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पंचों के फैसले से संकट में विवाहिता की जिंदगी

मैनपुरी, हिन्दुस्तान संवाद। पश्चिमी यूपी की खाप पंचायतों की तरह मैनपुरी में भी हुई एक पंचायत ने विवाहिता को संकट में डाल दिया है। बीमार पति से शादी का विवाद पंचों के सामने पहुंचा तो पंचों ने पहले पति...

पंचों के फैसले से संकट में विवाहिता की जिंदगी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 01 Oct 2014 12:44 AM
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मैनपुरी, हिन्दुस्तान संवाद। पश्चिमी यूपी की खाप पंचायतों की तरह मैनपुरी में भी हुई एक पंचायत ने विवाहिता को संकट में डाल दिया है। बीमार पति से शादी का विवाद पंचों के सामने पहुंचा तो पंचों ने पहले पति को अयोग्य कर विवाहिता को देवर के हवाले कर दिया। सामाजिक मान मर्यादा की दुहाई देते हुए बिना फेरे कराए इस रिश्ते को हरी झंडी दे दी गई।

मगर इस पंचायत का कोई हल नहीं निकला। देवर ने पति धर्म कुछ दिन तो निभाया लेकिन अब वो दूसरी शादी करने पर आमादा है। परेशान विवाहिता ने न्याय के लिए एसपी की शरण ली है। मामला कुछ इस तरह है। औंछा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी रामा पुत्री हरीमोहन (काल्पनिक नाम) की शादी 8 फरवरी 2014 को सैफई थाना क्षेत्र के गांव नगला पम्मी निवासी नरेन्द्र कुमार पुत्र शोभाराम के साथ हुई थी। रामा जब ससुराल पहुंची तो पता चला कि उसका पति बीमार है और वो पति धर्म का पालन करने की स्थिति में नहीं है।

रामा ने ये बात अपने मायके पक्ष के लोगों को बताई तो वे लोग ससुराल पहुंचे और बीमार युवक से शादी कराने पर रोष प्रकट किया। दोनों पक्षों की सहमति के बाद गांव के लोगों ने पंचायत बुलाई। ससुरालीजनों की सहमति के बाद पंचों ने बीमार पति को अयोग्य बताकर रामा को उसके देवर गिरंद के साथ वैवाहिक जीवन जीने की इजाजत दे दी। हालांकि रामा ने इस फैसले का विरोध किया लेकिन ससुरालीजनों के दबाव में रामा ने पंचों के फैसले को मानकर देवर के साथ रहने लगी।

छह माह तक देवर ने रामा को पत्नी बनाकर रखा लेकिन एक माह पूर्व देवर गिरंद दूसरी शादी करने पर आमादा है। इनसेट सुलह समझौता केन्द्र पर नहीं हो सका फैसला मैनपुरी। पीडि़ता ने एसपी को शिकायती पत्र देकर कहा कि देवर सास, ससुर और ननद के दबाव में शादी कर रहा है और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दे रहा है। पंचों ने पहले जो फैसला कर दिया था उसे विवाहिता ने तो मान लिया लेकिन अब उसके कथित पति के फैसले से उसका जीवन संकट में पड़ गया है।

एसपी ने सुलह समझौता केंद्र को ये मामला सौंप दिया। मंगलवार को हुई सुनवाई में भी उसका कोई हल नहीं निकल सका। नोट: खबर के साथ एक केरीकेचर लगा दें।

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