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हिंदुस्तान की खबर से दस साल बाद मिला दिल्ली का समीर

गाजियाबाद। अमरेंद्र कुमार। हिंदुस्तान में छपी एक खबर ने दस साल बाद दिल्ली से खोए एक बच्चे को अपने मां बाप से मिलाया है। इस बच्चे को दिल्ली से एक फरेबी फकीर ने अगवा कर लिया था और उसका अंगूठा काटकर भीख...

हिंदुस्तान की खबर से दस साल बाद मिला दिल्ली का समीर
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Oct 2014 12:25 AM
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गाजियाबाद। अमरेंद्र कुमार। हिंदुस्तान में छपी एक खबर ने दस साल बाद दिल्ली से खोए एक बच्चे को अपने मां बाप से मिलाया है। इस बच्चे को दिल्ली से एक फरेबी फकीर ने अगवा कर लिया था और उसका अंगूठा काटकर भीख मंगवा रहा था।

उसे गाजियाबाद पुलिस ने खोए बच्चों को ढूंढ़ने के लिए चलाए गए ऑपरेशन स्माइल के तहत जयपुर से बरामद किया है। बच्चे के शरीर के कुछ निशानों के जरिए मां बाप ने उसे पहचान लिया है। बुधवार को उन्हें अपना बच्चा मिल जाएगा। दस साल से समीर के घर में ईद नहीं मनी है।

उसकी अम्मी मुमताज और अब्बा अमीरुद्दीन बोले अब वे अगली ईद धूमधाम से मनाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के सवाल पर चिंता जताते हुए जिस तरह से कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है उससे अभिशप्त जिंदगी जीने वाले बच्चों में उम्मद जगी है।

समीर के मामले को उस कड़ी से जोड़कर देखा जा सकता है। इस पुरस्कार के बाद से पहली बार बच्चों के लिए प्रदेशव्यापी अभियान इसी का हिस्सा है। गाजियाबाद पुलिस ने 6 अक्टूबर को उसे जयपुर से बरामद किया। उसे कुछ दिन पहले बरामद हुए बच्चों के साथ वसुंधरा के लालबहादुर शास्त्री सुदर्शन बाल आश्रय में रखा गया। 11 अक्टूबर के अंक में हिन्दुस्तान ने इस समाचार को तस्वीर के साथ प्रकाशित किया। समीर के एक रिश्तेदार ने इस खबर को उसके माता पिता को दिखाया तो उनकी आंखें चमक उठीं।

वे अखबार की कटिंग लेकर गाजियाबाद पहुंचे। समीर का घर मोहल्ला कटरा हिद्द्, फराश खाना थाना लाहौरी गेट दिल्ली-6 में पड़ता है। वह जब गायब हुआ तो अपने मां बाप का बड़ा बेटा था। उससे छोटी एक बहन थी जो अब 12 साल की हो गई है। गुजरे दस वर्षों में समीर के भाई बहन की संख्या चार पहुंच गई है। गाजियाबाद पहुंचकर जैसे ही उसकी अम्मी, अब्बा ने उसे देखा वे उसके गले लगकर खूब रोए। यद्यपि दस साल में समय के साथ समीर का हुलिया बहुत बदल गया है पर उन्हें उसे पहचानते देर न लगी।

समीर ने बताया कि उसे फुसलाकर ले जाने वाले फकीर ने अजमेर में भीख मंगवाई। दूसरे दिन भीख मांगने नहीं जा रहा था तो पैर का अंगूठा काट दिया। जिस दिन 200 रुपये से कम उसे देता था फकीर जालिमों की तरह पीटता था। तीन साल की यातना के बाद किसी तरह बचकर जयपुर पहुंचा तो सलमा नाम की महिला से मुलाकात हुई और उसने कूड़ा बीनने में लगा दिया। मां ने कहा बेटे के लिए देश के कोने-कोने में दरगाहों पर जाकर दुआ करते रहे।

उनकी दुआ काम आ गई। पेशे से बिजली मोटर मैकेनिक अमीरुद्दीन ने बताया कि उनका बेटा समीर 5 जुलाई 2004 को टॉफी लेने गया था फिर नहीं लौटा। लाहौरी गेट थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। पंफलेट छपवाए। सूचना देने पर पांच हजार का इनाम देने का इश्तहार दिया लेकिन मायूसी ही हाथ लगी। उन्हें पिछले दिनों हिंदुस्तान की ओर से खोए बच्चों की बरामदगी की खबर और तस्वीर छपने से यह जानकारी मिली। जिन बच्चों की तस्वीर अखबार ने छापी थी उनमें एक समीर भी था।

मैंने आस नहीं छोड़ी थी : मुमताज समीर की मां मुमताज कहती हैं कि आज मेरा परिवार पूरा हो गया। आंसू रोकते हुए बोलीं, मैंने आस नहीं छोड़ी थी। मेरा दिल कह रहा था कि वह एक दिन जरूर मिलेगा। समीर के मामा साबिर ने हिन्दुस्तान को शुक्रिया कहा। साबिर ने बताया कि एक रिश्तेदार ने हिन्दुस्तान में यह खबर पढ़ी और हम लोगों को बताया। पहले विश्वास नहीं हुआ, लेकिन तुरंत गाजियाबाद आ गए और समीर को देखते ही सारे जहां की खुशी मिल गई।

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