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छात्र देवांश के निलंबन पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रधानाचार्य वाल्सन थंपू के उस आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी जिसमें संस्थान की प्रतिबंधित ई-मैगजीन के छात्र संपादक को अनुशासन तोड़ने के आरोप में निलंबित किया...

छात्र देवांश के निलंबन पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई
एजेंसीFri, 17 Apr 2015 06:41 PM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रधानाचार्य वाल्सन थंपू के उस आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी जिसमें संस्थान की प्रतिबंधित ई-मैगजीन के छात्र संपादक को अनुशासन तोड़ने के आरोप में निलंबित किया गया था। कोर्ट ने पूछा कि क्या मीडिया से बात करने पर किसी को निलंबित किया जा सकता है।

कोर्ट ने थंपू की ओर से गठित एक सदस्यीय जांच समिति के निष्कर्षों पर भी रोक लगा दी। समिति ने नौ अप्रैल को तीसरे वर्ष के छात्र देवांश मेहता को अनुशासन तोड़ने का दोषी माना था। हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक राय साहेब बनारसी दास मेमोरियल प्राइज नाम का वह अवॉर्ड भी किसी को नहीं देने का निर्देश दिया। इसके लिए पहले मेहता को चुना गया था लेकिन विवाद की वजह से बाद में उनका नाम सूची से हटा दिया गया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मेहता को यह अवॉर्ड देने वाले थे। न्यायमूर्ति विभु बखरू ने कहा कि सभी प्रतिवादियों (दिल्ली यूनिवर्सिटी, सेंट स्टीफंस कॉलेज, वाल्सन थंपू, संजय राव आयडे) को नोटिस जारी किया जाए। इस बीच, 15 अप्रैल के जिस आदेश के तहत याचिकाकर्ता को कॉलेज से निलंबित किया गया और नौ अप्रैल को जिस समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह निलंबन हुआ, उस पर रोक लगाई जाती है।

दर्शनशास्त्र के छात्र और सेंट स्टीफंस वीकली ई-मैगजीन के संपादक एवं सह-संस्थापक मेहता को प्रोफेसर संजय राव आयदे की जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद 23 अप्रैल तक के लिए निलंबित कर दिया गया था। कॉलेज प्रशासन ने पिछले महीने ई-मैगजीन पर भी पाबंदी लगा दी थी।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह दावा करने पर दिल्ली यूनिवर्सिटी की भी खिंचाई की कि याचिकाकर्ता कुछ हद तक गलत है क्योंकि उसने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि इससे आरोप को कोई बल नहीं मिलता। यदि कोई मीडिया से बात करेगा तो क्या आप उसे निलंबित कर देंगे आपको (यूनिवर्सिटी को)  निष्पक्ष भूमिका निभानी चाहिए।

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