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दिवाली की रात चार गुना प्रदूषित हो जाती है हमारी दिल्ली

दिवाली की रात हम सामान्य दिनों की अपेक्षा दोगुना अधिक शोर झेलते हैं। वहीं, मात्र छह से सात घंटे की आतिशबाजी में दिल्ली को चार गुना प्रदूषित कर देते हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की वर्ष 2012 की...

दिवाली की रात चार गुना प्रदूषित हो जाती है हमारी दिल्ली
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 23 Oct 2014 10:10 AM
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दिवाली की रात हम सामान्य दिनों की अपेक्षा दोगुना अधिक शोर झेलते हैं। वहीं, मात्र छह से सात घंटे की आतिशबाजी में दिल्ली को चार गुना प्रदूषित कर देते हैं।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की वर्ष 2012 की रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2011 और 2012 की दिवाली में प्रदूषण और शोर का स्तर अन्य शहरों की अपेक्षा दिल्ली में अधिक देखा गया। हालांकि इस बार सुरक्षित दिवाली मनाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पटाखा कंपनियों से पटाखों की आवाज 125 से 145 डीबीसी तक निर्धारित की है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के प्रवक्ता वी. जॉर्ज ने बताया कि पटाखा कंपनियों के लिए दो हफ्ते पहले ही आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसके बाद कंपनियां तय ध्वनि से अधिक के पटाखे नहीं बना पाएंगी।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पटाखा कंपनियों से पटाखा बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों की भी विस्तृत जानकारी मांगी है। प्रदूषण रिपोर्ट पर सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वॉयरन्मेंट ने विश्लेषण किया, जिसके अनुसार दिल्ली में वर्ष 2012 की दिवाली की रात एसओटू का स्तर हैदराबाद, कोलकाता एवं बेंगलुरु की अपेक्षा दोगुना से अधिक देखा गया। जबकि ध्वनि प्रदूषण में भी दिल्ली अन्य शहरों से आगे रही। दिवाली की शाम सात बजे से रात 12.30 तक पर्यावरण में एसओटू, आरएसपीएम10, एनओटू, पीएम2.5 के स्तर को जांचा गया।

कानों के लिए नहीं सुरक्षित : गुरुतेग बहादुर अस्पताल के ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉ. पीपी सिंह कहते हैं कि बीते साल दिवाली के अगले दिन ही कान में सुनने की समस्या को लेकर 100 से अधिक मरीज अस्पताल पहुंचे थे।

एक सामान्य व्यक्ति आठ से दस घंटे लगातार 85 डेसीबल की ध्वनि को सुन सकता है। हालांकि इस मानक पर भी निर्धारित समय के बाद उनके कान की क्षमता व इनर कॉकलिया प्रभावित होने लगती है। सफरदजंग बर्न यूनिट के डॉ. आरपी नारायण कहते हैं कि विदेशों में पटाखा छुड़ाने के लिए आपदा प्रबंधन टीम प्रशिक्षण देती है। खुली जगह पर ही पटाखे जलाने की अनुमति दी जाती है जबकि अपने देश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

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