नहीं घटी दूरी, एसकेएमसीएच पहुंचने से पहले बेदम हुए बच्चे
प्रमुख संवाददाता। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के मुजफ्फरपर दौरे के बावजूद केजरीवाल अस्पताल और श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) के बीच की दूरी सोमवार को भी बरकरार रही। घर से और केजरीवाल...
प्रमुख संवाददाता। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के मुजफ्फरपर दौरे के बावजूद केजरीवाल अस्पताल और श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) के बीच की दूरी सोमवार को भी बरकरार रही। घर से और केजरीवाल अस्पातल से इंसेफलाइटिस पीड़ित बच्चों को एसकेएमसीएच पहुंचाने में बहुत देर हो रही है। इसी बीच बच्चों की हालत नाजुक और उनके परिजनों की जेब ढीली हो रही है।
पीएचसी तो बहुत दूर हैं, सोमवार को केजरीवाल से भी किसी पीड़ित बच्चों को सरकारी एम्बुलेंस से एसकेएमसीएच नहीं पहुंचाया गया। सोमवार को इंसेफलाइटिस पीड़ित कुल 14 नए बच्चों एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में भर्ती कराए गए, परन्तु इनमें से किसी को सरकारी एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिल सकी।
इधर एसकेएमसीएच के डॉक्टर ने फिर कहा कि सीधे एसकेएमसीएच पहुंचने और जल्द इलाज शुरू कराने से ही बच्चों की जान बचने की उम्मीद है। सदर अस्पताल में स्थापित कंट्रोल रूम में तैनात रमेश प्रसाद वर्मा ने बताया कि दिन के दो बजे तक जिले में कहीं से किसी इंसेफलाइटिस पीड़त बच्चों के लिए एम्बुलेंस की मांग नहीं की गई।
इस संबंध में एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. जीके ठाकुर ने सोमवार शाम बताया कि केजरीवाल से रेफर इंसेफलाइटिस पीड़ित बच्चों को एसकेएमसीएच लाने के लिए वहां प्रशासन की ओर से सरकारी एम्बुलेंस तैनात की गई है। मुख्यंमंत्री के आदेश के आलोक में इंसेफलाइटिस पीड़ितों के दो-दो परिजनों को भोजन दिया गया है। इधर एसकेएमसीएच में पी-आईसीयू-2 के बेड नंबर दो पर भर्ती तराना (3 वर्ष) की मां जाहिदा ने बताया कि सोमवार सुबह केजरीवाल में जब बेटी की हालत बिगड़ी तो उसे एसकेएमसीएच रेफर किया गया।
पिता नूर आलम प्राइवेट एम्बुलेंस को 600 रुपये भाड़ा देकर तराना को सुबह 10.44 बजे एसकेएमसीएच लाए। पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल थाने के नवादा की तराना तीन दिनों तक केजरीवाल में भर्ती रही। इस दौरान नूर आलम के 6000 रुपये खर्च हुए। इससे पहले प्राइवेट डॉक्टर से इलाज में 11 हजार रुपये खर्च हो चुके थे। बेड नंबर-2 पर ही तराना के बगल में बेसुध पड़े मो. खालिद (8 वर्ष) को गत 6 जून को केजरीवाल से एसकेएमसीएच रेफर किया गया।
मालीघाट निवासी मो. बसीर को गत 4 जून को केजरीवाल में भर्ती कराया गया। हालत गंभीर होने पर मो. खालिद को प्राइवेट एम्बुलेंस से एसकेएमसीएच लाया गया। उजाला और रौनक को बचाने की जद्दोजहददोपहर बाद पी-आईसीयू के बेड-3 पर उजाला (3 वर्ष) की हालत नाजुक हो गई। पूर्वी चंपारण के मघुबन मछहां की उजाला को आज ही नीचे के वार्ड से यहां लाया गया है। सिस्टर की कोशशिें नाकाम हुईं तो डॉक्टर वेंटिलेटर से उसकी सांस चालू रखने की कोशशि में जुट गए।
इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉ. सुधांशु कुमार पी-आईसीयू में पहुंचे। उजाला की हालत देखी, मॉनिटर पर नजर दौड़ाई और सिस्टर को निर्देश देने के बाद बारी-बारी से सभी बच्चों की सांसों व धड़कन का आकलन करने लगे। नि:शब्द दादी-बुआ की आंखें डबडबायीं और मां बाहर निकलकर रोने लगी। उधर बेड-4 पर रौनक (7 वर्ष) का चेहरा मुरझाया। मीनापुर के गंज माणिकपुर निवासी मो. युनूस सोमवार सुबह ऑटो से बेहोश बेटी रौनक को लेकर एसकेएमसीएच पहुंचा है। बेड-4 पर ही रौनक के बगल में अहियापुर का 2 वर्ष का राजेश बेहोश पड़ा है।
सोमवार सुबह 11 बजे 600 रुपये एम्बुलेंस भाड़ा देकर पिता मिश्रिलाल साह राजेश को भर्ती कराने पहुंचा। वाया केजरीवाल पहुंचे आकाश और अंकितइंसेफलाइटिस पीड़ित आकाश (4 वर्ष) और अंकित (डेढ़ वर्ष) भी एसकेएमसीएच में वाया केजरीवाल अस्पताल पहुंचे हैं। देवरिया के मोहब्बतपुर निवासी बद्री सहनी के बेटे अंकित और फेनहारा कोदरिया के रामप्रवेश पटेल के बेटे आकश का 5 से 7 जून तक केजरीवाल अस्पताल में इलाज चला। हालत गंभीर हुई तो दोनों को एसकेएमसीएच रेफर किया गया। तीन-तीन सौ रुपये एम्बुलेंस भाड़ा देकर उन्हें एसकेएमसीएच लाया गया।
पप्पू और रिंकी की सांसें रुकीं तो कलेजा फटासोमवार दोपहर पी-आईसीयू-1 में रिंकी (4 वर्ष) और पी-आईसीयू-2 में पप्पू (10 वर्ष) की सांसें रुकीं तो वहां भर्ती अन्य बच्चों के परिजनों का कलेजा फटा। जिन्दगी और मौत से जूझ रहे सत्यम, कविता, दुर्गा, नशिि, महताब बाबू, रंजन और सलमान खान के परिजन उनको बचाने के लिए ऊपर वाले से दुआ मांगने लगे। मधुबन के मगलनिया निवासी पप्पू का चार दिनों से इलाज चल रहा था। सीतामढ़ी के टेंगराहा ओलीपुरी निवासी मुनटुन प्रसाद सोमवार सुबह 1000 रुपये भाड़ा देकर रिंकी को एसकेएमसीएच लाया था।
अस्पताल प्रबंधन ने रिंकी की लाश ले जाने के लिए नि:शुल्क एम्बुलेंस की व्यवस्था की।