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एक ईंट भी जुड़ी नहीं, दो करोड़ हो गई लागत

बोकारो। कृष्णा चौधरी। चार साल में भी श्रम नियोजन व प्रशिक्षण विभाग बोकारो में अपना भवन बनाने के लिए एक ईंट भी नहीं जोड़ पाया और योजना का प्राक्कलन एक करोड़ से बढ़कर सवा दो करोड़ हो गया है। अब इस...

एक ईंट भी जुड़ी नहीं, दो करोड़ हो गई लागत
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 28 Aug 2014 01:21 AM
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बोकारो। कृष्णा चौधरी। चार साल में भी श्रम नियोजन व प्रशिक्षण विभाग बोकारो में अपना भवन बनाने के लिए एक ईंट भी नहीं जोड़ पाया और योजना का प्राक्कलन एक करोड़ से बढ़कर सवा दो करोड़ हो गया है।

अब इस वर्ष भी नए शेड्यूल के हिसाब से इसमें करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी, जिससे इसकी राशि अब सवा दो करोड़ से बढ़कर ढाई करोड़ हो जाएगी। अब तक शुरू नहीं हुई 2010 की योजना वर्ष 2010 में श्रम नियोजन व प्रशिक्षण विभाग ने जब जिले में भवन बनाने की योजना पर काम शुरू किया तब इसकी प्रकाक्कलित राशि करीब एक करोड़ थी। वर्तमान में यह बढ़कर करीब सवा दो करोड़ हो गई है। फिर नए शेड्यूल की पेंच में फंसा मामला भवन निर्माण के लिए नए संशोधित प्राक्कलन का अभी श्रम विभाग व प्रशासिन विभाग रांची से प्रशासनिक स्वीकृति मिली भी नहीं है कि यह मामला 1 अप्रैल के नए शेड्यूल में आकर फंस गया।

इस शेड्यूल के आधार पर उक्त राशि में 20 फीसदी राशि में और बढ़ोतरी करनी पड़ेगी। ऐसे में भवन निर्माण का काम एक बार फिर उलझ जाएगा। क्योंकि भवन प्रमंडल को कुल राशि पर 20 फीसदी राशि बढ़ोतरी की स्वीकृति लेने के लिए विभाग को पत्र लिखना पड़ेगा। यानी भवन बनाने में जितना देर होगा, उतनी राशि बढ़ती जाएगी। क्या है भवन निर्माण का खेल यह योजना वर्ष 2010 की है। श्रम विभाग, रांची ने 7 दिसंबर 2010 में उपायुक्त को भवन निर्माण के लिए 1 करोड़ भेजा।

28 फरवरी को राशि की निकासी कर भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता बुक ट्रांसफर के माध्यम से हस्तगत कराया गया। कार्यपालक अभियंता ने इतनी राशि में भवन बनाने में असमर्थता जाहिर की। संशोधित प्राक्कलन और तकनीकी स्वीकृति के लिए विभाग ने 6 जुलाई 2013 को मुख्य कार्यपालक अभियंता, रांची को भेजा। वहीं, विभाग भवन प्रमंडल बोकारो ने श्रम विभाग रांची को संशोधित प्रस्तावित राशि 2 करोड़ 14 लाख 27 हजार की तकनीकी स्वीकृति व प्रशासनिक स्वीकृति के लिए 6 सितंबर 2013 को भेजा।

झेल रहा है उपेक्षा का दंश कैंप दो स्थित श्रम नियोजन का कार्यालय 1972 के पहले से ही बीएसएल के भाड़े के मकान में चल रहा है। भवन की दशा खराब है। जगह के अभाव में जहां-तहां जरूरी कागजत पड़े रहते हैं। श्रम औजार अधिकारी के कमरे में पड़ रहा है। बताया जाता है कि पूरे झारखंड में बोकारो सहित एक आध जिला छोड़, सबका अपना कार्यालय है। वर्जन दो साल पहले प्रशासनिक स्वीकृति के लिए श्रम विभाग रांची को पत्र भेजा गया है।

आदेश नहीं आने के चलते भवन का टेंडर नहीं हो पा रहा है। एक करोड़ रुपए विभाग में आकर पड़ा है। आरके राणा, कार्यपालक अभियंता, भवन प्रमंडल भवन निर्माण के लिए तकनीकी व प्रशासिक स्वीकृति लेना भवन प्रमंडल का काम है। इसके लिए उसे पहल करनी चाहिए। स्टोर रूम के अभाव में सामान रखने में दिक्कत होती है। अजीत कुमार पन्ना, उप श्रमायुक्त।

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