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हाईकोर्ट ने डीडीओ के तबादले के स्टेआर्डर को किया खत्म

मिर्जापुर। निज संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने गुरुवार को जिला विकास अधिकारी वंशीधर सरोज के स्थानांतरण आदेश पर पूर्व में दिए गए स्टे आर्डर को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले...

हाईकोर्ट ने डीडीओ के तबादले के स्टेआर्डर को किया खत्म
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 10 Oct 2014 12:13 AM
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मिर्जापुर। निज संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने गुरुवार को जिला विकास अधिकारी वंशीधर सरोज के स्थानांतरण आदेश पर पूर्व में दिए गए स्टे आर्डर को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले से अब डीडीओ के स्थानांतरण के साथ ही पूर्व में ग्राम विकास अधिकारी के रिक्त पदों पर की गयी नियुक्तियों पर भी संकट के बादल छा गए हैं।

यदि हाईकोर्ट 14 अक्तूबर की सुनवाई में नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश जारी करता है तो 60 युवक-युवतियों का भविष्य अंधकार में हो जाएगा। जिला विकास अधिकारी वंशीधर सरोज के लिए दफ्तर के लिपिक मो. जाफर से भिड़ना भारी पड़ गया। मो. जाफर की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने गुरुवार को पूर्व में डीडीओ के कौशांबी के लिए किए गए स्थानांतरण के स्टे आर्डर को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से एक सप्ताह के अंदर डीडीओ के खिलाफ कार्रवाई करके अवगत कराने का निर्देश दिया है।

कोर्ट के इस फैसले से अब जहां डीडीओ का मिर्जापुर से स्थानांतरण तय हो गया है। वहीं पूर्व में की गयी ऊर्दू अनुवादक और चालक के साथ ही ग्राम विकास अधिकारी के पद पर की गयी नियुक्तियां भी फंस गयी। अब इन पदों पर की गयी नियुक्ति के सम्बध में यदि 14 अक्तूबर को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट अवैध घोषित कर देता है तो 60 से अधिक युवक-युवतियों का नौकरी पाने का सपना चकनाचूर हो जाएगा। डीडीओ ने बीते चार माह के अंदर ऊर्दू अनुवादक और चालक के दस पदों के साथ ही ग्राम विकास अधिकारी के 52 रिक्त पदों पर आनन-फानन में साक्षात्कार लेने के बाद नियुक्ति पत्र जारी कर दिया था।

हालांकि पूर्व में तत्कालीन कमिश्नर बीके सिंह और डीएम अनिल ढींगरा ने भी डीडीओ के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा था। लेकिन हाईकोर्ट के स्टेआर्डर के चलते शासन से कोई कार्रवाई नहीं की गयी। स्टेआर्डर समाप्त होने के बाद अब शासन को कार्रवाई करने का मौका मिल गया।

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