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न्यायमूर्ति आलोक सिंह करेंगे गोमती रिवर फ्रंट परियोजना की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित हुई

हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित हुई तीन सदस्यीय जांच समितिप्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालयगोमती रिवर फ्रंट परियोजना में हुई अनियमितताओं की जांच हाईकोर्ट के...

न्यायमूर्ति आलोक सिंह करेंगे गोमती रिवर फ्रंट परियोजना की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित हुई
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 05 Apr 2017 09:00 PM
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हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित हुई तीन सदस्यीय जांच समितिप्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालयगोमती रिवर फ्रंट परियोजना में हुई अनियमितताओं की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह करेंगे। परियोजना की गुणवत्ता, कार्यों में हुई देरी और अनियमित रूप से खर्च की गई रकम को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने जांच समिति गठित करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित इस तीन सदस्यीय समिति में आईआईटी बीएचयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर यूके चौधरी और आईआईएम लखनऊ के वित्त संकाय के प्रोफेसर एके गर्ग भी रहेंगे। यह समिति 45 दिन के अन्दर रिपोर्ट देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने पिछली 27 मार्च को गोमती रिवर फ्रंट का मौके पर जाकर निरीक्षण किया उन्होंने इस बात पर अचरज व्यक्त किया था कि परियोजना के लिए शुरुआती दौर में 656 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई थी जो बाद में बढ़कर 1513 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस रकम का 95 फीसदी खर्च होने के बावजूद परियोजना का केवल 60 फीसदी ही काम हो पाया। इसके अलावा उन्हें यह भी शिकायत मिली थी कि गोमती नदी के जल को प्रदूषणमुक्त करने के स्थान पर अनेक गैर जरूरी कार्यों पर काफी पैसा खर्च किया गया। साथ ही इन कार्यों को करने के लिए तय प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया गया। सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति द्वारा गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के विभिन्न कामों की लागत का सत्यापन करेगी। परियोजना के क्रियान्वयन में विलम्ब के कारण लागत राशि के लगभग 95 प्रतिशत खर्च होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी कार्य होने के लिए जिम्मेदारी तय करेगी। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से योजना की उपयुक्तता, स्वीकृत मदों के विरुद्ध नियमानुसार भुगतान की स्थिति और परियोजना के क्रियान्वयन में बरती गई वित्तीय अनियमितताओं की स्थिति का जांच कर अपनी जांच रिपोर्ट 45 दिन में प्रस्तुत करेगी।

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