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अवैध अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग मेहरबान

लखनऊ। कार्यालय संवाददाता। जिन अस्पतालों को बीते वर्ष सीएमओ ने अवैध बताकर सील किया वह फिर से खुल गए हैं। उनमें बेधड़क मरीज देखे जा रहे हैं। ग्रामीण व नेपाल क्षेत्र के मरीजों को दलाली कर भर्ती किया जा...

अवैध अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग मेहरबान
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 17 Sep 2014 12:29 AM
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लखनऊ। कार्यालय संवाददाता। जिन अस्पतालों को बीते वर्ष सीएमओ ने अवैध बताकर सील किया वह फिर से खुल गए हैं। उनमें बेधड़क मरीज देखे जा रहे हैं। ग्रामीण व नेपाल क्षेत्र के मरीजों को दलाली कर भर्ती किया जा रहा है। मरीजों की जान से खेलने वाले इन अस्पतालों की दोबारा छानबीन व छापेमारी करने की सुध स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को नहीं है।

ऐसे में दोबारा इन अस्पतालों में मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है। मरीजों की सेहत से बेखबर अफसरों को शिकायत का इंतजार है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मिलीभगत से शहर भर में अवैध अस्पताल चल रहे हैं। अफसरों को बगैर मानकों के चल रहे अस्पताल नहीं दिखाई दे रहे हैं। सैकड़ों की तादाद में अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन के मरीजों की भर्ती तक कर रहे हैं। फैजुलागंज स्थिक केयर अस्पताल में मरीजों की भर्ती फिर से शुरू हो गई।

इसका सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण तक नहीं है। गोमतीनगर के ऋषि हॉस्पिटल में भी मरीजों की भर्ती शुरू हो गई है। अवैध कारोबार का फैलता जाल मोटा कमीशन ने अस्पतालों के अवैध कारोबार को ताकत प्रदान की है। यही वजह है कि अस्पतालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आईसीयू और वेंटीलेटर के नाम पर लूट मची है। अकेले केजीएमयू के एक से दो किलोमीटर के दायरे में 200 से ज्यादा अस्पताल खुले हैं। इनमें वह मरीज आ रहे हैं जो केजीएमयू में भर्ती नहीं हो पाते।

इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में तो झोलाछाप खुलेआम मरीजों की जान से खेल रहे हैं। हाईवे पर ट्रॉमा सेंटर खुले हैं। यहां इलाज कौन कर रहा है? इसे देखने वाला कोई नहीं है। नेपाल से मरीजों की तस्करी राजधानी के अस्पतालों में सबसे ज्यादा नेपाल से मरीज लाए जा रहे हैं। बार्डर से सटे इलाको के अस्पताल व एम्बुलेंस चालकों का लखनऊ के अस्पताल संचालकों से तगड़ा गठजोड़ है। कमीशन के लालच में मरीजों को नेपाल से राजधानी के अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।

बदले में एम्बुलेंस व बार्डर से सटे अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी को मोटा कमीशन मरीज की माली हालत के हिसाब से मुहैया करा रहे है। कराई जा रही जांच केयर और ऋषि हॉस्पिटल के गुपचुप खुलने की सूचना मिलने पर जांच बिठा दी गई है। कमेटी दोनों अस्पतालों की जांच कर रही है किसके आदेश से अस्पताल में मरीज देखे व भर्ती किए जा रहे हैं। इनकी भी तफ्तीश की जा रही है। दोनों अस्पतालों में पंजीकरण के लिए आवेदन किया है लेकिन पंजीकरण नहीं किया गया।

डॉ. एसएनएस यादव, सीएमओ बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे अस्पताल -फैजुल्लागंज के केयर हॉस्पिटल में मरीज को बंधक बना लिया गया था। बिल भुगतान में असर्मथता जाहिर करने पर बेमुरवत अस्पताल प्रशासन ने मरीज को छोड़ने से मनाकर दिया। सीतापुर के विधायक की शिकायत पर सीएमओ डॉ. एसएनएस यादव ने छापेमारी कर मरीज को छुड़ाया। अस्पताल को सील कर दिया। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल चल रहा है। -मामूली फ्रैक्चर के बाद बाराबंकी निवासी मासूम शुभम को 2012 में गोमतीनगर के ऋषि हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

यहां झलकारीबाई अस्पताल के एनस्थीसिया विशेषज्ञ ने डॉ. ए कुमार ने बेहोशी दी। उसके बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। दो दिन बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। सीएमओ ने अस्पताल सील कर दिया। यहां भी हुई लापरवाही -पाइल्स से पीडि़त 21 साल के एक युवक को परिवारीजनों ने आलमबाग में प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। गलत इलाज से युवक की मौत हो गई। डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित करने के बजाए उसे जबरन वेंटीलेटर पर भर्ती रखा। लाखों रुपए वसूले।

व्यापारियों के हस्तक्षेप के बाद पर शव परिवारीजनों को मिला। -ठाकुरगंज की प्रिया चौरसिया को दिसम्बर 2013 में पथरी की परेशानी के बाद चौक के न्यू मेट्रो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। परिवारीजनों का आरोप था कि ऑपरेशन में भी चूक हुई थी। सीएमओ के हस्तक्षेप के बाद प्रिया को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान पहली जनवरी को प्रिया ने दम तोड़ दिया था।

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