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हुडा प्लॉट घोटाला: 11 नवंबर को पुन: होनी है मामले की सुनवाई

हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की आरक्षित श्रेणियों में प्लॉट आवंटन घोटाले में की जा रही जांच पर कई बार सवाल खड़े कर चुका है। फटकार के बाद भी हुडा अधिकारियों की कार्यशैली में...

हुडा प्लॉट घोटाला: 11 नवंबर को पुन: होनी है मामले की सुनवाई
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 31 Oct 2014 07:03 PM
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हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की आरक्षित श्रेणियों में प्लॉट आवंटन घोटाले में की जा रही जांच पर कई बार सवाल खड़े कर चुका है। फटकार के बाद भी हुडा अधिकारियों की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आ रहा है। पिछले दिनों अदालत में दाखिल शपथ पत्र में हुडा प्रशासक समेत तकरीबन 10 हुडा अधिकारी प्रत्येक पृष्ठ पर हस्ताक्षर कर रहे लेकिन उसके बाद भी शपथ पत्र में खामियां दिखाई दे रही हैं। यह खामी इसलिए क्योंकि जांच ही लकीर की फकीर की तर्ज पर चल रही हैं।

 दिसंबर 2013 में ही हुडा प्रशासक एके सिंह ने हाईकोर्ट में दाखिल शपथ में दावा किया कि सैन्य श्रेणी के आरक्षित प्लॉट की जांच पूरी हो चुकी हैं। इसके बाद भी आरटीआई कार्यकर्ता-शिकायकर्ता एसके शर्मा में दो बार में सैन्य श्रेणी के कुल 106 आरोपियों की लिस्ट अदालत को सौंपी थी।  तकरीबन 75 सैन्य अधिकारियों के खिलाफ एक से ज्यादा प्लॉट आवंटित कराने का मामला खुद हुडा अधिकारियों ने अदालत में दिए शपथ पत्र में और स्वीकर किया है। जस्टिस दया चौधरी ने सुनवाई के दौरान इस बात पर नाराजगी और हैरानी जताई थी हुडा अधिकारी की जांच में नाम नहीं आ रहे बल्कि उन्हे शिकायकर्ता नाम बता रहा है। उन्होंने उचित ढंग से जांच करने के आदेश के साथ हुडा अधिकारियों के फटकार भी लगाई थी। इसका असर यह हुआ कि अब तक के शपथ पत्र पर सिर्फ मुख्य प्रशासक एके सिंह के हस्ताक्षर होते थे लेकिन अब हाईकोर्ट में दाखिल होने वाले शपथ पत्र में जांच के गठित दो कमेटी प्रत्येक कमेटी के पांच सदस्यों के हस्ताक्षर भी किए जा रहे हैं। उसके बाद भी जांच अनियमिताएं जारी हैं।

एक: पहला मामला
ब्रिगेडियर बलराम यादव केस
शिकायतकर्ता एसके शर्मा के मुताबिक ब्रिगेडियर बलराम यादव ने अपने नाम सेक्टर 43 गुड़गांव में प्लॉट संख्या नंबर 586 पी को गलत शपथ पत्र पर आवंटित कराया। आरोप है कि इस प्लॉट के आवंटन के पहले ही उनकी पत्नी श्रीमती कमल यादव के नाम गुड़गांव के सेक्टर 17 में प्लॉट संख्या नंबर 168 री-अलाटमेंट में था। डिप्टी सुपरिटेंडेंट वन स्वामीचरण के मुताबिक यह प्लॉट 17 मार्च 1980 को सैन्य श्रेणी में बीके बतरा के नाम आवंटित हुआ था। नियमानुसार सैन्य श्रेणी में आवंटन की शर्त है कि आवंटन के वक्त उसके और उसके परिवार के किसी सदस्य के नाम हुडा सेक्टर में प्लॉट नहीं होना चाहिए। इस बाबत उसे शपथ पत्र देना पड़ता है। हालांकि इस मामले में सिर्फ हुडा अधिकारियों ने सिर्फ मूल आवंटन के आधार पर केस को डबल अलाटमेंट की श्रेणी से बाहर कर दिया।

दो: दूसरा मामला
भगवान दास सरोहा केस
भगवान दास सरोहा के खिलाफ शिकायतकर्ता ने दो प्लॉट आरक्षिण श्रेणी में आवंटित कराने की शिकायत की थी। जांच में हुडा अधिकारियों ने अदालत को बताया कि गुड़गांव के सेक्टर 40 स्थित प्लॉट नंबर 845 राज्य कर्मचारी श्रेणी में भगवान दास सरोहा के नाम आवंटित है जबकि प्लॉट नंबर 726/3 रोहतक भगवान दास के नाम नहीं है। हालांकि हुडा अधिकारी गंभीरता से जांच करते तो शिकायकर्ता से हुई गलती को पकड़ लेते थे। शिकायकर्ता ने भूलवश सेक्टर एक की जगह तीन लिख दिया था।
तीन: तीसरा मामला
जय भगवान दहिया मामला
सैन्य श्रेणी में जयभगवान दहिया ने रोहतक सेक्टर 4 में प्लॉट नंबर 173 का आवंटन कराया। हालांकि उनकी पत्नी के कांता दहिया के पास रीसेल में प्लॉट नंबर 1220 सेक्टर 15 सोनीपत में था। हालांकि हाईकोर्ट में दिए शपथ पत्र में हुडा प्रशासक द्वारा गठित कमेटी के सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर के साथ यह दावा किया कि सेक्टर 15 के प्लॉट नंबर 1220 की फाईल उपलब्ध नहीं है। हालांकि उन्ही डिपार्टमेंट के अधिकारी यशपाल ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि प्लॉट आरएल गलहोत्र के नाम आवंटित नाम आवंटित है जिसे री सेल में कांता पत्नी जयभगवान ने खरीदा है। अब सवाल उठता है कि शपथ पत्र में इसका जिक्र क्यों नहीं?

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