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जांच को पहुंचे निदेशक, रिमांड होम अधीक्षक निलंबित

मुजफ्फरपुर। वरीय संवाददाता। बालबंदी रुपेश कुमार उर्फ अनूप की संदिग्ध अवस्था में हुई मौत की जांच करने मंगलवार शाम आए समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने रिमांड होम अधीक्षक धर्मेन्द्र कुमार को निलंबित कर...

जांच को पहुंचे निदेशक, रिमांड होम अधीक्षक निलंबित
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 21 Aug 2014 01:22 AM
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मुजफ्फरपुर। वरीय संवाददाता। बालबंदी रुपेश कुमार उर्फ अनूप की संदिग्ध अवस्था में हुई मौत की जांच करने मंगलवार शाम आए समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने रिमांड होम अधीक्षक धर्मेन्द्र कुमार को निलंबित कर दिया।

उपाधीक्षक अभिमन्यु कुमार यादव को रिमांड होम का प्रभारी अधीक्षक बनाया गया है। निदेशक ने तीन अतिरिक्त निजी सुरक्षा गार्ड तैनात करने व अधीक्षक कार्यालय रिमांड होम में ही रखने का आदेश दिया है। गृहपति व अन्य अधिकारी भी अब रिमांड होम में ही रहेंगे।

उम्र सीमा के अनुसार बालबंदियों को कमरा देने को भी कहा गया है। पटना से आए निदेशक इमामुद्दीन अहमद के सामने अधीक्षक बीमारी की मेडिकल रिपोर्ट लेकर पहुंचे। रिपोर्ट को खारिज करते हुए निदेशक ने उन्हें निलंबित कर दिया।

जांच में यह खुलासा हुआ कि 12-13 अगस्त का अवकाश अधीक्षक ने लिया था। 17 अगस्त की शाम तक वह नहीं लौटे। सीनियर अधिकारी द्वारा मोबाइल पर बार-बार संपर्क करने के बावजूद बात नहीं की। दूसरे नंबर से कॉल करने पर अधीक्षक ने मोबाइल रिसीव कर लिया। जांच में सामने आया कि 10 अगस्त को गया से रुपेश के आने के बाद उसका मेडिकल चेकअप अधीक्षक ने नहीं कराया। निदेशक ने कहा कि अब उम्र सीमा के अनुसार बालबंदियों को कमरे दिए जाएंगे।

12 साल तक के बालबंदी एक कमरे में रहेंगे। दूसरे में 12 से 14 साल, तीसरे में 14 से 16 व चौथे कमरे में 16 से 18 उम्र तक के बालबंदियों को रखा जाएगा। शिक्षा व स्वास्थ्य की देखभाल को लेकर भी बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक रोजी रानी व अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया गया। पुलिसकर्मियों के कमरों को खाली कराते हुए रिमांड होम में ही उन्हें दूसरी जगह दी गई है। खाली कराए गए कमरों में गृहपति व अन्य अधिकारियों को रहने का आदेश दिया गया।

जांच के दौरान रुपेश की मौत को लेकर रिमांड होम अधिकारियों ने बताया कि 10 अगस्त को गया से उसे भेजा गया था। गया से मुजफ्फरपुर रिमांड होम पहुंचने पर उसकी हालत ठीक नहीं थी। शरीर पर कई जख्म थे। इलाज के लिए भर्ती कराने संबंधी सवाल के जवाब में रिमांड होम के अधिकारी बचाव करते दिखे। 17 अगस्त की शाम में उल्टी करने के बाद रुपेश को सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराने की जानकारी प्रभारी अधीक्षक ने निदेशक को दी।

निदेशक को बताया गया कि यहां भी रुपेश दूसरे बालबंदियों से उलझा था। इस संबंध में 13 अगस्त को गया रिमांड होम को पत्र लिखकर जानकारी दी गयी। मंगलवार की शाम एक स्थानीय बालबंदी की पिटायी को लेकर प्रदर्शन के संबंध में भी जानकारी ली। रुपेश के खिलाफ दर्ज थे मामले भभुआ के रुपेश कुमार उर्फ अनूप के खिलाफ भभुआ समेत कई थाने में लूटपाट व हत्या के करीब 10 मामले दर्ज हैं। रुपेश आरा व गया रिमांड होम से पहले फरार भी हो चुका है।

तीन साल पूर्व सबसे पहले रुपेश के खिलाफ भभुआ में आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज हुआ था। सूत्रों के अनुसार बाराचट्टी थाने में रुपेश के खिलाफ लूट की एफआईआर पिछले साल दर्ज हुई थी। वर्ष 2013 में रुपेश के खिलाफ आधा दर्जन मामले शेरघाटी, बाराचट्टी, चंदौली, कोईलवर व कोचस थाने में दर्ज हैं। 2012 में भभुआ, मोहनिया व सासाराम थाना में भी मामले दर्ज हैं। जानकारों का कहना है कि गया रिमांड होम अधीक्षक से मारपीट के बाद मुजफ्फरपुर रिमांड होम में भी कुछ इस तरह की घटना को रुपेश अंजाम देना चाहता था। इलाज के बहाने उसकी भागने की योजना थी।

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