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मगफिरत का अशरे शुरू दुआओं के लिए उठे हाथ

रमजान के दूसरे जुमे पर शहर की मस्जिदों में अकीदत से झुके रोजेदारों के सिर रमजान के दूसरे अशरा को मगफिरत का होता यानि अपनी गुनाहों से माफी का। माहे मुबारक के दूसरे जुमे पर शहरी की बड़ी मस्जिदों...

मगफिरत का अशरे शुरू  दुआओं के लिए उठे हाथ
Fri, 09 Jun 2017 06:55 PM
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रमजान के दूसरे जुमे पर शहर की मस्जिदों में अकीदत से झुके रोजेदारों के सिर

रमजान के दूसरे अशरा को मगफिरत का होता यानि अपनी गुनाहों से माफी का। माहे मुबारक के दूसरे जुमे पर शहरी की बड़ी मस्जिदों में लोगों सिर अकीदत से अल्लाह की बरगाह में झुके। नमाज के बाद लोगों ने अपने गुनाहों से माफी मांगी और देश में अमन व शांति की दुआ की। शहर में सबसे जुमे की बड़ी नमाज बड़े इमामबाड़े, ऐशबाग ईदगाह और टीले वाली मस्जिद पर अदा कराई गई। जहां पर सैकड़ों की संख्या में लोगों शामिल हुए।

ऐशबाग ईदगाह में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने रोजेदारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि खुदा ने तमाम मुसलमानों को रमजान-उल-मुबारक के पूरे महीने रोजे रखने का हुकुम दिया है और जो भी बगैर किसी जायज मजबूरी के रमजान का एक रोजा छोड़ दे तो वह बहुत ही सख्त गुनहगार होगा। मौलाना ने कहा कि रोजा एक ऐसी अजीम इबादत है कि इसमें इंसान के पास पैसा होने की बाद भी वह सहरी से इफ्तार के बीच कुछ नहीं खा सकता है। साथ ही वह कोई भी गैर शरई या गैर इस्लामी काम नहीं कर सकता है। रोजेदार को इस पूरे मुबारक महीने में अपने नफ्स यानि ख्वाहिशों को काबू रखने की ट्रेनिंग दी जाती है। वहीं, बड़े इमामबाड़े में इमाम ए जुमा मौलाना कल्बे जव्वाद ने रोजेदारों को जुमे की नमाज अदा कराई। मौलाना ने कहा कि अल्लाह के अजीम महीनों में से एक रोजा है। इसमें बंदों के गुनाहों को माफ कर दिया जाता है। इस महीने में लोगों को ज्यादा से ज्यादा इबादत करना चाहिए और गरीबों व मजलूमों की मदद करना चाहिए।

जुमे के बाद हुआ आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन

जुमे की नमाज के बाद आसिफी मस्जिद में मजलिस ए ओलमाए हिन्द व मौलाना कल्बे जव्वाद के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया गया। मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि दुनिया भर में आतंकवाद तीन शैतानों की देन है। इनमें पहला शैतान अमेरिका, दूसरा इजराईल और तीसरा शैतान सऊदी अरब है। मौलाना ने ईरान में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि आतंकी संगठन आईएसआईएस को पैदा करने वाला सऊदी अरब है। अमेरिका इजराइल आतंकवादियों को हथियार देने का काम कर रहा है। मौलाना ने कहा कि आतंकवादी शिया सुन्नी एकता को खत्म करना चाहते है। भारत में भी कुछ लोग इसको शिया सुन्नी का रंग देना चाहते हैं। मौलाना ने बहरीन में शियों पर हो रहे अत्याचार की भी निंदा की। प्रर्दशन मै मौलाना मोहम्मद मियां आब्दी,मौलाना अली अब्बास खान,मौलाना फसाहत हुसैन,मौलाना अदील असगर,मौलाना तसनी मेहंदी,मौलाना जव्वार हुसैन,मौलाना शबाहत हुसैन,मौलाना अकील अब्बास,मौलाना हसन जाफर,मौलाना शबाब हैदर मौजूद रहे।

शिया हेल्पलाइन

सवाल : क्या कफ्फारे के साठ रोजे लगातार रखे जाएगें ?

जवाब :अगर किसी व्यक्ति पर कफ्फारा वाजिब हो जाए तो एक्तीस (31) रोजे लगातार रखना ज़रूरी है। उसके बाद फासला कर सकता है।

सवाल : क्या इस्लाम में महिला को इजाजत दी गई है कि वह किसी मस्जिद में जाकर इमामत के फराएज को अंजाम दे ?

जवाब : महिला सिर्फ महिला की इमामत नमाज में कर सकती है।

सवाल : अगर कोई व्यक्ति जो सांस का मरीज है। वह रोजे में इंहेलर इस्तेमाल कर सकता है?

जवाब : अगर रोजेदारर इंहेलर इस्तेमाल करता है तो उसे चाहिए कि उसकी दवा पेट में न जाए।

सवाल : क्या जकात निकालते समय नियत करना जरूरी है ?

जवाब :इस्लाम में हर इबादत के लिए नियत होती है। इसलिए नियत जरुरी है।

सवाल : कुरान की वह आयात जिसको पढ़ने से सजदा वाजिब होता है। अगर उसे लिखा जाए तो भी सजदा वाजिब होगा ?

जवाब :आयाते सजदा को लिखने से सजदा वाजिब नही होता है।

सुन्नी हेल्पलाइन

सवाल : क्या घर की नौकरानी को जकात की रकम दी जा सकती है?

जवाब : घर की नौकरानी को जकात दी जा सकती है।

सवाल : औरतों का कुरान मजीद को जोर से पढ़ना कैसा है?

जवाब : औरतों का धीरे आवाज से कुरान पढ़ना बेहतर है।

सवाल : क्या जकात जिसको दी जाए उसको बताना जरूरी है?

जवाब : नही उसको बताना जरूरी नही है।

सवाल : क्या ऐतिकाफ करने वाला इमामत कर सकता है?

जवाब : जी हां ऐतिकाफ करने वाला इमामत कर सकता है।

सवाल : नमाज में अगर भूल से कोई वाजिब छूट जाए तो क्या करें?

जवाब : सजदा सहव कर लें, नमाज हो जायेगी।

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