चुनाव प्रचार में पिछड़ रही है कांग्रेस
चुनावी इस समर में कांग्रेसी कार्यकर्ता संगठन के नेतृत्व की बाट जोह रहे हैं। ऐसे में पार्टी के किस नेता के दिशा-निर्देश पर अमल किया जाए, किसके पर नहीं? कार्यकर्ताओं की नजरों में यह तस्वीर अब तक स्पष्ट...
चुनावी इस समर में कांग्रेसी कार्यकर्ता संगठन के नेतृत्व की बाट जोह रहे हैं। ऐसे में पार्टी के किस नेता के दिशा-निर्देश पर अमल किया जाए, किसके पर नहीं? कार्यकर्ताओं की नजरों में यह तस्वीर अब तक स्पष्ट नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से पार्टी के हक में वोट मांगने की खातिर सही ढंग से प्रचार नहीं हो पा रहा है।
जबकि दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ता संगठित होकर अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए पूरी तरह काम में जुट गए हैं। नतीजतन दूसरों के मुकाबले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता प्रचार में पिछड़ रहे हैं। दरअसल, इसी वर्ष जून में कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश और जिला स्तर की सभी कमेटियों को भंग कर दिया था। यह फैसला सुनाते हुए प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने जल्द नए सिरे से कमेटियां गठित करने का ऐलान भी किया था, जिस पर अब तक अमल नहीं हो पाया है।
जबकि विधानसभा चुनाव अक्तूबर में प्रस्तावित हैं और आचार संहिता कभी भी लग सकती है। उधर, कांग्रेस को छोड़कर बाकी पार्टियों ने उम्मीदवारों की घोषणा करनी शुरू कर दी है। फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र की नौ विधानसभा सीटों में से पांच के लिए भाजपा ने दो दिन पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा की है। इससे पहले इनेलो और बसपा अधिकांश सीटोंे के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी हैं। बहरहाल, उम्मीदवारों की घोषणा होते ही इन सियासी दलों के कार्यकर्ताओंं ने काम करना शुरू किया है।
अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जीतने के लिए वोट मांगने शुरू कर दिए हैं। कार्यकर्ता घर-घर जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ता निष्क्रिय हैं। टिकट की दावेदारी करने वाले नेताओं के समर्थक ही फिलहाल मेहनत कर रहे हैं, जो व्यक्तिगत स्तर पर हैं। संगठन की तरफ से कार्यकर्ताओं की सक्रियता नहीं हो पा रही है। इस बात को खुद कांग्रेस संगठन के पूर्व पदाधिकारी भी मानते हैं। जब कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष बीआर ओझा से इस बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल तो कमेटियां भंग हैं, लेकिन हाईकमान की तरफ से जो आदेश मिल रहे हैं, उन पर अमल किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जिला स्तर के अलावा ब्लॉक और बूथ स्तर की कमेटियां थी। विभिन्न वर्गों के सेल भी बनाए हुए थे। कमोबेश सभी में प्रधान, उपप्रधान, महासचिव, सचिव, कोषाध्यक्ष के पद थे। हर कमेटी में बीस से लेकर चालीस तक पदाधिकारी और सदस्य थे।