रैपिड रेल का ट्रैक गुड़गांव तक
वाहनों के बढ़ते दबाव और सड़क पर हर दिन लगते जाम को देखते हुए रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के कार्य को जल्द शुरू किया जा सकता है। पिछले दिनों एलजी की ओर से भी इस प्रोजेक्ट पर अपनी सहमति दी गई...
वाहनों के बढ़ते दबाव और सड़क पर हर दिन लगते जाम को देखते हुए रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के कार्य को जल्द शुरू किया जा सकता है। पिछले दिनों एलजी की ओर से भी इस प्रोजेक्ट पर अपनी सहमति दी गई है। एलजी से मिली हरी झंडी को इस प्रोजेक्ट का पहला चरण मानते हुए शीघ्र ही एनसीआर प्लानिंग बोर्ड इस प्रोजेक्ट के तहत निर्माण संबंधी जरूरी कार्य के लिए आगे की कार्रवाई करेगा।
माना जा रहा है कि आरआरटीएस के तीन स्वीकृत कोरीडोर पर हाई स्पीड रेल यातायात सिस्टम सुलभ होने से तकरीबन एक लाख निजी वाहन सड़क से हटेंगे। आरआरटीएस के तीन स्वीकृत कोरीडोर दिल्ली-अलवर, दिल्ली-मेरठ व दिल्ली-पानीपत के बीच निर्माण शुरू होने के छह वर्ष के भीतर पूरी कर ली जाएगी।
हालांकि पहले चरण के लिए मिली मंजूरी के तहत दिल्ली-अलवर रूट पर चलाई जाने वाली हाईस्पीड रेल के लिए शुरुआत में गुड़गांव तक ही ट्रैक बिछाया जाएगा।
गौरतलब है कि जिस तेजी से दिल्ली व एनसीआर में वाहनों की संख्या में रफ्तार वृद्धि हो रही है। वह लोगों के समय के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। ऐसे में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इसी उद्देश्य से आरआरटीएस प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने के लिए कहा था।
मंत्रालय के अनुसार इस योजना के जरिये दिल्ली से जनसंख्या का बोझ कम करना और कामकाजी लोगों को आवागमन के लिए बेहतर ट्रांसपोर्ट व्यवस्था देना है। इसी उद्देश्य से आरआरटीएस के तहत शुरुआत में तीन कोरीडोर पर स्वीकृति दी गई है। इसके पूरा होने से उत्तर प्रदेश, हरियाणा व सबसे अधिक दिल्ली को लाभ मिलेगा।
कोरिडोर के आसपास भी विकास
आरआरटीएस अथवा ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट कोरीडोर के आस-पास इन तीनों रूट पर नए रिहायशी व कामर्शियल इलाके भी विकसित करने की योजना है-
दिल्ली-पानीपत कोरीडोर पर-गन्नौर, समालखा व पानीपत डिपो
दिल्ली-मेरठ कोरीडोर पर-दुहाई, मेरठ दक्षिण, मोदीपुरम तथा गुलधर
दिल्ली-अलवर कोरीडोर पर-खेडम्की धौला,मानेसर तथा रिवाड़ी
पहले फेज में यह रूट निर्धारित
तनी रूट निर्धारित किए गए हैं-
दिल्ली-सोनीपत-पानीपत (111 किलोमीटर)
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ (90किलोमीटर)
दिल्ली-गुडम्गांव-रेवाड़ी-अलवर (180 किलोमीटर) यहां शुरुआत में करीब 148 किलोमीटर की दूरी तक का ट्रैक बिछाए जाने की योजना है।