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10 किलोमीटर तक कोई नर्सरी स्कूल नहीं

पहले भी गांगुली कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राजधानी में दाखिले हो चुके हैं। उस वक्त दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। तब दूरी वर्ग की सबसे अधिक शिकायतें निदेशालय की हेल्पलाइन पर आई थीं। बता दें कि उस...

10 किलोमीटर तक कोई नर्सरी स्कूल नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 30 Nov 2014 12:52 PM
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पहले भी गांगुली कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राजधानी में दाखिले हो चुके हैं। उस वक्त दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। तब दूरी वर्ग की सबसे अधिक शिकायतें निदेशालय की हेल्पलाइन पर आई थीं। बता दें कि उस दौरान विभिन्न स्कूलों ने दूरी वर्ग में पांच किलोमीटर तक के चरण बनाए थे। इसके तहत सिफ पांच किलोमीटर के दायरे में रहने वाले बच्चों को ही प्वाइंट दिए गए थे। बाकी का आवेदन स्वीकार ही नहीं किया गया था। माना जा रहा है कि इस बार भी स्कूल अपनी मनमर्जी चलाकर किलोमीटर का दायरा बेहद कम कर सकते हैं।


सत्र 2015-16 के नसरी दाखिले के लिए स्कूल खुद से फॉर्मूला तैयार करेंगे। इसमें दूरी वर्ग सबसे अहम होगा, लेकिन बीते कुछ सालों का रुझान देखें तो स्कूल अधिकतम आठ किलोमीटर को दूरी वर्ग में शामिल कर सकते हैं। ऐसे में राजधानी के उन क्षेत्रों के बच्चों को सीट नहीं मिल पाएगी जहां दस किलोमीटर के दायरे में एक भी निजी स्कूल नहीं है। हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश इन क्षेत्रों के अभिभावकों और उनके बच्चों की चिंताओं पर हिन्दुस्तान टीम की रिपोर्ट

बाहरी दिल्ली के नरेला और बवाना इलाके में स्कूलों की कमी नहीं है, लेकिन ये सभी प्ले और सरकारी स्कूल हैं। सरकारी स्कूलों में नसरी कक्षाएं न होने से यहां के अभिभावक निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की आस कर रहे थे, लेकिन शुक्रवार को आए हाईकोर्ट के फैसले ने इनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। नेरला आरडब्ल्यूए की शिक्षा समिति के सचिव कमलेश आनंद बताते हैं कि हमने कई बार निदेशालय से सरकारी स्कूलों में नसरी शुरू करने का आग्रह किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जिस दौर में गांगुली कमेटी की सिफारिशों से दाखिले हुए थे तब इलाके के करीब 40 परिवार नरेला से दूसरे इलाकों में चले गए थे। यहां रहने वालीं 30 वर्षीय शालिनी मान कहती हैं कि सोचा था कि बेटी का अच्छे स्कूल में दाखिला कराएंगे, लेकिन अब स्कूलों को सारे अधिकार मिलने से सीट मिलनी मुश्किल लग रही है।


देहात में सिर्फ चुनिंदा स्कूल
दक्षिणी दिल्ली के डेरा गांव, भाटी कलां व खुद गांव, मांडी गांव, जौनापुर, फतेहपुर बेरी, असोला, हरस्वरूप कॉलोनी, चांदन होला, सतबड़ी आदि के आसपास निजी स्कूलों की भारी कमी है। चुनिंदा स्कूल हैं, लेकिन यहां शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर नहीं। बेहतर स्कूल 10 से 12 किलोमीटर दूर हैं। ये सभी वसंत कुंज, साकेत जैसे पॉश इलाकों में हैं। ऐसी स्थिति में शहर के ये देहात क्षेत्र के अभिभावक हाईकोर्ट के फैसले से बेहद असंतुष्ट हैं। इनका कहना है कि कोर्ट को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए। असोला में रहने वाले चार वषीय बेटे के पिता रविंद्र शर्मा का कहना है कि अभी दाखिले में समय है, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद से ही चिंता शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि यहां से साकेत या वसंत कुंज की दूरी 10 किलोमीटर से कम नहीं है और स्कूल आठ किलोमीटर से अधिक वालों को दाखिला नहीं देंगे।

पिछले साल सर्वे में सामना आया था कि 40 फीसदी से अधिक अभिभावक घर के पास स्कूल न होने के कारण अपना इलाका छोड़ने को मजूबर हो गए थे। ऐसी स्थिति फिर न हो इसके लिए दूरी वर्ग का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। - सुमित वोहरा, नसरी डॉट कॉम के संस्थापक

सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर के बारे में तो सभी जानते ही हैं और अच्छे निजी स्कूल की दूरी अधिक है। ऐसे में हमें अपने बच्चों का भविष्य अंधकार में ही लगता है। - विशाल द्विवेदी, फतेहपुर बेरी निवासी

अगर अभिभावक को दूरी के प्वाइंट नहीं मिलते हैं तो उन्हें ऐसे स्कूल में आवेदन करना चाहिए जहां उन्हें सिबलिंग या एलमुनी आदि वग में प्वाइंट मिल सकें। - प्रो. श्यामा चोना, गांगुली समिति की सदस्य

दक्षिणी दिल्ली के नंदन गांव के 10 से 12 किलोमीटर के दायरे में काई भी अच्छा नसरी स्कूल न होने की वजह से अभिभावकों को अपने बच्चों के दाखिले के लिए उठानी पड़ती है काफी दिक्कतें। ’ हिन्दुस्तान

नरेला इलाके में नसरी स्कूल नहीं होने की वजह से बच्चों को नगर निगम में स्कूल में पढ़ना पड़ता है, लेकिन यहां पर नर्सरी की कक्षाएं नहीं लगती। ’ हिन्दुस्तान

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