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डीडीए फ्लैटों पर कब्जा करने वालों की दोस्त ने खोली

नई दिल्ली अमित झा। डीडीए के खाली फ्लैटों पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर कब्जा करने वाले एक गिरोह की पोल उनके ही एक परिचित ने पुलिस के सामने खोल दी। उसने वसंतकुंज पुलिस को बताया कि आरोपी दंपत्ति फर्जी...

डीडीए फ्लैटों पर कब्जा करने वालों की दोस्त ने खोली
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 03 Sep 2014 01:30 AM
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नई दिल्ली अमित झा। डीडीए के खाली फ्लैटों पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर कब्जा करने वाले एक गिरोह की पोल उनके ही एक परिचित ने पुलिस के सामने खोल दी। उसने वसंतकुंज पुलिस को बताया कि आरोपी दंपत्ति फर्जी दस्तावेज पर करोड़ों रुपये कीमत के डीडीए फ्लैटों पर कब्जा करते हैं। उनके इस गोरखधंधे में बैंक का एक अधिकारी भी ाामिल है जो फर्जी दस्तावेजों पर लोन करवाता है। इस सूचना पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लोन दिलाने वाले बैंक के पूर्व टीम लीडर 40 वर्षीय अनिल को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार गाजियाबाद निवासी अरुण कुमार ने पुलिस आयुक्त को इस फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। उसने शिकायत में बताया कि वसंतकुंज स्थित एक डीडीए फ्लैट पर राजेश चौधरी एवं उसकी पत्नी पूर्णिमा चौधरी ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर कब्जा किया। वहां छह माह तक उनके रहने के बाद डीडीए को इसकी जानकारी मिली। उन्होंने फ्लैट पर जाकर ताला लगा दिया। इसके खिलाफ पूर्णिमा चौधरी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन मामला फंसता देख बाद में वह पीछे हो गए।

उधर डीडीए ने भी उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं करवाया। अरुण कुमार ने यह भी बताया कि आरोपियों ने इसी तरह फर्जी दस्तावेज पर मियांवली इलाके में एक फ्लैट कब्जा किया था। मियांवली थाने में इस संबंध में मामला दर्ज है। उसने यह भी बताया कि आरोपियों ने फ्लैट की खरीदारी के दौरान लाखों रुपये के लोन बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से लिए थे। वसंतकुंज स्थित एसएफएस डबल स्टोरी फ्लैट पर दंपत्ति ने 97 लाख रुपये का लोन ले लिया था।

इस जानकारी पर वसंतकुंज नार्थ पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। पुलिस टीम को पता चला कि उस समय ग्रीन पार्क स्थित एक अंतरराष्ट्रीय बैंक के टीम लीडर अनिल ने यह लोन करवाया था। पुलिस ने इस जानकारी पर अनिल को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को छानबीन के दौरान पता चला कि वसंतकुंज स्थित फ्लैट पर 97 लाख रुपये का लोन कराने पर अनिल को 15 लाख रुपये मिले थे। लोन होने के कुछ ही दिन के भीतर यह रकम उसके बैंक खाते में आ गई थी।

पुलिस ने जब उसके बैंक खाते की जानकारी खंगाली तो इसका खुलासा हुआ। उसने पुलिस को बताया कि इस रकम से उसने दो गाडि़यां खरीदी थीं। पुलिस ने दोनों गाडि़यां आरोपी की निशानदेही पर बरामद कर ली है। डीडीए के पास है अभी तक फ्लैट पुलिस के अनुसार यह फ्लैट वर्ष 1987 में कोलकाता निवासी राजेन्द्र सिंह लोढा नामक व्यक्ति के नाम पर निकला था। हालांकि बाद में दस्तावेजों में कमी होने के चलते यह फ्लैट उन्हें दिया नहीं गया था।

उस समय से यह फ्लैट डीडीए के पास ही है। वर्ष 2008 में आरोपी दंपत्ति ने इस फ्लैट के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिए थे। लेकिन इसकी जानकारी मिलते ही डीडीए ने उस फ्लैट को अपने कब्जे में ले लिया था। डीडीए कर्मचारियों से होगी पूछताछ मामले की छानबीन कर रही पुलिस टीम इस मामले में डीडीए अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध मान रही है। पुलिस इस बात से बेहद हैरान है कि आरोपी को डीडीए के खाली फ्लैट के बारे में जानकारी कहां से मिली।

आरोपियों को कैसे पता चला कि वह फ्लैट किसके नाम पर निकला था। इस जानकारी की मदद से ही वह फर्जी दस्तावेज तैयार करने में कामयाब रहा। पूरे फर्जीवाड़े का पता होने पर भी डीडीए ने कभी पुलिस को इस बाबत शिकायत नहीं की। ऐसे तैयार किए गए फर्जी दस्तावेज छानबीन के दौरान पुलिस को जो दस्तावेज मिले, वह देखकर पुलिस भी हैरान रह गई। वर्ष 2008 में आरोपियों ने आर.एस. लोढा के नाम से यह प्रॉपर्टी एस.पी.सैनी नामक व्यक्ति के नाम पर करवाई और उसके कुछ ही समय बाद इस प्रॉपर्टी को पूर्णिमा चौधरी के नाम पर कर दिया गया।

इन दस्तावेजों की ठीक से जांच किए बिना ही बैंक ने उन्हें लगभग एक करोड़ रुपये का लोन भी दे दिया। अग्रिम जमानत पर हैं आरोपी दंपत्ति एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में फिलहाल आरोपी दंपत्ति की गिरफ्तारी नहीं की गई है। उन्होंने अदालत से छह सितम्बर तक के लिए अग्रिम जमानत ले रखी है। पुलिस आगामी छह सितम्बर को इस मामले के पूरे तथ्य लेकर अदालत के समक्ष पेश होगी और आरोपी दंपत्ति को गिरफ्तार करने की अनुमति मांगेगी।

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