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बोले शंकराचार्य: कांग्रेस-भाजपा मिलकर संसद में पेश करें राम मंदिर का प्रस्ताव

कांग्रेस-भाजपा मिलकर संसद में पेश करें राम मंदिर का प्रस्तावबोले शंकराचार्य राष्ट्र में एक वर्ग विशेष को महत्व देने का अर्थ दुर्बलता नहीं बल्कि उदारता है भारत में एक नम्बर की नागरिकता आज भी हिन्दुओं...

बोले शंकराचार्य: कांग्रेस-भाजपा मिलकर संसद में पेश करें राम मंदिर का प्रस्ताव
,नई दिल्ली Sat, 03 Jun 2017 09:55 PM
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कांग्रेस-भाजपा मिलकर संसद में पेश करें राम मंदिर का प्रस्ताव

बोले शंकराचार्य

राष्ट्र में एक वर्ग विशेष को महत्व देने का अर्थ दुर्बलता नहीं बल्कि उदारता है

भारत में एक नम्बर की नागरिकता आज भी हिन्दुओं को नहीं मिल सकी

फैजाबाद हिन्दुस्तान संवाद

गोवर्धन मठ, पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि संसद में प्रबल बहुमत के सहारे ही अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा को आपसी सहमति से राम मंदिर निर्माण के लिए संसद में प्रयास करना चाहिए।

मारवाड़ी भवन में आयोजित प्रवचन से पहले शहर के झारखंडी स्थित संजय अग्रवाल के आवास पर शनिवार को शंकराचार्य ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी राजनीतिक पार्टियां श्री राममंदिर निर्माण को लेकर आपस में बातचीत करें। इनमें से कोई एक पार्टी संसद में मंदिर निर्माण के लिए प्रस्ताव पेश करे, जिसका अन्य सभी दल समर्थन करें तभी अयोध्या में मंदिर का यथास्थान निर्माण संभव है। उन्होंने कहा कि कोर्ट में यह प्रकरण वर्षों से लम्बित है। कोर्ट पक्ष व विपक्ष सुनता है। प्रमाण प्रस्तुत होते हैं। ऐसे में न्यायाधीश और समाज का प्रभाव भी निर्णय पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि दोनों पक्षों के आपसी सामन्जस्य पर सुप्रीम कोर्ट भी सहभागिता करेगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मंदिर के लिए समझौते के नाम पर हिन्दुओं के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। हिन्दुओं की ओर से राष्ट्र में एक वर्ग विशेष को महत्व देने का अर्थ दुर्बलता न समझा जाए। यह हिन्दुओं की उदारता है।

शंकराचार्य ने कहा कि पाकिस्तान विभाजन के बाद देश को स्वतंत्रता मिली है लेकिन अदूरदर्शी और सत्ता लोलुप राजनेताओं की वजह से हम आज भी पाश्चात्य संस्कृति में ही जी रहे हैं। शंकराचार्य ने कहा कि अंग्रेज गवर्नर मैकाले की शिक्षा पद्धति की तरह ही देश स्वास्थ्य, कोर्ट, रक्षा, उद्योग जैसे सभी जरूरी विषयों में आज भी पराधीन है। सभी विदेशी पद्धति पर संचालित हो रहे हैं। उन्नति के नाम पर राष्ट्र ने विदेशियों की दासता मोल ले लिया है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि स्वतंत्र भारत में एक नम्बर की नागरिकता आज भी हिन्दुओं को नहीं मिल सकी है।

अरब राष्ट्र, बांग्लादेश और पाकिस्तान का उदाहरण रखते हुए उन्होंने कहा कि इन राष्ट्रों ने कभी हिन्दुओं के प्रति उदारता नहीं बरती। फिर भी भारत में सम्प्रदाय विशेष के लोग राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल व मुख्यमंत्री सहित कई सम्मानित और उत्कृष्ट पदों पर आसीन हुए। यह हिन्दू राष्ट्र की दुर्बलता नहीं बल्कि उदारता है। उन्होंने कहा कि यह स्मरण रखना होगा कि कोई भी वर्षों तक परतंत्र रहकर भी स्वतंत्रता के अधिकार को नहीं खोता है। ऐसे में जरूरत पड़ने पर सोमनाथ की शैली का स्वरूप प्रदान करने के लिए हिन्दू बाध्य होगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आपसी समझौते की आड़ में और न्याय के नाम पर उदार कहे जाने वाले कुछ हिन्दू नेता और कुछ लोग नए पाकिस्तान की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके जैसे देशभक्त व न्याय प्रिय भूमिका निभाने वाले सम्प्रदाय विशेष के व्यक्तित्व विवेकशील निर्णय लें तो भी श्रीराममंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

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