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रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन एक लाख के बजाए 1000 रुपए में

-केजीएमयू ने रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन में लगने वाले महंगे इंप्लांट को कहा बाय-बायकेजीएमयू में रीढ़ की हड्डी में चोट लगे मरीजों का ऑपरेशन महज एक हजार रुपए में होगा। अभी तक ऑपरेशन पर करीब एक लाख रुपए तक...

रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन एक लाख के बजाए 1000 रुपए में
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 08 Feb 2017 07:00 PM
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-केजीएमयू ने रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन में लगने वाले महंगे इंप्लांट को कहा बाय-बाय

केजीएमयू में रीढ़ की हड्डी में चोट लगे मरीजों का ऑपरेशन महज एक हजार रुपए में होगा। अभी तक ऑपरेशन पर करीब एक लाख रुपए तक का खर्च आ रहा था। इसी तरह रीढ़ की जन्मजात बीमारी कूबड़ के ऑपरेशन पर डेढ़ लाख रुपए खर्च आ रहा था। जोकि घटकर 13 सौ रुपए हो गया है।

ये जानकारी हड्डी रोग विभाग के 64वें स्थापना दिवस समारोह से पूर्व आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. जीके सिंह ने दी। डॉ. जीके सिंह ने बताया कि रीढ़ की हड्डी में चोट लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। जामुन व दूसरे फलों के पेड़ से गिरने की वजह से भी काफी लोग चोटिल होकर आते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से मरीज के शरीर के कमर का निचला हिस्सा काम नहीं करता। ऐसे मरीजों का ऑपरेशन करने की जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि अभी तक इन मरीजों को ऑपरेशन स्क्रू व रॉड लगाकर की जा रही थी। इस पर करीब एक लाख रुपए का खर्च आ रहा था। मरीजों के खर्च को बचाने के लिए हार्टशेल तकनीक का फिर से इस्तेमाल शुरू किया गया। इसमें स्टील की रॉड तो लगाई जाती है लेकिन उसे कसने के लिए पेंच के बजाए खास तरह के तार का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक ऑपरेशन में छह से ज्यादा पेंच लगाए जा रहे थे। अब हार्टशेल तकनीक से रीढ़ की हड्डी में चोट लगे मरीजों का ऑपरेशन किया जा रहा है।

हैरिंगटन राड से टेढ़ी रीढ़ का इलाज

डॉ. जीके सिंह ने बताया कि जन्मजात बीमारी कूबड़ के भी कई मामले सामने आ रहे हैं। इसमें मरीज की रीढ़ की हड्डी टेढ़ हो जाती है। पीठ बाहर की ओर निकल जाती है। इससे मरीज का शारीरिक विकास प्रभावित होता है। दुश्वारियां भी होती हैं। अभी तक इसका ऑपरेशन पर डेढ़ लाख रुपए का खर्च आ रहा था। इसकी कीमत को कम करने के लिए हैरिंगटन रॉड का इस्तेमाल शुरू किया गया है। इसमें स्क्रू का इस्तेमाल के बजाए तार से बांधा जा रहा है।

पहले होती थी अस्पताल में सर्जरी

विभाग के डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि केजीएमयू में पहले हार्टशेल व हैरिंगटन रॉड से ऑपरेशन हो रहे थे। नए रॉड, प्लेट व स्क्रू आदि के बढ़ते चलने की वजह से इस्तेमाल कम हो गया था। पर, पुरानी तकनीक मरीजों को किफयती दर पर मुहैया कराया जा रहा है। इससे अधिक मरीजों को फायदा पहुंचाना आसान हो गया है।

स्पाइन सेंटर बनेगा केजीएमयू में

केजीएमयू में स्पाइन सेंटर बनाया जाएगा। इसमें रीढ़ की हड्डी से जुड़ी सभी तरह की बीमारियों का इलाज होगा। हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. जीके सिंह ने बताया कि प्रस्ताव स्पाइन सर्जरी यूनिट के डॉ. आरएन श्रीवास्तव तैयार कर रहे हैं। प्रस्ताव को मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा। डॉ. जीके सिंह ने बताया कि रीढ़ की हड्डी से जुड़ी तमाम तरह की बीमारियां हैं। इनमें रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर, टीबी, स्पाइन कार्ड में चोट, स्लीप डिस्क, सर्वाइल, जन्मजात बीमारियां शामिल हैं। अभी तक एक छत के नीचे इन सभी तरह की बीमारियों का इलाज मिलने में कठिनाई आ रही है। मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए स्पाइन सेंटर बनाया जाएगा। इसमें सभी तरह की जांच व इलाज की सहूलियत होगी। अभी स्पाइन यूनिट में 50 बेड हैं। मरीजों का दबाव अधिक है। इसकी वजह से मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।

3 बेड से शुरू हुआ था हड्डी रोग विभाग

केजीएमयू का हड्डी रोग विभाग की नींव वर्ष 1951 में पड़ी थी। तीन बेड से विभाग की शुरूआत हुई थी। डॉ. आरएन श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग में हड्डी से जुड़ी सभी तरह की बीमारियों का इलाज हो रहा है। इस समय विभाग में 158 बेड हैं। 21 डॉक्टर हैं। 18 सीनियर व 36 जूनियर रेजीडेंट काम कर रहे हैं। हर साल छह पीजी, छह डिप्लोमा और तीन पीएमएस डॉक्टरों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को 64 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया जाएगा। इसमें प्रो. एएन श्रीवास्तव ओरेशन का आयोजन किया जा रहा है। अमेरिका के डॉ. दिलीप सेन गुप्ता व दिल्ली एम्स में हड्डी रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अरविन्द जायसवाल रीढ़ की हड़्डी से जुड़ी बीमारियों व इलाज पर जानकारी देंगे।

ऑपरेशन हुए

डॉ. आरएन श्रीवास्तव ने बताया कि स्थापना दिवस से पहले रीढ़ की हड़डी की बीमारी से पीड़ित चार मरीजों के ऑपरेशन हुए। इसका ऑपरेशन थिएटर से सीधा प्रसारण हुआ। फैज (13) को कूबड़ की समस्या थी। करीब चार घंटे मरीज का ऑपरेशन हुआ। इसी तरह आशीष, रोशन और अशोक का ऑपरेशन हुआ।

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