भू माफियाओं के कब्जे में सेना की जमीन
ऐसा लगता है कि भू माफियाओं के लिए रक्षा भूमि पर कब्जा करना सबसे आसान काम हो गया है। देश भर में रक्षा मंत्रालय की बेशकीमती भूमि पर तकरीबन 46 हजार कब्जे हो रखे हैं। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के...
ऐसा लगता है कि भू माफियाओं के लिए रक्षा भूमि पर कब्जा करना सबसे आसान काम हो गया है। देश भर में रक्षा मंत्रालय की बेशकीमती भूमि पर तकरीबन 46 हजार कब्जे हो रखे हैं।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मंत्रालय के पास देश भर में करीब 17.57 लाख एकड़ जमीन खाली पड़ी है। इस जमीन की कीमत यदि आंकी जाए, तो यह हजारों करोड़ रुपये बैठती है। सेना का कहना है कि यह जमीन तय योजना के तहत अधिग्रहीत की गई थी। सेना ने बताया कि यह भी तय है कि इस जमीन में कहां क्या परियोजना स्थापित की जानी है। लेकिन भू माफियाओं ने इस जमीन पर 46229 कब्जे कर रखे हैं तथा एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा सैन्य भूमि माफियाओं के कब्जे में होने का अनुमान है।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार इस जमीन पर से अतिक्रमण हटाने के लिए अधिकृत कब्जे की बेदखली अधिनियम 1971 तथा छावनी अधिनियम 2006 के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं। साथ ही रक्षा संपदा संगठन को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह अब नए कब्जे नहीं होने दे। दरअसल, रक्षा संपदा संगठन की जिम्मेदारी इस जमीन की देखभाल करना है। हाल में संगठन ने बताया कि उसकी जमीन पर जो अनाधिकृत कब्जे हो रखे हैं उन पर बड़े पैमाने पर निर्माण भी हो चुका है।
शुक्रवार को रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि सेना के पास जो जमीन है, उसका इस्तेमाल तय है, इसलिए उसके पास कोई भी फालतू जमीन नहीं है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में सबसे ज्यादा से 8.21 लाख हेक्टेयर जमीन है। उत्तर प्रदेश में 1.23, उत्तराखंड में 27 हजार, बिहार और दिल्ली में 11-11 हजार तथा झारखंड में 7.7 हजार एकड़ जमीन सेना के पास है।