प्लास्टिक के घर में आराम करेंगे मजदूरों के बच्चे
निर्माण मजदूरों के लिए खुशखबरी है। काम के समय बच्चों के देखभाल की चिंता उन्हें नहीं सताएगी। निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के बच्चों को चलते फिरते प्लास्टिक के घर में रखा जाएगा। यह घर वहीं होगा जहां...
निर्माण मजदूरों के लिए खुशखबरी है। काम के समय बच्चों के देखभाल की चिंता उन्हें नहीं सताएगी। निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के बच्चों को चलते फिरते प्लास्टिक के घर में रखा जाएगा। यह घर वहीं होगा जहां बच्चों के माता-पिता काम कर रहे होंगे। मोबाइल क्रेच के अंदाज में बने इस घर में मजदूरों के बच्चों को न सिर्फ आराम देगा बल्कि इसमें उनके खाने पीने आदि की व्यवस्था भी रहेगी। यह सुविधा जल्द ही प्रदेश सरकार शुरू करने जा रही है।
बड़े भवनों के निर्माण में लगे मजदूरों के बच्चे बड़ी मुसीबत झेलते हैं। मां-बाप को उन्हें संभालने की फुर्सत नहीं होती। धूल और गदंगी के बीच रहने के कारण जहां बीमारी का खतरा रहता है वहीं चोट लगने का भी खतरा रहता है। चलते फिरते प्लास्टिक घर को बनाने में तीन लाख रुपये से ज्यादा की लागत आने का अनुमान है। शिशु पालना नामक इस योजना के अंतर्गत मोबाइल क्रेच (चलते फिरते घर) में बच्चों की देखभाल के लिए स्टाफ की भी नियुक्ति की जाएगी। मुरादाबाद में भी कई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निर्माण हो रहा है। इससे इसका लाभ यहां भी मजदूरों के बच्चों को मिल सकेगा। उपश्रमायुक्त बीके राय ने बताया कि इस सुविधा का लाभ प्राप्त करने के लिए निर्माणाधीन बिल्डिंग में कम से कम बीस बच्चों के मौजूद होने की शर्त रखी गई है। इस संबंध में शासन की तरफ से सभी मंडल मुख्यालयों से वहां मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में कार्य करने वाले मजदूरों की संख्या के बाबत जानकारी मांगी गई है। प्लास्टिक के चलते फिरते घर उस मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में भेजे जाएंगे जहां श्रमिकों के बीस से ज्यादा बच्चों के होने की जानकारी मिलेगी।
बाल श्रमिकों के लिए खुलेंगे आवासीय स्कूल
शहर में ढाबे आदि जगहों पर काम करते हुए मिलने वाले बच्चों को श्रम विभाग की तरफ से आवासीय स्कूल में भेजा जाएगा जहां उनके पढ़ने और रहने की व्यवस्था होगी। उपश्रमायुक्त बीके राय ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा बाल श्रमिक बच्चों के लिए आवासीय स्कूल खोलने की योजना लागू होने जा रही है। इसमें उन बच्चों को दाखिला दिया जाएगा जो श्रम विभाग द्वारा कहीं पर बाल श्रम करते पकड़े जाएंगे।