जवानों के बैरक में एक पंखा तो लगवा दीजिए एसएसपी
भागलपुर। गिरिजेश हॉलनुमा बैरक में 150-200 जवान रहते हैं, लेकिन सुविधाएं कुछ भी नहीं। जवान इस तरह से कमरे के अंदर ठूंसे हुए हैं कि पैर रखने तक की जगह नहीं है। पुलिस लाइन स्थित पांचों बैरकों का यही...
भागलपुर। गिरिजेश हॉलनुमा बैरक में 150-200 जवान रहते हैं, लेकिन सुविधाएं कुछ भी नहीं।
जवान इस तरह से कमरे के अंदर ठूंसे हुए हैं कि पैर रखने तक की जगह नहीं है। पुलिस लाइन स्थित पांचों बैरकों का यही हाल है। जगह इतनी कम है कि सैकड़ों जवान बरामदे पर रहने को मजबूर हैं। धूप, गर्मी, बरसात में इन लोगों के लिए बरामदा ही आसरा है। बैरक में न पंखे लगे हैं और न ही साफ-सफाई की व्यवस्था। पुलिसकर्मी बैरक में ऐसी ही जिंदगी काटने को मजबूर हैं। पुलिसकर्मियों की शिकायत है कि अधिकारी कभी झांकने तक नहीं आते कि जवान किस हाल में रह रहे हैं।
पुलिस लाइन में गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी और गोदावरी कुल पांच बैरक हैं। इसके अलावा एक नया बैरक बन रहा है उसमें भी कुछ जवान रह रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि कमरे में जिसे जगह मिल गई, वह खुद को भाग्यशाली समझता है। भीषण गर्मी में भी जवान बिना पंखा के रह रहे हैं, लेकिन शिकायत किससे करें। पूछने पर किसी ने अपना नाम बताने की हिम्मत नहीं जुटाई, क्योंकि नौकरी चली गई तो फिर भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
बैरक के अंदर मकड़ो ने जाल बिछा रखा है, उसे साफ करने कोई नहीं आता। पानी के लिए एक चापानल है, दो खराब पड़े हैं। पीने के लिए सप्लाई का पानी एकमात्र रास्ता है, लेकिन वह भी दूर जाकर लाना पड़ता है। कैंपस में रखी टंकी का पानी पीने लायक नहीं है। एक पुलिसकर्मी ने बताया कि हमलोग बस जिंदगी काट रहे हैं। आप खुद ही देख रहे हैं कि जवान कैसे रह रहे हैं। दिन में बरामदे पर धूप लगती है तो पेड़ की छांव में चले जाते हैं।
बारिश हुई तो समझिए पूरी रात जागनी पड़ेगी, क्योंकि बरामदे पर रखा बिस्तर भींग जाता है। इसके अलावा बंदरों का भी आतंक है। जवानों के कई सामान बंदर लेकर भाग चुके हैं। करीब 50 शौचालय हैं लेकिन इनमें से आधे न जाने लायक स्थिति में हैं। बोरिंग नहीं चला तो शौचालयों में पानी भी नहीं रहता। गर्मी में अगर ठंडा पानी पीने का मन हो गया तो पुलिसलाइन में नहीं मिलेगा। बैरक में जवान कपड़े भी सुखाते हैं, बिस्तर भी लगाते हैं और अन्य काम भी करते हैं।
कुछ लोगों ने छोटा फैन जरूर खरीद रखा है ताकि गर्मी से कुछ निजात मिल सके। बरामदे पर रहनेवालों को वह भी नसीब नहीं है। खरीदकर पीते हैं पानी पेयजल की पुलिस लाइन में इतनी समस्या है कि जवानों को खरीदकर पानी पीना पड़ता है। बड़ा वाला डबि्बा खरीदकर लोग रखते हैं। इतनी गर्मी में पानी भी गर्म हो जाता है, लेकिन वही पीकर रहना पड़ता है। नगर निगम से कभी कोई सफाईकर्मी यहां नहीं आया। एक जवान ने बताया कि वह मोतिहारी, गया, सुपौल के पुलिस लाइन में भी रहे हैं लेकिन ऐसी स्थिति कहीं नहीं थी।