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ज्यादा पदक नहीं मिले, पर डोपिंग से पिंड छुड़ाने में सफल रहे भारोत्तोलक

भारतीय भारोत्तोलक भले ही वर्ष 2014 में प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पाये हों लेकिन वे डोपिंग से पिंड छुड़ाने में कामयाब रहे जिसका डंक वर्षों से उन्हें डंस रहा था। भारतीय भारोत्तोलन महासंघ...

ज्यादा पदक नहीं मिले, पर डोपिंग से पिंड छुड़ाने में सफल रहे भारोत्तोलक
एजेंसीSun, 21 Dec 2014 03:04 PM
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भारतीय भारोत्तोलक भले ही वर्ष 2014 में प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पाये हों लेकिन वे डोपिंग से पिंड छुड़ाने में कामयाब रहे जिसका डंक वर्षों से उन्हें डंस रहा था।

भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) वर्षों से जिस साफ सुथरी छवि बनाने की कोशिश में था आखिर में वह उसमें सफल रहा लेकिन खिलाड़ियों को सफलता अपेक्षानुरूप नहीं मिली। साल के शुरू में ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय भारोत्तोलकों ने हालांकि कुल 12 पदक जीते।

राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीयों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी और उन्होंने इसमें बेहतर खेल भी दिखाया तथा तीन स्वर्ण, चार रजत और पांच कांस्य पदक जीते। इससे पहले 2010 में भारत को केवल चार पदक मिले थे।

भारोत्तोलक हालांकि इंचियोन एशियाई खेलों में अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखने में नाकाम रहे और वहां उन्होंने बेहद खराब प्रदर्शन किया। राष्ट्रमंडल खेलों की थकान से अभी भारतीय उबरे भी नहीं थे और ऐसे में चीन, चीनी ताइपै, जापान, कोरिया, थाईलैंड और कजाखस्तान जैसी मजबूत टीमों की चुनौती उन पर भारी पड़ गयी। लेकिन भारतीयों के लिये सबसे अहम बात यह रही कि कोई भी खिलाड़ी प्रतिबंधित दवा सेवन का दोषी नहीं पाया गया।

भारतीय महिला टीम की कोचि हंसा शर्मा ने कहा, यह हमारे लिये सबसे बड़ी सफलता है कि हमारा कोई भी भारोत्तोलक पॉजीटिव नहीं पाया गया। हम आखिर में डोपिंग के साये से बाहर निकलने में सफल रहे।

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