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मनेरगा सबसे महंगी और विफल योजना रही : मेनका गांधी

नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने यूपीए-1 की प्रमुख परियोजना मनेरगा के जरिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तीखा प्रहार किया। मेनका ने पिछली यूपीए सरकार की...

मनेरगा सबसे महंगी और विफल योजना रही : मेनका गांधी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 18 Oct 2014 08:34 PM
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नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने यूपीए-1 की प्रमुख परियोजना मनेरगा के जरिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तीखा प्रहार किया। मेनका ने पिछली यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनेरगा को सबसे महंगी विफलता बताया। ये बात उन्होंने एक चैनल के कार्यक्रम के दौरान कही। उनके मुताबिक, कांग्रेस सरकार ने इस योजना की ठीक तरह से निगरानी नहीं की और न ही किसी को पैसे चुराने के लिए कभी दंडित किया। इसने सिर्फ भ्रष्टाचार पैदा किया।

कांग्रेस ने जो भी योजनाएं शुरू कीं, उनसे शायद ही भारत में कोई बदलाव महसूस किया गया हो। योजना ने हस्तशिल्प को नष्ट किया उन्होंने कहा कि इस योजना ने किसी गरीब का भला नहीं किया। ये सिर्फ सांस्कृतिक ढांचे और हस्तशिल्प व कारीगरों को नष्ट करने के लिए शुरू की गई। इसने बनारस में कालीन और सिल्क उद्योग को पूरी तरह खत्म कर दिया है। मेनका ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मनरेगा स्कीम में शामिल फंड के काफी सारे पैसों का इस्तेमाल सरपंच चुनाव जीतने के लिए पैसों और शराब पर किया गया ताकि मनरेगा फंड को नियंत्रित किया जा सके।

मनरेगा में बदलाव की संभावना मोदी सरकार ने यूपीए सरकार की महत्वकांक्षी योजना मनरेगा में बदलाव करने के लिए कमर कस ली है। मिली जानकारी के मुताबिक, इस सिलसिले में ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री को पत्र लिखा है। गडकरी ने स्पष्ट कहा है कि इस योजना का फायदा केवल पिछड़े जिलों और आदिवासी इलाकों में रहने वाले निवासियों को ही मिले। मनरेगा को कमजोर न करने का आग्रह कर चुके हैं अर्थशास्त्री देश के कई प्रमुख अर्थशास्त्री भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस योजना को लेकर आग्रह कर चुके हैं कि मनरेगा के प्रावधानों को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इस योजना के जरिए लाखों गरीबों को आर्थिक सुरक्षा मिली हुई है।

आपको बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत में लागू एक रोजगार गांरटी योजना है, जिसे सभी राजनीतिक दलों के सहयोग से 25 अगस्त, 2005 में कानून बनाया गया था।

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