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बजट से दिल्ली की झोली आएंगी कुछ स्वास्थ्य योजनाएं!

आम बजट में दिल्ली की झोली में स्वास्थ्य संबंधी कुछ नई योजनाएं आ सकती है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली में पूर्व में संचालित मातृ एवं बाल सुरक्षा की कई योजनाओं को नये सिरे से फिर से लागू किया जा सकता...

बजट से दिल्ली की झोली आएंगी कुछ स्वास्थ्य योजनाएं!
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 09 Jul 2014 10:24 PM
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आम बजट में दिल्ली की झोली में स्वास्थ्य संबंधी कुछ नई योजनाएं आ सकती है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली में पूर्व में संचालित मातृ एवं बाल सुरक्षा की कई योजनाओं को नये सिरे से फिर से लागू किया जा सकता है। जबकि सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का बोछ कम करने के लिए चिकित्सा बीमा को नये सिरे से शुरू करने की बात कही जा रही है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री अमेरिका में संचालित ओबामा केयर वर्ल्ड से खासे प्रभावित है, जिसे नये पैटर्न से देश में लागू किया जा सकता है। जबकि चिकित्सा जगत का एक बड़ा तबका स्वास्थ्य सेवा पर खर्च होने वाले जीडीपी को बढ़ाने की मांग कर रहा है।

दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने पोलियो उन्नूमुलन के साथ ही मातृत्व सुरक्षा की कई योजनाओं को प्रमुखता दी। जानकारों की मानें तो मातृ सुरक्षा नये कलेवर में दोबारा शुरू की जाएगी, इसके लिए पहले ही घोषित किया जा चुका है कि इस बार जननी सुरक्षा योजना के तहत चार नये टीके (रूबेला, रोटावायरस, जपनीज इंसेफलाइटिस और आईपीवी) नियमित टीकाकरण योजना में शामिल होगें।

महंगे इलाज और दवाओं के खर्च के खर्च के कम करने के लिए ओबामा केयर वर्ल्ड से स्वास्थ्य मंत्री खासे प्रभावित हैं, जिसमें अमेरिका में देश के सभी लोगों को आय वर्ग के आधार पर राष्ट्रीय नीति के तहत बीमा किया गया है।। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरीश गुप्ता ने बताया कि स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को संचालित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा पर होने वाले जीडीपी के खर्च को बढ़ाया जाएं तो बात बन सकती है। देश के कुल मरीजों के 72 प्रतिशत निजी अस्पतालों द्वारा देखे जाते हैं। इस लिहाज से मेडिकल उपकरण और जीवनरक्षक दवाओं पर यदि एक्साइज ड्यूटी कम की जाएं तो इलाज सस्ता होगा।

बंद हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
देश में संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना दिल्ली में फरवरी महीने से बंद है। योजना के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पैसे ही नहीं दिए गए। 28 फरवरी के बाद अस्पतालों को बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया जिसकी वजह से अस्पतालों ने मरीजों को योजना का लाभ देना ही बंद कर दिया। पैनल में आने वाले 40 निजी अस्पतालों को योजना के तहत पंजीकरण किया गया था। जिसके तहत कार्ड धारक के परिवार के किसी भी सदस्य को अस्पताल 30 हजार रुपए के खर्च का इलाज कर सकते थे। योजना के तहत दिल्ली में 20 हजार लोगों के कार्ड बनाए गए। जबकि अन्य राज्यों में तमिलनाडू में योजना के तहत अब तक सबसे अधिक लोगों को लाभ पहुंचाया जा चुका है।

कुछ और सुझाव
-तंबाकू, शराब व अन्य उत्पादों पर बढ़ाया जाएं टैक्स जिससे सरकार की आमदनी बढ़े
-टेलीमेडिसन सेवा का बढ़ाया जाएं दायरा, जिससे ग्रामीण इलाके में भी पहुंचे स्वास्थ्य सेवाएं
-स्वास्थ्य सेवा के कुल बजट का कम से दो फीसदी हिस्सा शोध शिक्षा पर खर्च किया जाएं
-जीडीपी 0.9 से बढ़ाकर चार या छह प्रतिशत किया जाना चाहिए, स्वास्थ्य बीमा राष्ट्रीय नीति के तहत हो
-मार्ग दुर्घटना या आपातकालीन सेवा का अलग से बीमा किया जाना चाहिए
नोट- सुझव इंडियन मेडिकल काउंसिल द्वारा केन्द्रीय वित्त और गृह मंत्री को लिखे पत्र के अनुसार

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