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ठेठ गांव की यह लड़की बनी राष्ट्रीय चैंपियन, जीता स्वर्ण

वह आठ माह पहले पिलखुआ के कंधोला गांव में खेतों की मेड़ों पर दौड़ती थी। घर से दौड़ते हुए बाजार जाती थी और वापस आती थी। स्कूल भी वह दौड़ते हुए जाती थी। दौड़ने के इसी शौक ने उसे रविवार को छत्तीसगढ़ में...

ठेठ गांव की यह लड़की बनी राष्ट्रीय चैंपियन, जीता स्वर्ण
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 17 Jan 2017 06:33 PM
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वह आठ माह पहले पिलखुआ के कंधोला गांव में खेतों की मेड़ों पर दौड़ती थी। घर से दौड़ते हुए बाजार जाती थी और वापस आती थी। स्कूल भी वह दौड़ते हुए जाती थी। दौड़ने के इसी शौक ने उसे रविवार को छत्तीसगढ़ में हुई राष्ट्रीय क्रासकंट्री में चैंपियन बना दिया। कल तक अनजान काजल शर्मा आज सुर्खियों में आ गई है। गोल्ड मेडल जीतकर जब वह मंगलवार को केडी सिंह बाबू स्टेडियम स्थित स्पोर्ट्स हॉस्टल पहुंची तो उसकी कोच बिमला सिंह समेत सभी साथियों ने उसे बधाई और शाबाशी दी।

पिता हैं किसान

काजल शर्मा 15 साल की हैं। पिता देवेंद्र शर्मा कंधोला में खेती करते हैं। उसकी पांच बहनें और एक भाई है। इतने बड़े परिवार का खर्च पिता खेती करके उठाते हैं। उनका परिवार आर्थिक तंगी से भी गुजर रहा है। पिछले साल उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला खेल विभाग के एथलेटिक्स हॉस्टल में कराया था। इसके पीछे उनकी इरादा यही था बेटी की पढ़ाई-लिखाई व भोजन मुफ्त में सरकार की तरफ से मिलेगा। खेलने में आगे निकल गई तो अच्छी जगह नौकरी मिल जाएगी। उनकी बेटी का जीवन संवर जाएगा।

पिता ने जिस उम्मीद से उसको हॉस्टल में भर्ती कराया था उस पर काजल ने खरा उतरना शुरू कर दिया है। इसी महीने 11 जनवरी को गोरखपुर में राज्य क्रासकंट्री चैंपियनशिप हुई। इसमें उसने अण्डर-16 आयु वर्ग की क्रासकंट्री दौड़ में दूसरा स्थान हासिल किया। उसका चयन राष्ट्रीय क्रासकंट्री के लिए हुआ। छत्तीसगढ़ में 15 जनवरी को राष्ट्रीय क्रासकंट्री हुई। इसमें उसने अण्डर-16 में दो किलोमीटर की दौड़ में पूरे देश की धाविकाओं को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता।

ओलंपिक में पदक जीतना है सपना

वह अपनी इस सफलता से खुश है। उसने बताया कि दौड़ जीतने के बाद अपने पिता को यह बात बताई तो वह खुशी से उछल पड़े। काजल चाहती है कि वह सीनियर स्तर पर कुछ कमाल दिखाए। देश के लिए ओलंपिक व एशियाई खेलों में पदक जीते। जिससे उसे नौकरी मिले और पिता का हाथ बंटा सके।

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