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शिक्षा की इच्छा पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती : राज्यपाल

सूबे के राज्यपाल राम नाईक ने सोमवार को यहां कहा कि यूपी में अभी ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो किन्ही कारणों से उच्च शिक्षा से वंचित हैं। इनमें उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा पैदा कर इन्हें...

शिक्षा की इच्छा पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती : राज्यपाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 24 Nov 2014 09:18 PM
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सूबे के राज्यपाल राम नाईक ने सोमवार को यहां कहा कि यूपी में अभी ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो किन्ही कारणों से उच्च शिक्षा से वंचित हैं। इनमें उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा पैदा कर इन्हें शिक्षित करना दूरस्थ शिक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से शुरू किए जा रहे कम्युनिटी कॉलेज की इस दिशा में अहम भूमिका होगी। उन्होंने फाफामऊ स्थित मुक्त विश्वविद्यालय के शैक्षिक परिसर में कम्युनिटी कॉलेज के लिए हुई एक दिनी कार्यशाला का उद्घाटन और दीक्षांत समारोह के शिलापप्त का अनावरण किया।

इस प्रांगण का नाम महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के नाम पर रखा गया है। राज्यपाल बोले की लोग उनसे कहते हैं कि आप देश के सबसे बड़े प्रदेश के राज्यपाल हैं। यहां से 80 लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं। ये बातें सिर्फ कहने-सुनने में ही अच्छी लगती हैं। प्रदेश सबसे बड़ा तब होगा जब यहां शिक्षित लोगों की संख्या अन्य प्रदेशों की तुलना में सबसे ज्यादा होगी। उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि कुलपति प्रो. एमपी दुबे के कुशल निर्देशन में मुक्त विश्वविद्यालय कम्युनिटी कॉलेज के जरिए ऐसे लोगों तक ज्ञान का प्रकाश पहुंचाएगा। विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने कहा कि राजर्षि टंडन के नाम पर बने इस मुक्त विवि के दीक्षांत प्रांगण का नाम महामना मालवीय जी के नाम पर रखना सराहनीय है। यह समन्वय बहुत अद्भुत है।

कुलपति प्रो. एमपी दुबे ने कम्युनिटी कॉलेज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला की रूपरेखा प्रबंधन अध्ययन विद्याशाखा के निदेशक डॉ. ओमजी गुप्त ने रखी। धन्यवाद रजिस्ट्रार डॉ. एके सिंह ने दिया। इस मौके पर मुक्त विवि के पूर्व कुलपति एवं इग्नू के प्रति कुलपति प्रो. नागेश्वर राव,  पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर आदि मौजूद थे।

तीन साल बेचा हूं अखबार:  राज्यपाल
इलाहाबाद

राज्यपाल ने शिक्षा के प्रति ललक के बारे में बोलते वक्त अपना उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि उनके पिता इंटर कॉलेज के अध्यापक थे और जब उन्होंने इंटर कर लिया तो पिता ने कहा कि सिर्फ चार साल की पढ़ाई के लिए ही पैसे दे सकता हूं। राज्यपाल ने कहा कि उनमें शिक्षा पाने की ललक थी इसलिए पैसे का इंतजाम करने के लिए तीन साल तक सुबह दो घंटे अखबार बेचते और शाम को ट्यूशन करते थे। 

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