फोटो गैलरी

Hindi Newsमनमानी फीस पर स्कूलों पर लगेगी लगाम

मनमानी फीस पर स्कूलों पर लगेगी लगाम

नई दिल्ली। कार्यालय संवाददाता। देशभर में निजी स्कूलों की फीस तय करने के एक जैसे नियम नहीं है। दिल्ली स्कूल एजेकुशन एक्ट स्कूलों को फीस बढ़ाने का अधिकार देता है। ऐसे में स्कूल मनमानी फीस वसूलते हैं।...

मनमानी फीस पर स्कूलों पर लगेगी लगाम
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 16 Sep 2014 01:07 AM
ऐप पर पढ़ें

नई दिल्ली। कार्यालय संवाददाता। देशभर में निजी स्कूलों की फीस तय करने के एक जैसे नियम नहीं है। दिल्ली स्कूल एजेकुशन एक्ट स्कूलों को फीस बढ़ाने का अधिकार देता है। ऐसे में स्कूल मनमानी फीस वसूलते हैं। अब इन स्कूलों की बढ़ती फीस पर लगाम लगेगी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने केंद्र सरकार को बढ़ती फीस व अन्य शुल्क पर निगरानी के लिए स्वतंत्र नियामक संस्था बनाने की सिफारिश की है। आयोग की अध्यक्ष कुशल सिंह ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संदर्भ में ऐसी संस्था गठित करने की सिफारिश की है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है मंत्रालय स्वतंत्र नियामक संस्था बनाने के लिए जल्द ही सहमति बना सकता है। इस संबंध में शिक्षा विभाग से सुझाव मांगे गए हैं। बहरहाल, सिफारिश में लिए जाने वाले शुल्क व फीस की तर्कसंगत सीमा तय करने के लिए भी कहा गया है। एनसीपीसीआर की अध्यक्ष ने कहा कि ये स्कूल (गैर-सहायता प्राप्त) उन दूसरी गतिविधियों के नाम पर भी अतिरिक्त पैसे ले रहे हैं जो शिक्षा के संपूर्ण दायरे में नहीं आतीं।

उन्होंने कहा कि एक नियामक व्यवस्था होने से स्कूलों को शिक्षा के बुनियादी ढंाचे के लिए अत्यधिक और तर्कहीन ढंग से शुल्क लेने की इजाजत नहीं मिल पाएगी। इतना ही नहीं, पत्र में शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम-2009 के तहत शिक्षा के संदर्भ में बाल अधिकार सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। इसे विशुद्ध रूप से पैसे बनाने की इकाइयों में तब्दील नहीं किया जा सकता।

मौजूदा समय में गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों की ओर से मनमाना शुल्क लिया जा रहा है? इसका स्कूलों के बुनियादी ढांचे एवं शिक्षा की गुणवत्ता से कोई वास्ता नहीं है। दिल्ली में बेअसर कानून: दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट का सेक्शन-17 स्कूलों को फीस बढ़ोत्तरी का अधिकार देता है। इसके लिए स्कूलों को फीस बढ़ाने व अन्य शुल्क लेने का वाजिब कारण बताना होता है। ऐसे में हर साल स्कूल 10 से 50 फीसदी फीस बढ़ाते हैं। उधर, दिल्ली की शिक्षा निदेशक पद्मिनी सिंघला का कहना है कि कानून के मुताबिक फीस में इजाफा होता है।

स्कूलों की गवर्निंग बॉडी में निदेशालय के अधिकारी बतौर सदस्य होते हैं। फीस में कितना इजाफा होना है कितना नहीं, उसमें अधिकारियों की राय ली जाती है। उसके बाद स्कूल कारण बताकर रिपोर्ट निदेशालय को सौंपते हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें