पूर्ण राज्य के दर्जे पर भाजपा मौन
दिल्ली को पूर्ण राज्य के मुद्दे पर भाजपा में ही अंदरुनी घमासान शुरू हो गया है। पार्टी के घोषणा पत्र में इस मुद्दे को जगह दी जाए या नहीं, इस पर ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी 15 सालों से इसे...
दिल्ली को पूर्ण राज्य के मुद्दे पर भाजपा में ही अंदरुनी घमासान शुरू हो गया है। पार्टी के घोषणा पत्र में इस मुद्दे को जगह दी जाए या नहीं, इस पर ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी 15 सालों से इसे चुनावी मुद्दा बनाती आ रही है और अब जब केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है तो इस मुद्दे पर ठन गई है। पार्टी नेता अब हालात देखने के बाद ही इस पर आखिरी निर्णय लेने की बात कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना के कार्यकाल से ही यह मामला दिल्ली के लिए केवल एक चुनावी मुद्दा बना हुआ है। 2013 के घोषणापत्र में भी भाजपा ने अपने संकल्प में पूर्ण राज्य के दर्जे को पहली प्राथमिकता पर रखा था। उस समय केंद्र में यूपीए सरकार थी और भाजपा ने कांग्रेस पर इसे लेकर जोरदार हमला बोला था। इस पर जब सांसद मीनाक्षी लेखी और प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय से जवाब मांगा गया तो उन्होंने केवल इतना भर ही कहा कि समय आने पर ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। इस मामले में भाजपा की सीएम पद की प्रत्याशी बेदी पहले ही तालमेल से व्यवस्थाओं को ठीक करने का ऐलान कर चुकी हैं।
ढुलमुल रवैया
’15 सालों से हर बार भाजपा के एजेंडे में पूर्ण राज्य के दर्जे का मामला शामिल रहा है
’कांग्रेस सरकार पर इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने हमेशा किए हैं हमले
’पार्टी मौन, सांसद बोली जब मौका आएगा देखेंगे
पूर्ण राज्य से क्या होगा लाभ
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलता है तो इससे जमीन और कानून व्यवस्था के मामले भी राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ जाएंगे। राजनीतिक दलों का मानना है कि जब ये शक्तियां राज्य सरकार के पास आ जाएंगी तो तालमेल बढ़ेगा और कामकाज की शैली में भी सुधार होगा। इससे पुलिस व्यवस्था भी सीधेतौर पर राज्य सरकार को जवाबदेह होगी।