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राज्यपाल सर, स्कूल में पीने का पानी भी नहीं है

लखनऊ। कार्यालय संवाददाता। राज्यपाल सर, हमारे स्कूल में एक से पांचवीं तक की क्लास है। 210 बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन कमरा एक ही है। सभी बच्चे एक साथ बैठते हैं। क्या पढ़ाई हुई कुछ समझ में नहीं आता। मैडम भी...

राज्यपाल सर, स्कूल में पीने का पानी भी नहीं है
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 23 Sep 2014 12:44 AM
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लखनऊ। कार्यालय संवाददाता। राज्यपाल सर, हमारे स्कूल में एक से पांचवीं तक की क्लास है। 210 बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन कमरा एक ही है। सभी बच्चे एक साथ बैठते हैं। क्या पढ़ाई हुई कुछ समझ में नहीं आता। मैडम भी दो हैं। पर एक हमेशा छुट्टी पर रहती हैं...। राज्यपाल सर, हमारे स्कूल में कमरे की बहुत जरूरत है।

प्लीज कमरा दिलवा दीजिए। इतना कहने के बाद सरकारी प्राइमरी स्कूल बर्फखाना के पांचवीं के छात्र हसनैन ने एक गहरी सांस ली और हसरत भरी निगाहों से राज्यपाल के जवाब का इंतजार करने लगा। मुद्दा गंभीर था लेकिन माहौल को कुछ हलका करने के लिए राज्यपाल राम नाईक ने भी एक बच्चे के ही अंदाज में एक सवाल पूछ लिया। ....तो यह बताओं की क्लास चाहिए या मैडम ? सर... दोनों दिलवा दीजिए बहुत जरूरत है। हसनैन ने भी तपाक से जवाब दिया।

मौका था स्वयं सेवी संस्था विज्ञान फाउंडेशन की ओर से आयोजित राज्यपाल से संवाद कार्यक्रम का। राजभवन में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाईक ने न केवल शहर के विभिन्न सरकारी प्राइमरी स्कूल से आए बच्चों से बात की। बल्कि, उनकी शिकायतों को सुना भी। इन बच्चों के लिए राजभवन में पहुंचकर अपनी बात को रखने का यह पहला मौका था। इन्होंने इसका भरपूर इस्तेमाल भी किया। कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के 100 बच्चों ने भाग लिया । इसमें, दस ने सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मौजूद शिकायतों को उठाया।

इसमें, पीने के पानी, शौचालय, बैठने के लिए फर्नीचर, शिक्षकों की कमी जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। इस अवसर पर बच्चों की ओर से राज्यपाल को एक स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया। प्राइमरी स्कूल मटियारी की स्वाती, प्राइमरी स्कूल गणेशपुर के अंकुर, प्राइमरी स्कूल छावनी मडि़यांव की मुस्कान, छात्र सैफ , प्राइमरी स्कूल अदिलनगर की निदा और प्राइमरी स्कूल मुसाहबगंज के समीर ने भी अपने मुद्दों को रखा।

छोटे-छोटे बच्चे के कुछ बड़े-बड़े मुद्दे मुद्दा - एक : काजल, कक्षा- 5, प्राइमरी स्कूल नौबस्ता कलां सर, हमारे स्कूल में एक कमरा कम है।

स्कूल में पंखा भी नहीं है और बिजली भी नहीं है। गर्मियों में स्कूल आने का मन नहीं करता है। सर, हमारे स्कूल में बिजली लगवा दीजिए । मुद्दा -दो : विवेक, कक्षा -5, प्राइमरी स्कू ल मानपुरलाला सर, हमारे स्कूल में हैंडपंप नहीं है। पानी की टंकी नहीं भर पाती है। इसलिए शौच के लिए मैदान में जाना पड़ता है। एक हैंडपंप लगवा दीजिए। पीने के पानी के लिए भी भटकना नहीं पड़ेगा। मुद्दा- तीन : शीलू, कक्षा-5 , प्राइमरी स्कूल भिठौली मेरे स्कूल में खाना अच्छी नहीं बनता।

उसमें रोज कीड़े निकलते हैं। पीने का पानी भी गंदा आता है। उसमें भी कीड़े निकलते हैं। पांख भी नहीं है। बहुत गर्मी लगती है।

राज्यपाल अंकल, ऐसे बेहतर हो सकते हैं हमारे स्कूल इस संवाद के निचोढ़ के रूप में बच्चों की ओर से राज्यपाल को एक मांग पत्र भी सौंपा गया। इसमें छह मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया। - सरकारी प्राइमरी स्कूल को छात्रसंख्या के अनुपात में पूर्णकालिक शिक्षक मिलें। - सभी स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए जलयुक्त शौचालय बनाये जाए।

सुरक्षित पेेय जल की सुविधा हो। - स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए उचित फर्नीचर की व्यवस्था की जाए। - बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित हो। - ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे बच्चों की समस्याओं का तत्काल निराकरण शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के अनुरूप हो सके।

राज्यपाल सर की क्लास में हुई जमकर मस्ती संवाद में शिकायतों के दौर के बाद राज्यपाल सर की क्लास भी खूब चली। बच्चों की समस्याओं को न केवल हल बताया बल्कि उन्हें सीख भी दी।

बच्चों को मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री की न केवल कार्यप्रणाली के बारे में समझाया। बल्कि, कई सवाल भी दागे। उन्होंने बच्चों की समस्याओं को स्थानीय सांसद और विधायक के सामने उठाए जाने की सलाह दी। साथ ही, अपने स्तर पर इस मुद्दे को केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों के सामने रखने का आश्वासन दिया।

इसके लिए सभी विधायकों और सांसदों को निधि दी गई है। उन्होंने आयोजक स्वयं सेवी संस्था को 11 अक्टूबर तक का समय दिया। इस दौरान वह इस मुद्दे को अपने स्थानीय सांसद और विधायक के समक्ष प्रस्तुत करेंगी। इसकी रिपोर्ट 11 अक्टूबर तक देनी होगी।

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