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बाघ को पकड़ने में नाकाम रहा वन विभाग, ग्रामीणों में दहशत बढ़ी

माल और मलिहाबाद में दहशत फैलाने वाले बाघ के पैरों के निशान काकोरी के मलहा गांव में दिखने से ग्रामीणों की दहशत और बढ़ गई है। शुक्रवार सुबह मलहा गांव से सिद्धेश्वरी मंदिर के पास कई जगह बाघ के पैरों के...

बाघ को पकड़ने में नाकाम रहा वन विभाग, ग्रामीणों में दहशत बढ़ी
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Oct 2014 09:56 PM
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माल और मलिहाबाद में दहशत फैलाने वाले बाघ के पैरों के निशान काकोरी के मलहा गांव में दिखने से ग्रामीणों की दहशत और बढ़ गई है। शुक्रवार सुबह मलहा गांव से सिद्धेश्वरी मंदिर के पास कई जगह बाघ के पैरों के निशान मिले हैं। वन विभाग की दो टीम ने यहां भी डेरा डाल रखा है लेकिन उन्हें अभी तक बाघ दिखाई नहीं पड़ा है। रहमानखेड़ा के पास की जगह होने की वजह से यह आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि बाघ जंगल में ही है।
माल के गोधन गांव में बाघ ने एक बैल को अपना शिकार बना लिया था। तीन-चार दिन बाद जब बैल मृत हालत में ग्रामीणों को दिखा तो इसका हो-हल्ला मचा। खेतों में पैरों के निशान मिलते ही पूरे गांव में दहशत फैल गई। दिवाली का त्योहार दहशत में ही गुजर गया। गांव में कोई भी अकेले नहीं गुजर रहा है। अभी यह दहशत माल और मलिहाबाद में ही थी। वन विभाग की टीम ने गुरुवार को सभी ग्रामीणों को सतर्क रहने की चेतावनी दी थी। वन विभाग की टीम माल और मलिहाबाद में ही बाघ को ढूंढ़ रही थी। इस बीच ही शुक्रवार को बाघ के निशान काकोरी के मलहा गांव में मिले।
रहमानखेड़ा के जंगल के पास बाघ के पैरों के निशान मिलने से ग्रामीणों की दहशत और बढ़ गई है। ग्रामीणों ने कहा कि जब पिछली बार बाघ रहमान खेड़ा में आया तो उसे पकड़ने में वन विभाग को 108 दिन लग गए थे। अब वह फिर इसी जंगल में पहुंच गया है। शुक्रवार रात तक बाघ का कुछ पता नहीं चला था। काकोरी गांव के भी किसी शख्स ने बाघ को नहीं देखा है।

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