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Hindi Newsहुड़दंगी सांसदों, विधायकों का स्वत: निष्कासन होः सुमित्रा महाजन

हुड़दंगी सांसदों, विधायकों का स्वत: निष्कासन होः सुमित्रा महाजन

लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा है कि लोकसभा और  विधानसभाओं की ‘वेल’ में सदस्यों के नहीं आने का नियम है लेकिन सांसद, विधायक वेल में आते हैं और हुड़दंग करते हैं। ऐसे...

हुड़दंगी सांसदों, विधायकों का स्वत: निष्कासन होः सुमित्रा महाजन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 31 Jan 2015 11:55 PM
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लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा है कि लोकसभा और  विधानसभाओं की ‘वेल’ में सदस्यों के नहीं आने का नियम है लेकिन सांसद, विधायक वेल में आते हैं और हुड़दंग करते हैं। ऐसे हुड़दंगी सांसदों और विधायकों का आटोमैटिक निष्कासन हो जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर स्पीकर्स कांफ्रेंस को विचार कर चर्चा करनी चाहिए कि वे इस मामले में कोई नियम बना सकते हैं कि नहीं? इसके लिए स्पीकर को फैसला न देना पड़े। अपने आप निष्कासन से स्पीकर को निर्णय देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे शनिवार को यूपी विधानसभा मण्डप में देशभर के पीठासीन अधिकारियों के दो दिवसीय सम्मेलन (स्पीकर्स कांफ्रेंस) का उद्घाटन कर रही थीं। 

स्पीकर ऊपर से नहीं टपकते
उन्होंने कहा कि ‘वेल’ में सदस्य के आने पर स्पीकर को अधिकार दिए गए हैं। वे सदस्य को बाहर भेज सकते हैं यानी सजा दे सकते हैं। कई बार ऐसा होता है लेकिन स्पीकर भी ऊपर से नहीं टपकते। वे भी चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं। कभी इधर बैठते हैं, तो कभी उधर बैठते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि सदन में शांति रहे। इसके लिए वे कभी अपने कक्ष में बुलाकर सदस्यों को समझाते हैं तो कभी अलग-अलग समझाते हैं। इसके पीछे कोशिश यह रहती है कि सदन में शांति रहे।

संसद व विधानसभा कार्यवाही पर बारीक निगाह
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदस्य हल्ला-गुल्ला के लिए नहीं आए हैं। वे अच्छे कानून और योजनाएं कैसे बनें, उस पर चर्चा करने आए हैं। जहां तक अपने आप निष्कासन की तो अच्छा तो नहीं लगता, क्योंकि वे भी चुने हुए प्रतिनिधि हैं। सदन बाधित करने नहीं आते, वे चर्चा करना चाहते हैं लेकिन लोगों में अब जागृति आ रही है। वे लोकसभा, विधानसभाओं को बारीकी से देखने लगे हैं। लोगों ने नोटा की मांग उठाई और नोटा आ गया। यह लोगों की मांग पर ही आया। ऐसे में हमें भी इस बात पर विचार करके चर्चा करनी होगी कि क्या अपने आप निष्कासन का कोई नियम बनाया जा सकता है या नहीं?

स्पीकर की जिम्मेदारी बढ़ जाती है
महाजन ने कहा कि हमें पूरे देश के बारे में सोचना पड़ेगा। हम केवल एशिया की महाशक्ति नहीं बल्कि विश्व की महाशक्ति हैं। ऐसे में विधानसभा, राज्यसभा, लोकसभा स्पीकर की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। वे पहली बार स्पीकर बनी हैं। सदस्य के रूप में सदन में रहना अलग बात है और सदन चलाना अलग बात है। लेकिन जब हम विदेशों में जाते हैं तो हमसे इंडिया के सदनों में माहौल को लेकर सवाल किए जाते हैं। क्योंकि वहां यह नहीं जानते हैं कि यूपी या अन्य किसी राज्य से आए हैं, वहां तो ये जानते हैं कि इंडिया को प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए एक होकर सोचना पड़ेगा।

पुराने गड़बड़ करेंगे तो नए क्या सीखेंगे?
उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर भी विचार करना होगा कि विधानसभा और लोकसभा की विकास में क्या भूमिका है? इसके लिए सांसदों, विधायकों को ट्रेनिंग दी जा सकती है। नई लोकसभा में 315 नए सांसद आए हैं। ऐसे लोगों से काम लेना है। इसलिए कभी-कभी बोलना पड़ता है कि पुराने गड़बड़ करेंगे तो नए सांसद क्या सीखेंगे? वे पुराने के व्यवहार को देख रहे हैं। ऐसे करके ही हम प्रजातंत्र को सुदढ़ बनाने में सफल होंगे। सदन ठीक चलेगा तो विधायक, सांसद ठीक विचार देने की कोशिश करेंगे।

विकास में राजनीति नहीं
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विकास में राजनीति आड़े नहीं आनी चाहिए। केंद्र में चाहे दूसरी और राज्यों में चाहे दूसरी सरकारें हों। केंद्र और राज्य में संबंध अच्छे रहते हुए विकास की ओर देश को ले जाएं। इससे पूरे देश का विकास होगा। यूपी यदि विकास करता है तो देश भी ऊपर उठेगा। सरकार किसकी यह महत्वपूर्ण नही है। सरकारें अलग हो सकती हैं, लेकिन स्पीकर मिलकर सोच सकते हैं। कोई पार्टी विकास के खिलाफ नहीं हो सकती है। समारोह में राज्यपाल राम नाईक,  मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, देश की तमाम विधानसभाओं और विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों, यूपी के कई सांसदों, विधायकों आदि ने भी भाग  लिया।

लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा--‘स्पीकर्स को भारत के विकास में नया मंत्र फूंकना चाहिए। भारत शक्तिशाली बने, इसके खिलाफ कोई नहीं होगा। कौन से रास्ते से जाना है? कुछ लोग छोटा रास्ता चुनते हैं। रास्ते को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए। सरकार किसकी, यह आड़े नहीं आती। हम मिलकर कैसे काम कर सकते हैं और हमारी भूमिका मिलकर कैसे व्यवस्था परिवर्तन कर सकती है, इस पर भी विचार करना होगा। राज्य मजबूत नहीं होंगे तो केंद्र की सरकार मजबूत नहीं होगी।’ 

 

 

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