राजमार्गों पर लापरवाह चालकों को सबक सिखाएगी ट्रैफिक पेट्रोल
नई दिल्ली, जितेंद्र भारद्वाज विदेशों की तर्ज पर अब दिल्ली में भी ट्रैफिक पेट्रोल (अत्याधुनिक उपकरणों से लैस इनोवा गाड़ी) दौड़ती हुई दिखेंगी। खासतौर से राष्ट्रीय राजमार्गों पर लापरवाही बरतने वाले वाहन...
नई दिल्ली, जितेंद्र भारद्वाज विदेशों की तर्ज पर अब दिल्ली में भी ट्रैफिक पेट्रोल (अत्याधुनिक उपकरणों से लैस इनोवा गाड़ी) दौड़ती हुई दिखेंगी। खासतौर से राष्ट्रीय राजमार्गों पर लापरवाही बरतने वाले वाहन चालकों पर इसकी पैनी निगाह रहेगी। ओवरस्पीड वाली गाडियों का चेज एंड चालान होगा। वाहन चालकों को अनुशासन में रखने के अलावा हादसे के दौरान सभी पहलुओं की गहराई से जांच करने के लिए तकनीकी उपकरण भी ट्रैफिक पेट्रोल में होंगे। इसके साथ ही इंटरसेप्टर, रैड स्पीड कैमरा, ई-चालान एवं वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा भी रहेगी।
दिल्ली से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर फिलहाल ट्रैफिक पुलिस के चार-पांच इंटरसेप्टर ही दिखाई पड़ते हैं। दिन और रात के समय लापरवाह वाहन चालकों पर लगातार निगरानी रखी जा सके, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस के पास अलग से कोई वाहन नही है। चेज एंड चालान के लिए करीब छह सौ बाइक हैं, लेकिन ये ज्यादातर भीड़भाड़ वाली सड़कों पर ही नजर आती हैं। राजमार्ग पर ओवरस्पीड या खतरनाक ड्राइविंग करने वाली गाडि़यों का पीछा करने में ये बाइक सक्षम नहीं हैं।
अगर किसी आपात स्थिति में इनका इस्तेमाल किया जाता है तो हादसे की संभावना बनी रहती है। ट्रक, डंपर एवं ट्राला चालक ट्रैफिक पुलिस की इस कमजोरी का खूब फायदा उठाते हैं। उन्हें पता रहता है कि ट्रैफिक पुलिस के बाइकर्स उनका पीछा नहीं कर सकते। यही वजह है कि रात के समय भारी वाहन चालक लेन तोड़कर ओवरस्पीड में चलते हैं। अगर कभी कोई वाहन चालक पकड़ा भी जाता है तो ट्रैफिक पुलिस के पास चालान करने के अलावा अन्य किसी सख्त कार्रवाई का विकल्प नहीं बचता।
वजह, मौके पर ट्रैफिक पुलिस के पास वाहन चालक की लापरवाही का कोई ठोस सबूत नहीं होता। इन सब कारणों के चलते ट्रैफिक पुलिस को 50 गाडि़यां (ट्रैफिक पेट्रोल) मुहैया कराने का निर्णय लिया गया है। सभी गाडि़यों में एक ऐसा उपकरण भी लगा होगा, जिसकी मदद से चंद सेकेंड में किसी भी वाहन की कुंडली निकाली जा सकेगी। भले ही कोई गाड़ी देश के किसी भी हिस्से में क्यों न दर्ज हो। नए लुक में दिखेगी ट्रैफिक पेट्रोल हालांकि ट्रैफिक पेट्रोल देखने में काफी हद तक दिल्ली पुलिस की नई पीसीआर जैसी लगेगी, लेकिन तकनीकी उपकरणों के मामले में उससे यह काफी आगे रहेगी।
इसके उपर दिल्ली पुलिस की जगह ट्रैफिक पेट्रोल लिखा होगा। रात में वाहन चालक दूर से ही इस वाहन को पहचान लेंगे। हादसों को अंजाम देने वाली गाडि़यों की वीडियो रिकाॠर्डिंग होगी वाहनों में तय क्षमता से कहीं ज्यादा सामान लदा होना, वाहन की बाॠडी से बाहर सामान निकलना और फ्लाईओवर पर चढ़ते या नीचे उतरते वक्त वाहनों की रफ्तार ज्यादा होना आदि मामलों में अब ट्रैफिक पेट्रोल की मदद से वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। ट्रैफिक पुलिस के पास जब पुख्ता सबूत होगा तो अदालत में आरोपी को कठोर सजा दिलाई जा सकेगी।
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन और जापान आदि देशों में सड़क हादसों की जांच में कई दर्जन पहलू शामिल किए जाते हैं। हादसे की वैज्ञानिक स्तर जांच के लिए ट्रैफिक पेट्रोल में कई उपकरण रहेंगे। इसके अलावा इनोवा में शराबी चालकों की जांच के लिए एल्कोमीटर भी होगा। रात में वाहनों का चालान हो सके, इसके लिए ट्रैफिक पेट्रोल को रैड स्पीड कैमरे और नाइट इंटरसेप्टर से लैस किया जाएगा। 30 जून तक दिन और रात में हुए जानलेवा सड़क हादसे 2013 दिन में हुए हादसे-435 रात में हादसे-469 2014 दिन में हुए हादसे-399 रात में हादसे-402 तेज रफ्तार व लापरवाही से चलने वाले वाहनों की टक्कर से हुई मौत वाहन 2013 2014 डीटीसी 38 20 ट्रक 125 106 कार 149 134 दुपहिया 83 61 टैंपो 67 50 सड़क हादसों में मारे गए पैदल यात्री 2013-367 हादसों में 369 मरे 2014-344 हादसों में 347 मरे।