ऊर्जांचल के वायुमण्डल में खतरनाक धूल की मात्रा बेकाबू
अनपरा। निज संवाददाता। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बावजूद ऊर्जांचल में धूल की मात्रा बेकाबू है। जलस्रोतों में भी कई स्थानों पर मानक से काफी कम आक्सीजन है, वहीं...
अनपरा। निज संवाददाता। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बावजूद ऊर्जांचल में धूल की मात्रा बेकाबू है। जलस्रोतों में भी कई स्थानों पर मानक से काफी कम आक्सीजन है, वहीं कोलाईफार्म मानक से बेहद ज्यादा खतरनाक स्तर तक पहुंच गये हैं। अलबत्ता रासायनिक एवं खतरनाक आर्गेनिक तत्व कमोबेश नियंत्रण में है, जो कुछ सकून की बात है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से ऊर्जांचल के औद्योगिक क्षेत्रों के ईद-गिर्द लगभग दर्जनभर से अधिक स्थानों पर हैदराबाद की बीए लैब से चालू साल 2014 में कराये गये सर्वेक्षण की ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वायुमण्डल में 10 माईक्रोन से कम आकार के विविक्त पदार्थ (पीएम 10) और 2.5 माईक्रोन से कम पीएम 25 मानक से बेहद ज्यादा है, जो क्षेत्रवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घण्टी है। अनपरा टाइप तृतीय कालोनी में पीएम10 178 म्यूजी/घनमीटर पीएम 25 62 म्यूजी/घनमीटर तक ऊंच्च स्तर पर पाये गये। पर्यावरणीय मानक (एनएएक्यू) के तहत यह क्रमश: 100 व 60 म्यूजी/घनमीटर तक होने चाहिए थे। ओबरा गेस्टहाऊस के निकट लिये नमूनों में ऊर्जान्चल में सर्वाधिक बुराहाल पाया गया जहां पीएम10 मानक से दो गुने से अधिक 202 म्यूजी/घनमीटर तक पाया गया।
खडि़या एक्सपर्ट हास्टल के निकट लिये नमूनें में यह 251म्यूजी/घनमीटर तक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। दुद्धीचुआ गेस्टहाऊस, मेन मार्केट रिहन्द नगर, रेणुकेश्वर मंदिर, डाला गेस्टहाऊस, निगाही एनसीएल आवासीय परिसर, विन्ध्याचल आवासीय परिसर, सभी स्थानों पर वायुमण्डल में यह धूल के खतरनाक कण स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को खतरा बन रहे हैं। इन स्थानों पर हालांकि आर्सेनिक, लेड, बेन्जोपाइरिंन, अमोनिया, कार्बन मोनो आक्साइड, ओजोन के हालात अलबत्ता राहत भरे हैं और जांच में किसी भी स्थान पर नमूनों में यह मानक के भीतर ही पाये गये हैं।
जलस्रोतों का भी हाल मिलाजुला है। पीएच मानक के तहत कमोबेश सभी जल स्त्रोंतों में है और खतरनाक लेड, मरकरी, आर्सेनिक भी निर्धारित मानक के भीतर पाये गये हैं। किसी भी स्थान पर पानी में खतरनाक पेस्टीसाइड आदि भी नहीं मिले लेकिन बलियानाला कौआनाला, सोननदी से लेकर रिहन्द नदी (सिंगरौली-रिहन्दनगर मार्ग पर ब्रिज के पास) में जहां घुलनशील आक्सीजन निर्धारित मानक से बेहद कम है वहीं अनेक स्थानों पर कोलाइफार्म 10 गुने से भी ज्यादा पाया जाना खतरे की बात माना जा रहा है।
रिहन्द नदी में कोलाईफार्म एमपीएन/100 एमएल 50 से कम होने की जगह 600 से अधिक पाये गये और घुलनशील आक्सीजन 6 एमएल/लीटर की जगह महज आधी के लगभग ही मौजूद है। इनसेट समाचार घातक रोगों की आशंका बढ़ी अनपरा। पीएम 10 और पीएम 25 के वायुमण्डल में मानक से अधिक होने से अस्थमा, एलर्जी, तपेदिक जैसे रोगों की आशंका अधिक होती है। वहीं बेहद सूक्ष्म ये कण यदि एसबस्टेस और क्वार्टज जैसे तत्वों के हों तो कैंसर जैसे रोग भी लोगों को गिरफ्त में ले सकते हैं। खून में भी इनके द्वारा लेड आदि का प्रवेश हो सकता है।