रानी झांसी मार्ग फ्लाइओवर का रास्ता साफ
नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता रानी झांसी मार्ग के बीच में अवैध निर्माणों की वजह से फंसे फ्लाइओवर का रास्ता साफ हो गया है। यहां बसी दुकानों और घरों को हटाने का काम पूरा हो गया है। शुक्रवार को...
नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता रानी झांसी मार्ग के बीच में अवैध निर्माणों की वजह से फंसे फ्लाइओवर का रास्ता साफ हो गया है। यहां बसी दुकानों और घरों को हटाने का काम पूरा हो गया है। शुक्रवार को उत्तरी जिला उपायुक्त कार्यालय की तरफ रानी झांसी मार्ग पर इन अतिक्रमणों को हटाने की कार्यवाही को अंजाम दिया गया। निर्माणों की वजह से यह फ्लाइओवर 2010 से बीच अधर में फंसा हुआ है।
दिल्ली सरकार के अधिकारियों का कहना है कि अब इस मार्ग की राह में दिल्ली अरबन शैल्टर आश्रय बोर्ड व रेलवे की कुछ जमीन की आवश्यकता होगी। इस जमीन का अधिग्रहण कर फ्लाइओवर निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा। इस फ्लाइओवर की मदद से नई दिल्ली को पुरानी दिल्ली से जोड़ा जाना है। भूमि अधिग्रहण विवाद की वजह से पिछले चार साल से बन रहा यह फ्लाईओवर अब तक पूरा नहीं हुआ है। उत्तरी जिला एडीएम रजनीश सिंह ने बताया कि इस मार्ग पर फिल्मीस्तान से सेंट स्टीफन तक के अवैध कब्जे हटाए गए हैं।
अभियान में करीब 150 कब्जे हटाए गए हैं। इनके हट जाने से इस मार्ग पर लगने वाले जाम से लोगों को छुटकारा मिलेगा। इसके अतिरिक्त जमीन के लिए दिल्ली सरकार रेलवे से बात करेगी। जमीन मिलते ही फ्लाईओवर को पूरा कर दिया जाएगा। पहले इस कार्य को पूरा करने के लिए 2013 का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। रानी झांसी मार्ग पर लगने वाले जाम से निपटने के लिए एमसीडी ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया था। 2008 में फ्लाईओवर बनना शुरू हुआ था।
इसका अधिकांश हिस्सा बन चुका है लेकिन रेलवे की जमीन अधिगृहीत नहीं हो पाने के कारण कुछ हिस्सा अब तक लटका हुआ है। आजाद मार्केट के पास रेलवे की इस जमीन पर 140 व्यावसायिक व 82 रिहायशी परिसर हैं। पूर्व कांग्रेस सरकार ने लिया था जमीन देने का फैसला इस विवादित मामले के निपटारे के लिए पूवर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। जहां साथ ही फ्लाईओवर के रास्ते में आ रहे आवासीय परिसरों को डीडीए के एलआईजी फ्लैट उपलब्ध कराने पर सहमति बनी थी।
इस मामले में कैबिनेट के उस निर्णय को आधार बनाया गया है जिसमें सरकारी प्रोजेक्ट में आने वाली संपत्तियों को जमीन के बदले जमीन देने का प्रावधान है। इन दुकानदारों को फ्लाईओवर के नीचे खाली जगह पर दुकान बनाकर दी जा सकती है। इस सुझाव को स्वीकार किया गया है। दिल्ली सरकार का मानना है कि इससे फ्लाईओवर के नीचे होने वाले अतिक्रमण से भी छुटकारा मिलेगा। एक नजर में प्रोजेक्ट - 1.8 किलोमीटर है फ्लाईओवर की कुल लम्बाई - 2008 नवम्बर में शुरू हुआ था निर्माण का काम - 2011 थी पहली डेड लाइन , अब 2013 में पूरा होगा काम - 177 करोड़ थी प्रोजेक्ट की लागत - 210 करोड़ खर्च होंगे अब देरी की वजह से इन इलाकों को होगा फायदा फ्लाईओवर पूरा न होने की वजह से अभी इस इलाके में सुबह और शाम के वक्त घंटों ट्रैफिक जाम लग जाता है।
निर्माण की एक डेडलाइन मिस हो चुकी है। फ्लाईओवर पूरा होने के बाद नई दिल्ली से रानी झांसी मार्ग होते हुए तीस हजारी कोर्ट, सेंट स्टीफन अस्पताल व कश्मीरी गेट बस अड्डा पहुंचना आसान हो जाएगा।