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इंजेक्शन बढ़ा रहे हैं बीमारियां

अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो जल्दी ठीक होने के लिए डॉक्टर से टेबलेट के बजाय इंजेक्शन लगाने को कहते हैं तो सावधान हो जाएं। भारत में 31% इंजेक्शन रक्त जनित बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार...

 इंजेक्शन बढ़ा रहे हैं बीमारियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Oct 2014 08:31 PM
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अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो जल्दी ठीक होने के लिए डॉक्टर से टेबलेट के बजाय इंजेक्शन लगाने को कहते हैं तो सावधान हो जाएं। भारत में 31% इंजेक्शन रक्त जनित बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं।

52% इंजेक्शन बिना जरूरत लगाए जा रहे हैं : देश में 63 प्रतिशत इंजेक्शन अब भी सुरक्षित नहीं हैं। इनमें 52% इंजेक्शन जुकाम, खांसी व डायरिया में लगाए जाते हैं जबकि उनकी कोई जरूरत नहीं होती। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने पहली बार देश में इंजेक्शन के सुरक्षित इस्तेमाल पर डॉक्टरों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

90% इंजेक्शन परिजनों के दबाव में लगते हैं : दिशानिर्देशों के मुताबिक यदि परिजन डॉक्टर पर मरीज को जल्दी ठीक करने का दबाव न डालें और अनावश्यक इंजेक्शन से बचने को कहें तो 90% इंजेक्शन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे जहां मरीजों की पैसे बचेंगे, वहीं सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उन्हें रक्त जनित बीमारियां फैलने का खतरा कम रहेगा। ये दिशानिर्देश देशभर के विशेषज्ञों की मदद से तैयार किए गए हैं। इनका मकसद सुरक्षित इंजेक्शन को बढ़ावा देकर हेपेटाइटिस की रोकथाम करना है।

देश में 63 फीसदी इंजेक्शन असुरक्षित, 31 प्रतिशत इंजेक्शन फैला रहे हैं बीमारियां

क्यों सुरक्षित नहीं इंजेक्शन
1. हाथ साफ न होना, हाथ से सुई छूना
2. इंजेक्शन के बाद सुई हाथ से छूना
3. इंजेक्शन को धोना या कपड़े से पोछना
4. गलत जगह पर इंजेक्शन लगाया जाना
5. जरूरत न होने पर भी इंजेक्शन लगाना
6. मल्टी डोज दवा का इस्तेमाल करना
7. शरीर में जिस जगह इंजेक्शन लगा रहे हैं, उसका साफ नहीं होना
8. सुई को संक्रमित जगह पर रखना
9. सही भंडारण और परिवहन नहीं होना
10. दवा की डोज कम या ज्यादा होना
11. एक्सपायरी डेट की दवा का इस्तेमाल

डॉक्टरों के लिए ये 7 आर दिशानिर्देश जारी किए गए
1. राइट मेडिकेशन (सही इलाज)
2. राइट डोज (सही खुराक)
3. राइट टाइम (सही समय पर)
4. राइट डिस्पोजल (इस्तेमाल के बाद सुई का सही निदान हो)
5. राइट पेशेंट एंड साइट (मरीज को इंजेक्शन की जरूरत हो, सही स्थान पर इंजेक्शन लगे)
6. राइट रूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (सही रास्ते से दिया जाए)
7. राइट डाक्यूमेंटेशन (सही  रिकार्ड रखें)

16 अरब इंजेक्शन हर साल लगते हैं भारत समेत विकासशील देशों में इनमें 90% इलाज के लिए लगाए जाते हैं। बाकी 10% टीके और रोकथाम एवं परिवार कल्याण के लिए लगते हैं। यदि भारत के आंकड़े देखें तो करीब तीन अरब इंजेक्शन प्रति वर्ष लगते हैं।

हेपेटाइटिस की भी मुख्य वजह
देश में हेपेटाइटिस बी के 33% और हेपेटाइटिस सी के 42% संक्रमण असुरक्षित इंजेक्शन की वजह से हुए हैं एड्स के 2 फीसदी मामलों में असुरक्षित इंजेक्शन अहम वजह है।

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