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नई तकनीक से कैंसर सेल पर सीधे वार

लखनऊ। कार्यालय संवाददाताकैंसर से घबराने की जरूरत नहीं हैं। नई तकनीक से कैंसर का इलाज आसान हो गया है। अब कैंसर सेल पर सटीक वार मुमकिन हो गया है। खासबात यह है कि इलाज का दुश्प्रभाव भी कम हुए हैं। इससे...

नई तकनीक से कैंसर सेल पर सीधे वार
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 29 Apr 2017 09:33 PM
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लखनऊ। कार्यालय संवाददाता

कैंसर से घबराने की जरूरत नहीं हैं। नई तकनीक से कैंसर का इलाज आसान हो गया है। अब कैंसर सेल पर सटीक वार मुमकिन हो गया है। खासबात यह है कि इलाज का दुश्प्रभाव भी कम हुए हैं। इससे मरीज की जीवन बेहतर हुआ है। ये जानकारी लोहिया संस्थान में रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मधूप रस्तोगी ने दी।

वे शनिवार को रेडियोथेरेपी विभाग की ओर से पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनिंग प्रोग्राम 2017 को संबोधित कर रहे थे। डॉ. मधूप रस्तोगी ने कहा कि कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्तन, गर्भाश्य के मुंह, रेक्टम व फेफड़े समेत दूसरे अंगों का कैंसर के मरीजों में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसके लिए आधुनिक जीवनशैली भी जिम्मेदार है। खान-पान बदल रहा है। फास्ट-फूड व कोल्ड ड्रिंक आदि लोगों को खूब भा रहा है। उन्होंने कहा कि कैंसर किन कारणों से होता है यह अभी साफ नहीं हो पाया है। इस पर शोध चल रहा है। दो दिवसीय कांफ्रेंस का उद्घाटन केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने किया।

कैंसर का और सटीक इलाज

डॉ. मधूप रस्तोगी ने कहा कि कैंसर के इलाज में रेडियोथेरेपी की अहम भूमिका है। उन्होंने बताया कि लीनैक मशीन से दवा कैंसर सेल पर सीधे वार करती है। इससे स्वस्थ्य सेल को नुकसान नहीं होता है। इतना ही नहीं इमेज गाइडेड रेडियोथेरेपी ने कैंसर के इलाज में नई क्रांति ला दी है। उन्होंने इसमें सीटी स्कैन, एमआरआई व पैट स्कैन से गांठ का पता लगाते हैं। उसके हिसाब से ही रेडियोथेरेपी दी जाती है। उन्होंने बताया कि पहले से जांच कराने पर ट्यूमर का स्थान बदल जाने पर रेडिएशन कठिन हो जाता था।

इलाज होगा सस्ता

जेनरिक दवाओं से कैंसर का इलाज किफायती होने की उम्मीद है। कई दवाएं ऐसी हैं जिनके एक महीने का खर्च लगभग 60 से 70 हजार रुपये होता है। ज्यादातर मरीज इतनी बड़ी रकम खर्च नहीं कर पाते हैं। जेनेरिक दवाओं से दवाओं का यह खर्च घटकर महज पांच से सात हजार रुपये ही रह जाएगा। पीजीआई रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ. शालीन कुमार ने बताया कि सिर के ट्यूमर के 80 फीसदी मामले कैंसर के होते हैं। 20 फीसदी गांठ होती है। सिर के ट्यूमर में रेडियोथेरेपी अहम है। उन्होंने बताया कि कैंसर का इलाज महंगा है। जेनेरिक दवाओं से मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि पीजीआई में जेनेरिक दवाएं इस्तेमाल की जा रही हैं।

डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम जरूरी

लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. दीपक मालवीय ने कहा कि कैंसर समेत दूसरी बीमारियों के इलाज में नई तकनीक आई है। इससे इलाज को नया विस्तार मिला है। डॉक्टरों को नई तकनीक से रू-ब-रू कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जरूरत है। इससे जानकारी का आदान-प्रदान होता है। उन्होंने बताया कि इस कान्फ्रेंस में पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर समेत दूसरे राज्यों से सुपर स्पेशयलिस्ट डॉक्टर आए हैं। इसमें डॉक्टरों को कैंसर इलाज की नई तकनीक के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

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