शाम का गवाह...
लखनऊ की कनिका कपूर, सचेत टण्डन ने चलाया जादू
मैजैशियन हसन रिजवी ने भी दिखाया कमाल
दर्शकों का उमड़ा सैलाब, पुलिस को करनी पड़ी मशक्कत
लखनऊ। निज संवाददाता
लखनऊ महोत्सव गुरुवार को प्राइड ऑफ यूपी शाम का गवाह बना। जहां बॉलीवुड की मशहूर गायिका कनिका कपूर, गायक सचेत टण्डन एवं जादगूर हसन रिजवी ने दर्शकों के दिल में जगह बनायी। महोत्सव में प्राइइ ऑफ यूपी शाम का आगाज इसलिए किया गया कि अपने प्रदेश का नाम रौशन करने वाले कलाकारों को मंच दिया जाए। कनिका कपूर ने चिटियां कलाइयां, बेबी डॉल जैसे गीत गाकर लखनऊ का नाम रोशन किया तो सचेत टण्डन ने रियल्टी शो के माध्यम से शहर के नाम को ऊंचाईयां दी। इसी तरह इलाहाबाद के हसन रिजवी ने मैजिक की दुनिया में प्रदेश को एक अलग पहचान दी। हसन ने इंडिया गॉट टैलेंट के फाइनल में जगह बनायी, इसके साथ ही बिग बॉस में स्पेशल परफार्मर के रुप में दिखे। इस वक्त हसन की गिनती एशिया के नम्बर वन नौजवान जादूगर के रूप में होती है। वहीं वर्ल्ड के टॉप टेन जागूदर में भी उनका नाम लिया जाता है। कनिका, सचेत और हसन की इस नाइट में कनिका की प्रस्तुति के दौरान दर्शकों को संभालने के लिए खूब मशक्कत करनी पड़ी। मंच के सामने से डांस कर रहे लोगों को पुलिस ने पकड़-पकड़ हटाया।
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कनिका मचं पर आईं और छा गई
रात करीब पौने ग्यारत बज चुका था, दर्शकों को इंतजार था गायिका कनिका कपूर का, वो कब आएंगी, आखिरी कार ब्लैक और गोल्डेन कलर की ड्रेस में कनिका कपूर अपने सबसे मशहूर गीत ‘बेबी डॉल मैं सोने दी गाती हुई मंच पर आ ही गई। दर्शकों ने तालियां बजाने से पहले नाचना शुरू कर दिया। करीब सात मिनट की इस परफार्मेंस के बाद कनिका ने अपने शहर को सलाम किया और बताया कि अपने शहर में पहली बार इतना बड़ा शो कर रहीं हूं इसलिए नर्वस ज्यादा हूं। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर आप साथ हैं तो शो कामयाब रहेगा। इसके बाद कनिका गीतों की झड़ी बिखेरना शुरू कर दी। उन्होंने सबसे पहले सूफी रंग का सहारा लेते हुए ‘दमादम मस्त कलंदर अली का पहला को पेशकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने ‘चिटियां कलाइयां वे को पेशकर दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। इस गीत पर जमकर डांस भी दर्शकों ने किया। इसके साथ ही कनिका ने ‘बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी, ‘आज मेरे नाल नच्चा वे, ‘तूने मारी इंट्रियां दिल में बजी घंटियां , ‘रेशम का रुमाल गले में डाल के, ‘काला शा काला, ‘पल्लू लटके रे मारु पल्लू लटके, ‘मेरा पिया घर आया ओ राम जी,‘बीड़ी जलइले जिगर से पिया, जिगर मां बड़ी आग है, ‘रंगीलों मारो ढोलना,‘सावन में लग गई आग, ‘दर दी रब रब, ‘चल छईंया-चल छईयां, ‘कलियों का चमन, ‘कभी आर कभी पार के साथ एक बार फिर बेबी डाल को स्लो वर्जन दर्शकों को सुनाया।
सचेत टण्डन ने बांधा समां
रियल्टी शो से प्रसिद्धी पाने वाले लखनऊ के गायक सचेत टण्डन लगातार दूसरी बार लखनऊ महोत्सव के मेहमान बने। जहां उन्होंने आगाज शास्त्रीय राग से करते हुए अपनी परिपक्वता दर्शाने का काम किया। इसके साथ ही सचेत ने नए और पुराने फिल्मी गीतों से दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी। सचेत ने ‘छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके को पेशकर दर्शकों को सुखद एहसास कराया। इसी क्रम में सचेत ने ‘एक प्यार का नगमा है से दर्शकों को पुरानी यादों में लेकर जाने का काम किया। सचेत यहीं नहीं रुके, उन्होंने आतिफ असलम के मशहूर गीत ‘तू रंग शरबतों का, मैं मीठे घाट का पानी के साथ ही ‘हो करम खुदाया रे,‘मैं तैनू समझावां के साथ ही ‘ओ कबीरा मान जा जैसे गीतों से लखनवी आवाम पर अपना असर छोड़ा। लखनऊ का होने की वजह से सचेत को महोत्सव में दर्शकों का खास प्यार मिला।
कभी सहमा, कभी डरा महोत्सव
सचेत टण्डन के गीतों के मंच पर काले लिबास में मैजिशयन हसन रिजवी आ गए। उनको देखते ही दर्शकों ने भरपूर तालियां बजायी। हसन ने आस्तीनों से कबूतर निकालते हुए महोत्सव को शांति का पैगाम देने के साथ ही अपने हुनर से भी दर्शकों को रू-ब-रू करा दिया। हसन ने महोत्सव में आए दर्शकों को डराने का काम तब किया जब उन्होंने एक रॉड पर अपने समूह की लड़की को लेटाया और देखते ही देखते वो रॉड लड़की के अन्दर घुसता चला गया। यह देख दर्शकों ने अपनी आंखे ही कुछ सेकेण्ड के लिए बंद कर ली। लेकिन जब आंखे खोली तो लड़की सही सलामत मंच पर ही खड़ी थी। यह देख दर्शकों ने भरपूर तालियां बजाकर हसन की हौसलाअफजाई की। हसन ने इसके साथ ही दर्शकों कई बार आंखों का देखा दिखाया। उन्होंने मंच पर अखबार के टुकड़े-टुकड़े फाड़ दिए और पल भर में उसे जोड़ दिया। इसके साथ ही हसन ने जादू की कई ट्रिक पेश कर दर्शकों का मनोरंजन किया।
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पहले बेबी नहीं बार्बी डाल था-
कनिका ने मंच पर से बताया कि जब बेबी डाल का एडिट वर्जन आया तो पिताजी को मैंने सुनाया उस वक्त वो बेबी डॉल नहीं बल्कि बॉबी डॉल था। कुछ राइट्स के इशू की वजह से बेबी डॉल किया गया। लेकिन पापा ने कहा कि 12 साल पहले तक तुम भजन गाती थी, भातखण्डे संगीत संस्थान में शास्त्रीय संगीत सीखती थी, ये क्या गा रही हो। पापा के इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। बस जो होता है अच्छे के लिए होता है।
सिर चढ़ बोला फीवर 104 का जादू
लखनऊ महोत्सव में आने वाले दर्शक महारेडियो 104 फीवर की स्टॉल पर कई आकर्षक उपहार जीतकर जा रहे हैं। फीवर के आरजे निशांत महोत्सव से शाम 4 से 7 लाइव शो कर रहे हैं, जो दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है। इसके साथ ही यहां आरजे दर्शकों से फीवर से जुड़े सवाल पूछ रहे है, दर्शक इनका सही जवाब भी दे रहे हैं, जिससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि महा रेडियो फीवर को खूब सुना जा रहा है। साथ ही महोत्सव के दौरान सोशल मैसेज भी दर्शकों को दिए जा रहे हैं एवं कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर महा रेडियो की ओर से जागरूक भी किया जा रहा है। कुल मिलाकर कहा जाए तो महोत्सव में महा रेडियो फीवर 104 का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है।
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बदलता महोत्सव
अजीम फनकारों का आना रुके नहीं
गायिका पूजा मिश्रा
लखनऊ महोत्सव में अजीम फनकारों को सुनना हमेशा से ही खास रहा है। अब नए कलाकारों को भी मौका दिया जा रहा है। यह अच्छी बात है लेकिन शास्त्रीय संगीत से जुड़े कलाकारों को महोत्सव में बुलाने में कमी नहीं होनी चाहिए। पहले अधिकांश शास्त्रीय संगीत के महान व स्तरीय कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। अब थोड़ा ऐसे स्तरीय कलाकारों की कमी महसूस होती है। इसे दूर किया जाना जरूरी है क्योंकि लखनऊ महोत्सव शहर का जश्न होता है, जिसका इंतजार यहां के लोग साल भर करते हैं। हां एक बात जरूर है कि बीते कुछ सालों में लखनऊ महोत्सव का विस्तार हुआ है जो हमारी शान को दर्शाता है।