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टिहरी के पूर्व जिलाधिकारी रंजीत सिन्हा पर शिकंजा

आईएएस डॉ. रंजीत सिन्हा पर शिकंजा कसता जा रहा है। टिहरी विस्थापितों के प्लॉट आवंटन में आरोप सिद्ध होने पर उनके दो इन्क्रीमेंट रोकने व प्रतिकूल प्रविष्टि की संस्तुति की गई है, लेकिन संघ लोक सेवा आयोग...

 टिहरी के पूर्व जिलाधिकारी रंजीत सिन्हा पर शिकंजा
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 02 Apr 2014 11:22 PM
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आईएएस डॉ. रंजीत सिन्हा पर शिकंजा कसता जा रहा है। टिहरी विस्थापितों के प्लॉट आवंटन में आरोप सिद्ध होने पर उनके दो इन्क्रीमेंट रोकने व प्रतिकूल प्रविष्टि की संस्तुति की गई है, लेकिन संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श के बाद ही यह कार्रवाई हो पाएगी।


टिहरी के डीएम व पुनर्वास निदेशक रहते डॉ. सिन्हा पर ऋषिकेश स्थित आमबाग में शासन के बगैर अनुमोदन के विस्थापितों को प्लॉट आवंटन का आरोप है। प्लॉट आवंटित होते ही कई बाहरी व्यक्तियों ने इनकी रजिस्ट्री करा ली। अक्तूबर, 13 में हाईकोर्ट के सख्ती के बाद सरकार ने तुरत-फुरत अक्तूबर, 12 के बाद आवंटित लगभग 250  प्लॉट निरस्त कर दिए। तत्कालीन कमिश्नर (गढ़वाल) डीएस गब्र्याल को इसकी जांच सौंपी गई थी। जांच में आईएएस सिन्हा पर आरोप सिद्ध हुए थे।
सूत्रों ने बताया कि दोषी पाए जाने पर कार्मिक विभाग ने उनके दो इंक्रीमेंट रोकने व प्रतिकूल प्रविष्टि की संस्तुति की है। अखिल भारतीय सेवा संवर्ग का नियोक्ता संघ लोक सेवा आयोग है लिहाजा, कार्रवाई से पहले कार्मिक विभाग ने डेढ़ माह पूर्व आयोग से परामर्श मांगा है। बताया गया कि आयोग ने प्रस्ताव में तकनीकी खामी पाते हुए नए सिरे से प्रस्ताव मांगा है। सिन्हा पर मौजूदा समय में नियोजन व कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग का जिम्मा है।

कब क्या हुआ
25 अक्तूबर 12 को पुनर्वास निदेशक के अधिकार सीज
इस अवधि के बाद भी ऋषिकेश में विस्थापितों को प्लॉट हुए आवंटित
26 अक्तूबर, 13 को शासन ने कमिश्नर गढ़वाल को सौंपी जांच
18 नवंबर को सरकार ने आवंटित सभी भूखंड किए निरस्त

दून में बैठ कर काटे गए पट्टे
ऋषिकेश आमबाग व पटेलनगर की जिन जमीनों के आवंटन में गोलमाल हुआ। उनके पट्टे आवंटन को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया भी कम दिलचस्प नहीं है। सूत्रों की माने तो इन दोनों क्षेत्रों की जमीनों के फर्जी पट्टे हरिद्वार रोड रेसकोर्स चौक के पास स्थित एक होटल समेत त्यागी रोड के कई होटलों में अलग -अलग दिन काटे गए।

एक नहीं कई अफसर घेरे में
इस पूरे गोलमाल में सिर्फ आईएएस, नेता ही घेरे में नहीं हैं। बल्कि कई ऐसे अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है, जिनका इस मामले से सीधे कोई लेना देना ही नहीं रहा। फर्जी पट्टों के लिए पात्रता खरीदने वालों से लाखों से लेकर करोड़ों रुपये जमा कराने का जिम्मा एक ग्राम विकास अधिकारी पर रहा। गोलमाल के दौरान ये अफसर टिहरी में तैनात रहा, तो अब दून जिले में तैनात हैं।

प्रति 200 वर्ग मीटर 10 लाख का रेट
फर्जी पट्टों के जरिए जमीन कब्जाने के खेल में प्रति 200 वर्ग मीटर 10 लाख रुपये का रेट तय किया गया। 200 वर्ग मीटर आवासीय पट्टे के लिए 10 लाख, तो 1800 वर्ग मीटर के कृषि भूखंड के लिए 90 लाख रुपये तक का रेट फिक्स था। पट्टे निरस्त होने के बाद फर्जी पात्रता खरीदने वालों के लाखों से लेकर करोड़ों रुपये डंप हो गए हैं। इस रकम को निकालने के लिए अब सफेदपोशों समेत नौकरशाहों के चक्कर काटे जा रहे हैं

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