ग्रिल होती तो बाड़े में नहीं गिर पाता युवक
नई दिल्ली। कार्यालय संवाददाता। जिस बाड़े में गिरने से युवक को जान से हाथ धोना पड़ा उसकी ऊंचाई 18 से 20 फुट है। बाघ 12 फुट तक छलांग लगा सकता है। बाघ छलांग न लगाए इस दृष्टि से तो बाड़े की दीवार ऊंची...
नई दिल्ली। कार्यालय संवाददाता। जिस बाड़े में गिरने से युवक को जान से हाथ धोना पड़ा उसकी ऊंचाई 18 से 20 फुट है। बाघ 12 फुट तक छलांग लगा सकता है। बाघ छलांग न लगाए इस दृष्टि से तो बाड़े की दीवार ऊंची बनाई गई लेकिन दर्शकों की सुरक्षा के लिए जंगले नहीं लगे हैं। यदि लोहे की जालियां या जंगला होता तो युवक बाड़े में गिरने से बच जाता। दरअसल, बाड़ा काफी बड़ा है। प्रशासन ने इसे इस तरह से बनाया है ताकि बाघ या अन्य जानवर बाहर कूदकर न आ सकें।
बाड़े के कोने में मैदान है। चारों ओर हरियाली है। गुफा बनी है जहां बाघ रहता है। बीच में सीढि़यां है और दर्शकों वाली जगह पर नीचे की ओर कृत्रिम तालाब है। बाड़े की दीवार काफी ऊंची है। ऐसे में मैदान से तालाब तक बाघ ऊंची छलांग नहीं लगा सकता मगर दर्शकों वाली जगह पर कायदे से इंतजाम नहीं है। जंगले नहीं हैं। ऐसे में कोई भी नीचे की ओर फिसल सकता है। बहरहाल, जंगला न होने के कारण मकसूद नीचे की ओर गिर पड़ा।
उधर, क्यूरेटर रिजाय खान का कहना है कि सेंट्रल जू अथोरिटी के मानकों के अनुरूप सभी बाड़ों की ऊंचाई तय की गई है। सुरक्षा की दृष्टि से हर बाड़े के बाहर एक गार्ड तैनात किया जाता है। प्रशासन के दावों से इतर देखें तो सच कुछ और ही है। चश्मदीदों का कहना है कि एक भी सुरक्षाकर्मी ऐसा नहीं था जो दर्शकों को बाड़े के करीब जाने से रोक रहा हो।
दिल्ली में जन्मा है हमलावर 'विजय': हमलावर सफेद बाघ का नाम विजय है। उसका जन्म 2007 में इसी चिडि़याघर में हुआ था। इसकी देखरेख करने वाले एक गार्ड ने बताया कि यह बाघ सात साल से इसी बाड़े में है। स्वभाव से हिंसक नहीं है। बाघ को रोजाना मास परोसने वाले इस गार्ड का कहना है वह तीन साल से पिंजरे में बंद करके खाने में मास देता है। इस दौरान विजय कभी हिंसक नहीं हुआ। लेकिन छेड़खानी करने पर विजय कभी कभी हिंसक होता था। बता दें कि फिलहाल दिल्ली के चिडि़याघर में कुल छह सफेद बाघ हैं। दो बाघ और चार बाघिन हैं।
एक बाड़े के लिए सिर्फ एक गार्ड: बाड़े को बीट के अनुसार बांटा जाता है। एक बीट में दो से तीन बाड़े होते हैं। चिडि़याघर में कुछ बीट पर दो बाड़े तो कुछ बीट पर तीन बाड़े हैं। यह हादसा बीट नंबर आठ में हुआ। हर बाड़े के लिए सिर्फ एक गार्ड होता है। ऐसे में एक बीट पर करीब तीन से चार कर्मचारी तैनात होते हैं जो कि सुरक्षा के लिहाज से नाकाफी है।
निदेशक अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है कि नियमों के अनुसार तैनाती की जाती है। मगर सच्चाई यह है कि ये गार्ड सुरक्षा के लिहाज से जरूरी उपकरणों से लैस नहीं होते। इनके पास आपातकाल में पशुओं को बेहोश करने वाले इंजेक्शन तक नहीं होते। उधर, सेंट्रल जू अथोरिटी की गाइडलाइंस कहती हैं कि सुरक्षाकर्मियों जरूरी उपकरणों से लैस होना चाहिए।