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कांवड़ के बाद धर्मनगरी के बाजारों में पसरा सन्नाटा

हरिद्वार। वरिष्ठ संवाददाता कांवड़ मेले के बाद तीर्थनगरी के बाजारों से रौनक एक बार फिर से गायब हो गई है। कांवड़ मेला खत्म होने के बाद ही शहर खाली-खाली सा नजर आने लगा है। चार दिन की चांदनी के बाद...

कांवड़ के बाद धर्मनगरी के बाजारों में पसरा सन्नाटा
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 29 Jul 2014 10:50 PM
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हरिद्वार। वरिष्ठ संवाददाता कांवड़ मेले के बाद तीर्थनगरी के बाजारों से रौनक एक बार फिर से गायब हो गई है। कांवड़ मेला खत्म होने के बाद ही शहर खाली-खाली सा नजर आने लगा है। चार दिन की चांदनी के बाद व्यापारी फिर से निराश होने लगे हैं। बीते सालों की तुलना में इस बार कांवडियों की संख्या दो करोड़ से पार हो गई थी। बीते साल प्रदेश में आई भीषण आपदा का सीधा प्रभाव धर्मनगरी के कारोबार पर भी पड़ा था।

बीते साल कांवडियें भी बहुत कम संख्या में आए थे। इस बार कांवडियों के सैलाब से कारोबार को उछाल तो मिला ही एक संदेश भी कांवडिये से तीर्थनगरी से ले जाने में कामयाब रहे कि धर्मनगरी में सब कुछ सामान्य है। इससे व्यापारियों में उम्मीद जगी कि आने वाले दिनों में हालात सुधरेंगे। कांवड़ मेला खत्म होते ही बाजारों में फिर से सन्नाटा पसरने लगा है। हरकी पैड़ी से सटे बाजारों में, जहां हमेशा भीड़ भाड़ रहती है, वहां भी कहने भर को यात्री नजर आ रहे हैं।

मंगलवार को हर की पैड़ी, विष्णुघाट बाजार और ठंडा कुआं बाजार में मुठ्ठी भर यात्री ही नजर आए। उज्ज्वल पंडित ने बताया कि कांवड़ मेले के बाद श्रद्धालुओं का आना भी काफी कम हो गया है। होटल व्यवसाई अनिल अरोड़ा का कहना है कि कांवड़ मेले के अंतिम दिनों में होटल व्यवसाय थोड़ा ठीक रहा है। हालांकि आपदा के बाद से धर्मनगरी पहले सालों की तुलना में बहुत कम आ रहा है। व्यापार मंडल जिलाध्यक्ष ओपी जमदग्नि का कहना है कि कांवड़ मेला बहुत अच्छा रहा है।

कारोबार को मंदी से निजात भी मिली है। मेले से संबंधित सामान जमकर बिका है। उन्होंने कहा कि इतना जरूर है कि जो आमदनी स्थानीय कारोबारी को होनी चाहिए थी वह बाहरी स्थानों से आए छोटे छोटे दुकानदार उसका लाभ उठा ले जाते है। यह प्रशासन की सीधी लापरवाही है। मेले में बाहर के आये लोगों को यहां दुकान नहीं लगाने देनी चाहिए। हरकी पैड़ी के सटे सभी बाजारों में सड़कों के किनारे दुकाने नहीं लगनी चाहिए। इसका सीधा प्रभाव स्थानीय कारोबार पर पड़ता है।

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