जनजातियों के उत्थान को गंभीर नहीं सरकार
देहरादून। कार्यालय संवाददाता। हिमालयन जनकल्याण एवं बाल विकास समिति ने राज्य सरकार पर जनजाति सलाहकार परिषद गठित नहीं करने और जनजाति उपयोजना का जनजाति क्षेत्र में सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करने का...
देहरादून। कार्यालय संवाददाता। हिमालयन जनकल्याण एवं बाल विकास समिति ने राज्य सरकार पर जनजाति सलाहकार परिषद गठित नहीं करने और जनजाति उपयोजना का जनजाति क्षेत्र में सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करने का आरोप लगाया है। हिन्दी भवन में जनजाति सलाहकार परिषद और जनजाति उपयोजना विषय पर हुई पे्रसवार्ता में समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड की पांच जनजातियां थारू, जौनसारी, बोक्सा, भोटिया और वनराजी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति चिंताजनक हैं।
इन जनजातियों के उत्थान को कई लुभावने वादे किए गए। विभिन्न मंचों पर समस्याएं और मांगें उठाई गईं। जिसमें वनाधिकार अधिनियम का सही क्रियान्वयन, जनजातीय सलाहकार परिषद का गठन प्रमुख था। तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा तो सितारगंज में जनजाति सलाहकार परिषद के गठन की घोषणा भी कर चुके हैं। बावजूद इसके यह मामला ठंडे बस्ते में है। परिषद के अभाव में जनजाति उपयोजना के बजट का दुरुप्रयोग हो रहा है। जनजाति उपयोजना एक ऐसी योजना है जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार कुल बजट का लगभग 3 प्रतिशत जनजातियों के उत्थान के लिए आरक्षित रखती है।
लेकिन अभी तक इस बजट को लेकर कोई वित्तीय योजना सरकार के पास नहीं है। मौके पर निलेश मुंजे, जया मिश्रा, स्वागता केंथोला, योगेश ध्यानी, मनोज कुमार, प्रेम पंचोली समेत भूमि अधिकार मंच कुमाऊं, सेवा समिति सितारगंज, उत्तराखण्ड समता आन्दोलन, अर्पण संस्था पिथौरागढ़ के पदाधिकारी भी मौके पर मौजूद थे।